केंद्रीय बजट 2024: आर्थिक सर्वेक्षण से प्रमुख क्षेत्रों की स्थिति पर एक नज़र जुल॰, 22 2024

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार, 22 जुलाई 2024 को संसद में बहुप्रतीक्षित आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया। इस सर्वेक्षण में देश के विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों की स्थिति का व्यापक विवरण दिया गया है। सर्वेक्षण में जहां कई सकारात्मक निष्कर्षों को उजागर किया गया, वहीं वैश्विक अनिश्चितताओं के संभावित प्रभावों पर भी ध्यान खींचा गया है। एक ओर जहां सर्वेक्षण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और आगामी चुनौतियों पर प्रकाश डाला, वहीं इसने लंबी अवधि के लिए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के उपायों की भी सिफारिश की है।

मूल्य स्थिरता और निगरानी प्रणाली पर जोर

सर्वेक्षण में दीर्घकालिक मूल्य स्थिरता प्राप्त करने के लिए मूल्य निगरानी प्रणालियों को सुदृढ़ करने का सुझाव दिया गया है। विकासशील देशों में वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक उत्पादक मूल्य सूचकांक तैयार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को भी नवीनतम घर-घर खर्च सर्वेक्षण के आधार पर अद्यतन भार और वस्तुओं की टोकरी के साथ संशोधित करने की आवश्यकता है। यह कदम मुद्रास्फीति के अधिक सटीक आकलन और प्रभावी नीति निर्धारण के लिए आवश्यक है।

वैश्विक वस्तु मूल्य वृद्धि की भविष्यवाणी

विश्व बैंक ने 2024 में वस्तु मूल्य सूचकांक में 3 प्रतिशत की गिरावट और 2025 में 4 प्रतिशत की गिरावट की भविष्यवाणी की है। यह पूर्वानुमान भारतीय घरेलू मुद्रास्फीति दृष्टिकोण के लिए सकारात्मक संकेतक है। इससे भारतीय परिवारों और व्यवसायों को राहत मिलने की संभावना है, जो उच्च मूल्य वृद्धि का सामना कर रहे हैं।

रोजगार क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव

रोजगार क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव

रोजगार क्षेत्र में पिछले दशक में कई सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। सर्वेक्षण में औपचारिकता, कौशल विकास, उद्यमिता, उद्योग विविधीकरण, और समावेशी विकास की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की गई। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। तेजी से बढ़ती कार्यबल को औपचारिक रूप देना, कृषि से कार्यरत कर्मचारियों को समायोजित करने वाले क्षेत्रों में नौकरियां सृजित करना, और नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रमुख चुनौतियाँ हैं।

कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में नौकरी सृजन

कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नौकरी सृजन की संभावनाएं हैं, खासकर ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए। इस क्षेत्र में निवेश और विस्तार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया जीवन मिल सकता है और रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में निवेश की आवश्यकता

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में निवेश की आवश्यकता

सर्वेक्षण ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में अनुसंधान और निवेश की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया है। AI-संचालित समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र में अधिक निवेश की आवश्यकता है। इसके साथ ही, निजी क्षेत्र से उच्च स्तर के वित्तपोषण को आकर्षित करने के आवश्यक उपायों की भी सिफारिश की गई है ताकि बुनियादी ढांचा विकास को सहयोग मिल सके।

उद्योग उत्पादन में बदलाव

सर्वेक्षण में बताया गया कि उद्योगों का उत्पादन फिर से संगठित हुआ है, जिसमें भारी उद्योग जैसे स्टील और फार्मास्यूटिकल्स को बढ़ावा मिला है, जबकि वस्त्र और खाद्य उत्पादों का महत्त्व घट गया है।

सेवा क्षेत्र में विस्तार

सेवा क्षेत्र में विस्तार

सेवा क्षेत्र तकनीकी के अलावा मानव संसाधन, विधिक, और डिजाइन सेवाओं में भी विस्तार कर रहा है, और भारत वैश्विक क्षमता केंद्रों के लिए एक हब के रूप में उभर रहा है। सर्वेक्षण ने निजी क्षेत्र के निवेश के महत्व को उजागर किया, यह नोट करते हुए कि कॉर्पोरेट क्षेत्र को नौकरी सृजन का समर्थन करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि AI श्रमिकों को विस्थापित करने के बजाय उनके कार्य की सहायता करता है।

इस प्रकार, केंद्रीय बजट 2024 से पहले प्रस्तुत इस आर्थिक सर्वेक्षण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। यह न केवल आर्थिक स्थिरता की दिशा में काम करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत करता है, बल्कि नौकरी सृजन, औद्योगिक उत्पादन और सेवा क्षेत्र के विस्तार पर भी विशेष जोर डालता है। उम्मीद की जा रही है कि बजट 2024 इन सिफारिशों को ध्यान में रखकर एक ऐसी नीति तैयार करेगा जो देश की आर्थिक प्रगति को और मजबूत करने में सहायक हो।