मलयालम अभिनेता बाबूराज पर यौन शोषण का आरोप: फिल्म उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल अग॰, 26 2024

मलयालम अभिनेता बाबूराज पर यौन शोषण का गंभीर आरोप

मलयालम फिल्म उद्योग में एक बार फिर से यौन शोषण का मामला सामने आया है, जिसमें प्रसिद्ध अभिनेता और निर्माता बाबूराज का नाम मुख्य आरोपी के रूप में सामने आ रहा है। यह मामला उस समय का है जब एक जूनियर कलाकार ने उनके खिलाफ यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया है। यह आरोप हेम समिति की रिपोर्ट के जारी होने के तुरंत बाद आया है, जिसने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के शोषण और उनके मुद्दों का पर्दाफाश किया है।

घटना की गंभीरता

इस जूनियर कलाकार का कहना है कि बाबूराज ने वर्ष 2019 में उसे अपनी आवासीय जगह अलुवा में फिल्म की भूमिका पर चर्चा करने के बहाने बुलाया था। उसे बताया गया था कि फिल्म के निर्देशक और पटकथा लेखक भी वहां उपस्थित होंगे। लेकिन जब वह वहां पहुंची, तो उसने खुद को बाबूराज के साथ अकेला पाया। बाबूराज ने उस महिला को एक कमरे में आराम करने के लिए कहा और कहा कि अन्य लोग जल्दी ही जुड़ेंगे। लेकिन बाबूराज ने बाद में कमरे में प्रवेश किया और उसके साथ शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया।

महिला का दावा है कि इस घटना के बाद वह घर से भाग गई और फिर कभी बाबूराज से नहीं मिली, हालांकि उसे बाबूराज से अनुचित व्हाट्सएप संदेश मिलते रहे। महिला ने यह भी आरोप लगाया है कि बाबूराज ने अन्य महिलाओं को भी परेशान किया है, लेकिन वे डर के कारण सामने नहीं आ पा रही हैं।

अन्य अभिनेताओं पर भी आरोप

इस महिला का कहना है कि कुछ पुरुषों ने उसे अभिनेता शाइन टॉम चाको की भूमिका वाली एक फिल्म में भूमिका देने के बहाने संपर्क किया। उसके अनुसार, चाको ने इन पुरुषों को उससे बैठक की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था।

बाबूराज, जो कि मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (AMMA) के संयुक्त सचिव हैं, ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि हेम समिति रिपोर्ट के बाद ऐसे दावों की संभावना पहले से ही जताई जा रही थी।

फिल्म उद्योग में बढ़ रही शिकायतें

बाबूराज के खिलाफ यह आरोप उस व्यापक लहर का हिस्सा हैं जो मलयालम फिल्म उद्योग के प्रमुख चेहरों के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार की शिकायतें ला रही हैं। अभिनेत्री मिनू मुनीर ने भी अभिनेताओं मुकेश, जयसूर्या, मनियनपिल्ला राजू, और इदवेला बाबू के खिलाफ ऐसे आरोप लगाए हैं।

इस प्रकार की घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि फिल्म उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा का वास्तविकता में कितना ख्याल रखा जा रहा है। इन आरोपों की सच्चाई की जांच और संबंधित पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल का निर्माण किया जा सके।

हेम समिति रिपोर्ट का प्रभाव

हेम समिति की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में व्याप्त दुर्व्यवहार के मामलों को उजागर कर दिया है, जिससे महिलाओं को अब अपनी आवाज उठाने का साहस मिला है। यह देखना महत्वपूर्ण है कि इस रिपोर्ट के बाद उद्योग में क्या बदलाव आते हैं और महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है या नहीं।

इस प्रकार की घटनाओं और आरोपों पर ध्यान देना समाज के लिए आवश्यक है। ऐसे मामलों में न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना और पीड़ितों को न्याय दिलाना महत्वपूर्ण है। साथ ही, इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए ठोस कदम उठाने के जरूरत है।