जून, 8 2024
रामोजी राव का जीवन और करियर
रामोजी राव का जन्म तेलुगु राज्यों में हुआ था और उन्होंने वहां से अपने जीवन की शुरुआत की। वे एक सच्चे मीडिया उद्यमी थे जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और संकल्प से अनेक सफल उद्यम खड़े किए। राव ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। ईएनएडू समाचार पत्र और ईटीवी जैसी प्रसिद्ध संस्थाओं की स्थापना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी जाती है।
पत्रकारिता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान
ईएनएडू के माध्यम से, राव ने तेलुगु भाषी लोगों को समाचार और सच्चाई के प्रति जागरूक किया। ईएनएडू न केवल समाचार पत्र था, बल्कि जन-जन की आवाज बनने वाला प्लेटफार्म भी था। इसने तेलुगु पत्रकारिता को एक नई दिशा दी और राव को 'मीडिया मोगुल' का खिताब दिलाया।
मीडिया और फिल्म उद्योग में कामयाबी
रामोजी राव ने न केवल पत्रकारिता में अपनी पहचान बनाई, बल्कि फिल्म उद्योग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अनेक भाषाओं में फिल्में निर्माण कीं और अपने विशेष दृष्टिकोण के माध्यम से समाज को महत्वपूर्ण संदेश दिए। रामोजी फ़िल्म सिटी, जो कि भारत का सबसे बड़ा फ़िल्म स्टूडियो है, उनके वीजन और सिनेमाई समझ का जीता जागता उदाहरण है।
स्वास्थ्य समस्याओं और अस्पताल में भर्ती
रामोजी राव लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें इस माह की 5 तारीख को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीन दिन तक उपचार के बावजूद उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सका और शुक्रवार रात को उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया और वेंटिलेटर पर रखा गया। अंततः डॉक्टरों की कोशिशें नाकाम रहीं और शनिवार सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली।
शोक की लहर
रामोजी राव के निधन की खबर ने सभी को स्तब्ध कर दिया। राजनीति से लेकर सिनेमा और उद्योग जगत तक, हर कोई इस दुखद समाचार से उदास है। अनेक प्रमुख व्यक्तियों ने राव के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उनके निधन से तेलुगु राज्यों ने एक महान व्यक्तित्व खो दिया है, जिसने समाज के हर हिस्से में अपनी छाप छोड़ी थी।
रामोजी राव के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं और उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा याद किए जाएंगे। उनके निधन का समाचार निश्चित रूप से मीडिया और फिल्म जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
Anadi Gupta
जून 10, 2024 AT 09:49रामोजी राव के निधन से तेलुगु समाज का एक अमूल्य खंड टूट गया है उन्होंने जिस तरह से पत्रकारिता को लोकतांत्रिक और जन-केंद्रित बनाया वह एक ऐतिहासिक मोड़ था जिसकी तुलना केवल उनके समकालीन राजनीतिक नेताओं या फिल्म निर्माताओं के साथ ही की जा सकती है उनकी दृष्टि ने एक ऐसा वातावरण बनाया जहां तेलुगु भाषा का सम्मान न केवल बोलचाल में बल्कि समाचार और विश्लेषण में भी होने लगा ईएनएडू ने अब तक किसी भी समाचार पत्र ने नहीं किया ऐसा काम किया जिसने ग्रामीण और शहरी दोनों तरफ के लोगों को एक साथ लाया उनके बिना तेलुगु मीडिया का भविष्य अंधेरे में डूब सकता है और यह एक खतरनाक संकेत है कि क्या आगे कोई ऐसा नेतृत्व उभरेगा जो इतनी गहराई और दूरदर्शिता के साथ काम कर सके उनकी याद न केवल एक व्यक्ति के रूप में बल्कि एक आंदोलन के रूप में जीवित रहेगी जिसने जनता को सच्चाई की ओर धकेला और उसे अपनी आवाज़ दी यह अंत नहीं बल्कि एक नए युग की शुरुआत का संकेत है जिसमें हमें उनके विरासत को संरक्षित करने की जिम्मेदारी है
shivani Rajput
जून 12, 2024 AT 06:22रामोजी राव के निधन के बाद उनकी फिल्म सिटी का मूल्यांकन करना जरूरी है यह एक अनूठा इकोसिस्टम है जिसमें फिल्म निर्माण और डिजिटल कंटेंट क्रिएशन के बीच एक सिंबियोटिक रिलेशनशिप बनी हुई है उनके बिना इसका स्थायित्व संदिग्ध है क्योंकि लीडरशिप गैप और गवर्नेंस फ्रेमवर्क की कमी के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर डिग्रेडेशन का खतरा है
Jaiveer Singh
जून 12, 2024 AT 12:09हमारे देश के इतिहास में किसी ने भी इतनी बड़ी भाषा के लिए इतना कुछ नहीं किया जितना रामोजी राव ने तेलुगु के लिए किया उन्होंने न सिर्फ समाचार दिया बल्कि एक गौरव का आधार बनाया अब जो लोग उनकी यादों को भूल रहे हैं वे अपनी जड़ों को भूल रहे हैं जिसने हमें अपनी पहचान दी है उनका निधन एक अपरिहार्य घटना थी लेकिन उनकी विरासत हमेशा हमारे साथ रहेगी
Arushi Singh
जून 12, 2024 AT 20:29मुझे लगता है रामोजी राव ने बस फिल्म या समाचार नहीं बनाया बल्कि एक आत्मा बनाई जो तेलुगु भाषा के हर घर में बस गई उनकी फिल्म सिटी बस एक स्थान नहीं बल्कि एक सपना था जिसे उन्होंने जिंदा रखा अब हमारी बारी है कि उस सपने को आगे बढ़ाएं बिना उनकी यादों को भूले बिना उनके विचारों को अपनाएं और उनके लिए बनाए गए इस विरासत को नए लोगों के साथ साझा करें उन्होंने बस फिल्में नहीं बनाई उन्होंने लोगों को एक साथ लाया और यही सबसे बड़ी उपलब्धि है
Rajiv Kumar Sharma
जून 14, 2024 AT 04:15अंत में जो बाकी रह जाता है वो यादें होती हैं और रामोजी राव की यादें अभी भी जिंदा हैं