झारखंड में रेल हादसा: हावड़ा-सीएसएमटी एक्सप्रेस पटरी से उतरी, बचाव कार्य जारी जुल॰, 30 2024

झारखंड में रेल हादसा: हावड़ा-सीएसएमटी एक्सप्रेस पटरी से उतरी

30 जुलाई, 2024, एक सामान्य दिन की तरह दिख रहा था जब तक कि दोपहर 12:30 बजे झारखंड के चांडिल रेलवे स्टेशन के पास एक भयानक रेल हादसा नहीं हुआ। हावड़ा-सीएसएमटी एक्सप्रेस, जोकि हावड़ा से मुंबई की ओर जा रही थी, अचानक पटरी से उतर गई। इस हादसे में ट्रेन के पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, हालांकि किसी की मौत की खबर नहीं आई है, लेकिन कई यात्री घायल हो गए हैं। घायलों को समीपवर्ती अस्पतालों में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज जारी है।

हादसे की जगह पर भयानक दृश्य

चश्मदीदों के मुताबिक, हादसे के बाद का दृश्य बेहद भयानक था। ट्रेन की कुछ बोगियां पूरी तरह से पटरी से उतरकर एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गई थीं। घायलों की चीख-चीख कर मदद मांगते हुए सुनी गईं। स्थानीय लोग सबसे पहले मौके पर पहुंच कर घायलों की मदद में जुट गए। इसके बाद भारतीय रेलवे, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय प्रशासन की टीमें दौड़ कर मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू कर दिया।

बचाव कार्य जारी

रेल हादसे के बाद भारतीय रेलवे ने तुरंत ही बचाव कार्य शुरू कर दिया। घटनास्थल पर दर्जनों एंबुलेंस और मेडिकल टीम भी बुलाई गईं। घायलों को प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद उन्हें नजदीकी अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया। बचाव टीमों ने बड़े ही तेजी से काम किया ताकि सभी यात्रियों को सुरक्ष‍ित स्थान पर पहुंचाया जा सके। रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घायल यात्रियों के लिए ₹50,000 की अनुग्रह राशि और इस हादसे में अपनी जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए ₹5 लाख की अनुग्रह राशि की घोषणा की है।

रेल यातायात बाधित

इस हादसे के बाद से रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कई ट्रेनें जो इस मार्ग से गुजर रही थीं, उन्हें दूसरे रास्तों से भेजा गया या फिर रद्द कर दिया गया। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर 1072 भी जारी किया है ताकि यात्रियों और उनके परिजनों को हादसे और बचाव कार्य के बारे में जानकारी मिल सके।

हादसे का संभावित कारण

अभी तक इस रेल हादसे का कारण साफ नहीं हो पाया है। रेलवे की एक टीम जांच में जुटी हुई है ताकि हादसे के पीछे के संभावित कारण का पता लगाया जा सके। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि पटरी में कुछ तकनीकी खामी हो सकती है, लेकिन इसकी पुष्टि जांच के बाद ही की जा सकेगी।

स्थानीय और राष्ट्रीय प्रभाव

यह हादसा न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन गया है। रेल मंत्रालाय और दूसरे संबंधित विभाग इस पर गहन नजर बनाए हुए हैं। रेलवे मंत्री ने खुद इस हादसे को लेकर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है ताकि आगे के कदम उठाए जा सकें और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए बदलते कदमों पर चर्चा की जा सके।

यात्रियों और उनके परिजनों के लिए सूचना

यात्रियों और उनके परिजनों के लिए सूचना

इस हादसे के बाद रेलवे ने यात्रियों और उनके परिजनों के लिए हेल्पलाइन नंबर 1072 जारी किया है। अपने किसी प्रियजन की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए यह नंबर उपलब्ध है। इसके अलावा, रेलवे दुर्घटनास्थल की त्वरित सफाई और प्रभावित यात्रियों के पुनर्वास की भी पूरी कोशिश कर रही है।

इतिहास में बड़े रेल हादसे

भारत में समय-समय पर बड़े रेल हादसे होते आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा घातक हादसों में 1981 में बिहार के बागमती नदी में हुई घटना शामिल है, जहां एक ट्रेन नदी में गिर गई थी और कई यात्रियों की जानें गई थीं। ऐसी घटनाएं रेलवे सुरक्षा में सुधार के लिए एक गंभीर सबक बनती हैं।

भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव

ऐसे हादसों से सबक लेकर रेलवे को सुरक्षा मानकों को और भी अधिक सख्त करने की जरूरत है। नई तकनीकों का प्रयोग और पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर का निरंतर निरीक्षण बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

झारखंड की यह घटना एक बड़ा चेतावनी है कि हमें सुरक्षा मानकों पर कोई समझौता नहीं करना चाहिए। यात्रियों का जीवन सर्वोपरि है और उनकी सुरक्षा ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।