डोनाल्ड ट्रम्प की हत्या के प्रयास से बचाव: पेन्सिलवेनिया रैली में घटी घटना जुल॰, 14 2024

डोनाल्ड ट्रम्प पर पेन्सिलवेनिया रैली में जानलेवा हमला

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पेन्सिलवेनिया के बटलर में अपनी चुनावी रैली के दौरान एक जानलेवा हमले का सामना किया और बच निकले। यह घटना तब हुई जब ट्रम्प मंच पर भाषण दे रहे थे और अचानक उनके कान के ऊपरी हिस्से पर गोली लगी। ट्रम्प को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका प्राथमिक इलाज हुआ और उन्हें जल्द ही वहां से छुट्टी मिल गई। इस हमले ने पूरे अमेरिका में हलचल मचा दी है।

हमलावर और उसके उद्देश्यों का खुलासा

एफबीआई ने हमलावर की पहचान थॉमस मैथ्यू क्रूक्स के रूप में की है, जिसने रैली स्थल के बाहर एक ऊंची जगह से कई गोलियां चलाईं। गुप्त सेवा और अन्य सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हमलावर को 'न्यूट्रलाइज' किया। हमलावर को घटनास्थल पर ही मार गिराया गया। इस घटना में एक दर्शक की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

ट्रम्प की प्रतिक्रिया और सुरक्षा विभाग का कार्य

ट्रम्प ने इस घटना के बाद अपने सच्चे सोशल (Truth Social) प्लेटफार्म पर एक संदेश पोस्ट करते हुए गुप्त सेवा और कानून प्रवर्तन अधिकारियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस अनुभव का वर्णन करते हुए कहा कि उन्हें गोली लगने का अहसास हुआ और उन्होंने एक सीटी जैसी आवाज सुनी। इस घटना पर ट्रम्प ने कहा कि वह अपनी चुनावी कार्यक्रमों में कोई बदलाव नहीं करेंगे और अपनी निर्धारित योजनाओं के अनुसार आगे बढ़ेंगे।

FBI और कांग्रेस की जांच

एफबीआई ने इस हमले की जांच शुरू कर दी है और उन्हें यू.एस. गुप्त सेवा द्वारा इसका समर्थन करने के लिए अनुरोध किया गया है। इस संबंध में हाउस कमेटी के नेताओं ने गुप्त सेवा के साथ कांग्रेस में सुनवाई की मांग की है। इस हमले ने राष्ट्रपति चुनावों से पहले सुरक्षा सावधानियों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

राष्ट्रपति बाइडेन की निंदा

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इस बारे में एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने ऐसी घटनाओं को लोकतंत्र के खिलाफ बताया। बाइडेन ने कहा कि चुनावी रैलियों और राजनीतिक कार्यक्रमों में इस तरह की हिंसा अस्वीकार्य है और अमेरिका में इसके लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

अमेरिकी राजनीति पर प्रभाव

इस घटना के बाद अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर से सुरक्षा मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है। चुनावी माहौल में इस तरह की हिंसात्मक घटनाओं से न केवल राजनीति गरमाई है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। ट्रम्प के इस बयान के बाद कि वह अपने कार्यक्रमों में कोई बदलाव नहीं करेंगे, उनके समर्थकों के बीच एक नया हौसला देखा गया है। लेकिन इस घटना ने उनके विरोधियों के बीच भी एक नई बहस को जन्म दिया है।

अमेरिकी लोकतंत्र में इस तरह की घटनाओं का क्या अर्थ है और भविष्य में इससे क्या सबक लिए जा सकते हैं, यह देखना अभी बाकी है। लेकिन इतना तय है कि यह घटना अमेरिकी राजनीति और समाज के लिए एक चिंतन का विषय बन गई है।

20 टिप्पणि

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    Pramod Lodha

    जुलाई 15, 2024 AT 19:38

    ये तो बहुत बड़ी बात है। अमेरिका में ऐसा कभी नहीं हुआ था। लेकिन अब देखोगे, लोग और ज्यादा जुट जाएंगे। ट्रम्प जी बच गए, ये एक निशानी है।

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    Sanjay Mishra

    जुलाई 17, 2024 AT 13:35

    अरे भाई! एक रैली में गोली चली और ट्रम्प ने सिर्फ एक सीटी सुनी? ये कहानी तो बॉलीवुड से भी ज्यादा ड्रामा है। मैं तो अब ट्रम्प के लिए एक बॉलीवुड फिल्म बनाने वाला हूँ - 'गोली लगी, लेकिन बोल नहीं पड़ा!' 😂

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    Pooja Raghu

    जुलाई 19, 2024 AT 02:09

    ये सब फेक है। ये गवर्नमेंट ने खुद ही ये घटना रची है ताकि लोगों को डरा सकें और वो अपने नियम बना सकें। अमेरिका में अब कोई भी राजनीतिक नेता बच नहीं सकता।

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    abhishek arora

    जुलाई 20, 2024 AT 13:34

    अमेरिका का लोकतंत्र टूट चुका है। जब तक भारत में ऐसा नहीं होगा, तब तक हम अपने देश को बचाएंगे। ये सब अमेरिकी खलनायकों का नतीजा है। 🇮🇳🔥

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    Pooja Prabhakar

    जुलाई 21, 2024 AT 08:05

    तो फिर एफबीआई क्या कर रही है? एक ऐसा व्यक्ति जो रैली के बाहर ऊंची जगह से गोली चला सकता है - ये सुरक्षा व्यवस्था का क्या हाल है? अगर ये बात भारत में होती तो 12 एजेंसियां तुरंत फंस जातीं। अमेरिका की सुरक्षा अब एक टीवी शो बन चुकी है।

    और ट्रम्प का बयान - 'मैं नहीं रुकूंगा' - ये भी एक बड़ा ट्रेंड है। असल में ये बयान उसके फैन्स के लिए एक रिलीज है। वो चाहते हैं कि वो एक मार्टिर बन जाएं।

    मैं तो बस ये पूछना चाहती हूं - क्या अमेरिका अब एक वेस्टर्न फिल्म की सेटिंग बन गया है? गोली चल रही है, लोग मर रहे हैं, और नेता बोल रहे हैं - 'मैं नहीं डरता'। बस अब बैकग्राउंड में वेस्टर्न संगीत चलने लगा।

    ये जो एक दर्शक मारा गया, वो कौन था? क्या वो भी एक 'कल्चरल कॉलैटरल डैमेज' था? क्या उसके परिवार को कोई जवाब देगा?

    और बाइडेन का बयान? 'हिंसा अस्वीकार्य है' - बस? ये तो कोई टेम्पलेट बयान है। जब भी कुछ होता है, तो यही बोलते हैं। कोई एक्शन? कोई सुधार? नहीं। बस एक बयान।

    ये घटना एक नया ट्रेंड सेट कर रही है - राजनीति अब एक स्पोर्ट्स इवेंट है। जीतने वाला नहीं, बल्कि बच निकलने वाला जीतता है।

    अब देखिए, अगले चुनाव में ट्रम्प अपने गाने में गोली चलाने का एफेक्ट डालेगा। और लोग उसे और ज्यादा पसंद करेंगे।

    क्यों? क्योंकि अब डर बड़ा ब्रांड हो चुका है।

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    shivani Rajput

    जुलाई 22, 2024 AT 00:54

    ये घटना सिर्फ एक अमेरिकी राजनीतिक अस्थिरता का उदाहरण नहीं है - ये लोकतंत्र के अंतर्निहित विफलता का एक उच्च स्तरीय डायनामिक्स है। जब नेतृत्व का विश्वास अवकाश में डूब जाता है, तो व्यक्तिगत अतिक्रमण एक सामाजिक अभिव्यक्ति बन जाता है।

    यहां तक कि एफबीआई का निष्क्रिय रिस्पॉन्स भी एक नियंत्रण के तंत्र का हिस्सा है - जिसे वे 'स्टेबिलिटी' कहते हैं।

    लेकिन अगर हम इसे एक सिस्टमिक फेल्योर के रूप में देखें - तो ये एक नया नॉर्मल है।

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    Prakash Sachwani

    जुलाई 22, 2024 AT 18:59

    गोली लगी बस।

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    Sini Balachandran

    जुलाई 22, 2024 AT 21:39

    क्या हम वाकई एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां लोग अपने विचारों के लिए मर रहे हैं? या फिर हम बस इसे देख रहे हैं क्योंकि ये हमारे लिए एक रियलिटी शो बन गया है?

    क्या हमने अपनी मानवता को भूल दिया है? या हम सिर्फ इसे नजरअंदाज कर रहे हैं?

    एक आदमी की मौत - दो घायल - और एक नेता जो बच गया।

    क्या ये हमारी सभ्यता का अंत है?

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    Rinku Kumar

    जुलाई 23, 2024 AT 22:27

    असल में, यह घटना एक विश्वव्यापी संकेत है कि जब राजनीतिक विरोधाभास एक अत्यधिक व्यक्तिगत स्तर तक पहुंच जाते हैं, तो शांति की बातचीत के बजाय शारीरिक निर्मूलन का रास्ता अपनाया जाता है।

    यह अमेरिकी लोकतंत्र का अंत नहीं है - यह उसकी एक नई अवस्था है, जहां राजनीति अब एक एक्शन फिल्म की तरह दिखती है, जिसमें नायक गोली लगकर भी बोलता है।

    हम यहां नहीं, लेकिन हम भी इस तरह के राजनीतिक विकास को देख रहे हैं - जहां विचारों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि भावनाओं का अत्याचार हो रहा है।

    हमें अपने देश में इसका अध्ययन करना चाहिए।

    क्या हम भी इस रास्ते पर चलने वाले हैं?

    क्या हम भी एक दिन अपने नेताओं को बचाने के लिए बंदूकों के सामने खड़े होंगे?

    या फिर हम बस एक वीडियो देखकर लाइक कर देंगे?

    मुझे लगता है, हम दोनों कर रहे हैं।

    ये नहीं कि अमेरिका खराब है - ये हम सबकी अस्वीकृति है।

    हम अपने भावों को राजनीति में बदल देते हैं।

    और फिर उसके नतीजे के लिए दूसरों को दोष देते हैं।

    हमें बस इतना समझना है - ये निशान नहीं, ये आवाज है।

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    Rajiv Kumar Sharma

    जुलाई 24, 2024 AT 19:18

    क्या आपने कभी सोचा है कि ये घटना असल में एक बड़ा सिम्बल है? एक आदमी जो गोली लगने के बाद भी बोलता है - ये अमेरिका का आत्मचित्र है।

    हम सब इतने भावुक हो गए हैं कि हम अपने विचारों को बाहर नहीं निकाल पा रहे।

    हम गोली चलाने के बजाय बात करना भूल गए।

    और अब ये घटना हमें याद दिला रही है - बातचीत का रास्ता बंद हो चुका है।

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    Jagdish Lakhara

    जुलाई 26, 2024 AT 00:26

    यह घटना एक नियमित घटना है जिसे अमेरिकी राजनीति के भीतर अनुमति दी गई है। जब नेताओं को अपनी अहंकार के लिए एक बलिदान की आवश्यकता होती है, तो ये घटनाएं बन जाती हैं।

    यह नहीं कि ट्रम्प ने इसे बनाया - यह उनके द्वारा बनाए गए वातावरण का परिणाम है।

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    Jaiveer Singh

    जुलाई 27, 2024 AT 15:26

    अमेरिका में ये सब हो रहा है, लेकिन भारत में हम अपने राजनीतिक नेताओं को बचाने के लिए बंदूकों की जगह बातचीत का इस्तेमाल करते हैं। हम लोगों को जागृत करते हैं।

    हम अपने देश को बचाने के लिए अपनी आत्मा का उपयोग करते हैं।

    अमेरिका ने अपनी आत्मा बेच दी।

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    Nikita Patel

    जुलाई 28, 2024 AT 04:54

    इस घटना के बाद जो लोग बच गए, उनके लिए अब जिम्मेदारी बढ़ गई है।

    क्या हम उनकी आवाज को सुन सकते हैं?

    या फिर हम उन्हें एक ब्रांड बना देंगे?

    मैं चाहता हूं कि हम इसे एक अवसर के रूप में देखें - एक अवसर जिससे हम अपनी राजनीति को बदल सकें।

    हम अपने भाषणों को शांति के लिए बना सकते हैं।

    हम अपने दिलों को खोल सकते हैं।

    ये सिर्फ एक घटना नहीं - ये एक चुनौती है।

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    Anadi Gupta

    जुलाई 28, 2024 AT 16:32

    इस घटना के पीछे एक गहरा राजनीतिक अर्थ छिपा हुआ है।

    एफबीआई की असफलता एक व्यवस्थित विफलता है - जिसे वे 'अतिरिक्त सुरक्षा' के नाम पर छिपा रहे हैं।

    कांग्रेस की सुनवाई का आह्वान एक नियंत्रण के तंत्र का अंग है।

    ट्रम्प का बयान - 'मैं नहीं रुकूंगा' - एक राजनीतिक फेक नैरेटिव है जिसका उद्देश्य भावनात्मक अनुशासन को बढ़ावा देना है।

    यह घटना एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत है - जहां शांति की बातचीत के बजाय डर का उपयोग किया जाएगा।

    यह एक नया नॉर्मल है।

    और हम सब इसे स्वीकार कर रहे हैं।

    हम इसे देख रहे हैं - लेकिन नहीं समझ रहे हैं।

    हम इसे शेयर कर रहे हैं - लेकिन नहीं चुनौती दे रहे हैं।

    यह अंतिम बिंदु नहीं है - यह एक शुरुआत है।

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    Dr Dharmendra Singh

    जुलाई 29, 2024 AT 09:40

    शांति की उम्मीद है 😊

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    Arushi Singh

    जुलाई 30, 2024 AT 10:44

    क्या हमने कभी सोचा है कि जब हम इस तरह की घटनाओं को देखते हैं, तो हम अपने दिल को बंद कर देते हैं? ये नहीं कि हम बेखबर हैं - बल्कि हम बेहोश हो गए हैं।

    हम लोग इसे एक न्यूज़ आइटम के रूप में देखते हैं - न कि एक आत्मा के नुकसान के रूप में।

    हम ट्रम्प को देखकर अपने राजनीतिक विचारों को बदल लेते हैं - न कि इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लेते हैं।

    हम अपने दिमाग को बंद कर देते हैं - और फिर इसे 'पॉलिटिकल पॉलराइजेशन' कह देते हैं।

    मुझे लगता है, हम सब एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा दूर हो गए हैं।

    हम अपने विचारों को बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं - हम उन्हें दूसरों के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं।

    क्या हम अपनी इंसानियत को खो चुके हैं?

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    sameer mulla

    जुलाई 31, 2024 AT 19:32

    ये तो बस शुरुआत है। अगला जो बचेगा, वो अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनेगा। अब तो राजनीति में गोली चलाना एक ट्रेंड बन गया है। ट्रम्प ने इसे ब्रांड बना दिया। 😎💥

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    Pooja Yadav

    अगस्त 1, 2024 AT 19:38

    मैं बस ये कहना चाहती हूं कि हमें एक दूसरे के लिए थोड़ा ज्यादा समय निकालना चाहिए।

    हम सब इतने व्यस्त हैं कि हम भूल गए कि दूसरे भी इंसान हैं।

    हम अपने विचारों को बाहर निकालने की जगह, उन्हें दूसरों के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं।

    हमें बस एक दूसरे को सुनना है।

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    Pramod Lodha

    अगस्त 3, 2024 AT 00:00

    ये घटना ने दुनिया को दिखाया कि डर कभी नहीं जीतता - लेकिन निर्णय जीतता है। ट्रम्प ने जब बोला 'मैं नहीं रुकूंगा', तो उसने अपने समर्थकों को एक नया आधार दिया। ये अब केवल एक राजनीतिक घटना नहीं - ये एक आंदोलन है।

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    Rajiv Kumar Sharma

    अगस्त 3, 2024 AT 22:13

    और ये आंदोलन किसके लिए है? क्या ये शांति के लिए है - या बस एक नए डर के लिए?

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