डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम की 9वीं पुण्यतिथि: भारत के मिसाइल मैन की जीवन और विरासत का सम्मान जुल॰, 28 2024

27 जुलाई 2024 को भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम की 9वीं पुण्यतिथि है। यह एक ऐसा दिन है जब पूरा देश इस महान पुरुष को याद करता है, जिन्होंने अपनी असाधारण उपलब्धियों और विचारों से भारत को सशक्त बनाया। डॉ० कलाम का जीवन संघर्षों और समर्पण की एक अद्भुत मिसाल है, जो हमें प्रेरणा देता है कि किसी भी कठिनाई को पार करके कैसे सफलता प्राप्त की जा सकती है।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम के एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, फिर भी उन्होंने अपनी शिक्षा को प्राथमिकता दी और कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की।

शिक्षा प्राप्ति के दौरान उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, परंतु उनके परिवार और शिक्षकों के अटूट समर्थन ने उन्हें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने से रोका नहीं। उनके वैज्ञानिक कौशल और अद्वितीय सोच का ही परिणाम था कि उन्होंने भारत को अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

वैज्ञानिक करियर की शुरुआत

डॉ० कलाम ने 1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में शामिल होकर अपने वैज्ञानिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया और 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में शामिल हो गए।

इसरो में उन्होंने रोहिणी उपग्रह की सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसने उसे अंतरिक्ष क्लब के विशेष सदस्य देशों में शामिल किया।

मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि

मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि

डॉ० कलाम को 'मिसाइल मैन' के रूप में जानाजाता है। उन्होंने भारत के निगरानी और रक्षा तंत्र को सशक्त बनाने के लिए अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों का विकास किया। उनके नेतृत्व में, भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की।

उनकी वैज्ञानिक सूझबूझ और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति दूरदर्शिता ने भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया। 1998 में हुए पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसने भारत की परमाणु शक्ति को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया।

भारत के 11वें राष्ट्रपति

डॉ० कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में सेवाएं दीं। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल विशेष रूप से यादगार रहा। वो अपनी सादगी, विनम्रता और छात्रों के साथ जुड़ने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। राष्ट्रपति भवन में उन्होंने हजारों छात्रों से मुलाकात की और उन्हें अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया।

उनकी दूरदर्शिता और योजनाओं का मुख्य उद्देश्य भारत को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना था। यह विजन आज भी न केवल सरकारों बल्कि आम नागरिकों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।

प्रेरक स्पीकर और लेखक

प्रेरक स्पीकर और लेखक

राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद, डॉ० कलाम ने शिक्षण को अपना उद्देश्य बना लिया। वे भारत भर के युवाओं को प्रेरित करने के लिए कई शैक्षिक संस्थानों में गए और उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना की, जिनमें 'विंग्स ऑफ फायर,' 'इंडिया 2020,' और 'इग्नाइटेड माइंड्स' प्रमुख हैं। उनकी पुस्तकें युवाओं में उत्साह भरती हैं और उन्हें अपने लक्ष्यों की दिशा में बढ़ने का मार्गदर्शन देती हैं।

विरासत और प्रेरणा

डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने हमें सिखाया कि संकल्प, समर्पण और कठोर परिश्रम से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनका सपना था कि भारत एक वैज्ञानिक और तकनीकी शक्ति के रूप में उभर कर विश्व मंच पर राज करे। उनकी यह विरासत हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

उनकी पुण्यतिथि पर, पूरा देश इस महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनकी शिक्षा तथा विचारों को जीवन में अपनाने का संकल्प लेता है।