ममता बनर्जी की आलोचना: आर.जी. कर अस्पताल के बलात्कार-हत्या मामले पर सवालों के घेरे में सित॰, 3 2024

ममता बनर्जी की आलोचना: आर.जी. कर अस्पताल के बलात्कार-हत्या मामले पर सवालों के घेरे में

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर उनकी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह घटना 9 अगस्त को हुई, जिसने राज्य में व्यापक आक्रोश और प्रदर्शन भड़काए।

सोशल मीडिया पर लोगों ने ममता बनर्जी की आलोचना की है, खासकर तब जब उन्होंने एक सांसद की पत्नी की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया था। नेटिज़न्स ने इसे दोहरे मापदंड के रूप में देखा है। पीड़िता के परिवार और उनके वकील बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी की नीति पर सवाल उठाए हैं, उनका कहना है कि वे पीड़ितों और गवाहों को पैसे देकर चुप कराने की कोशिश करती हैं।

यह भी आरोप लगा है कि ममता बनर्जी के पास बलात्कार पीड़ितों के लिए एक 'निर्धारित दर कार्ड' है और वह गवाहों को चुप कराने के लिए उन्हें खरीदने की कोशिश करती हैं। बत्ताचार्य ने कहा कि ममता बनर्जी ने अस्पताल में तोड़फोड़ को भी प्रायोजित किया। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया और यह आदेश दिया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को राज्य सरकार परेशान नहीं करे।

तथापि, इस आदेश के बावजूद, कोलकाता पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया, जिसमें वॉटर कैनन और लाठियों का इस्तेमाल हुआ, जिससे कई घायल हुए और गिरफ्तारियां भी हुईं। इस घटना ने राज्य में कानून व्यवस्था और संवेदनशील मामलों की हैंडलिंग पर सवाल खड़े किए हैं।

ममता बनर्जी के बयान कि 'बंगाल में लोकतंत्र की भावना जीवित है', को आलोचकों ने चुनौती दी है। वे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि प्रदर्शनकारियों पर किए गए हिंसक दमन और मामले की कथित गलत हैंडलिंग ने लोकतांत्रिक मूल्यों की आधिकारिकता को हिला दिया है।

वीभत्स घटना का विवरण

31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर कोलकाता के प्रतिष्ठित आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रही थीं। 9 अगस्त को उनके साथ बलात्कार और फिर हत्या कर दी गई। यह घटना न केवल मेडिकल समुदाय के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक बड़ी त्रासदी थी। इस वीभत्स घटना ने पूरे राज्य में सदमे की लहर पैदा कर दी।

पीड़िता के परिवार के अनुसार, पर्याप्त सुरक्षा उपाय और तेज़ कार्रवाई न होने के कारण इस घटना को अंजाम दिया गया। पीड़िता की मां ने आंसुओं से भरी आवाज़ में कहा, 'हमारी बेटी के लिए न्याय चाहिए, उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई, हमें पुलिस और सरकार से कोई मदद नहीं मिली।' यह बयान उस व्यवस्था पर एक सीधा सवाल है, जो नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

कानूनी प्रक्रिया में आरोप

वकील बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गवाहों को खरीदने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि 'बलात्कार पीड़ितों के लिए मुख्यमंत्री के पास एक 'निर्धारित दर कार्ड' है और वो गवाहों को चुप कराने के लिए उनकी बोलियों लगाती हैं।' इस आरोप ने प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

प्रदर्शन और पुलिस की बर्बरता

इस मामले के खुलासे के बाद राज्य भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। आम जनता, डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों ने सड़कों पर उतरकर न्याय की गुहार लगाई। उनकी मांग थी कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाया जाए।

हालांकि, प्रदर्शनकारियों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें की गईं, लाठियाँ बरसाई गईं और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस पुलिस बर्बरता ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।

राजनीतिक बयानबाजी और प्रतिक्रियाएं

मुख्य विपक्षी दलों और अन्य राजनीतिक नेताओं ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की है। भाजपा नेता दिलीप घोष ने कहा, 'यह सरकार सिर्फ तमाशा देखती है और कुछ नहीं करती। ममता बनर्जी को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।'

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी इस घटना की निंदा की और कहा, 'न्याय की लड़ाई में हम पीड़िता के परिवार के साथ हैं। इस मामले में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।'

आम जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर लोगों में आक्रोश देखने को मिला। अनेक लोगों ने #JusticeForRGPDoctor हैशटैग के तहत अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। एक ट्विटर यूजर ने लिखा, 'यह कितना शर्मनाक है कि हमारे देश में डॉक्टरों तक की सुरक्षा नहीं है। ममता बनर्जी को तुरंत जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।'

समाज पर प्रभाव

इस घटना का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है। लोगों का व्यवस्था और प्रशासन पर विश्वास कमजोर हो गया है। पीड़िता के परिवार का दर्द और आम जनता का आक्रोश यह बताता है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए और क्या किया जाना चाहिए।

इस घटना ने समाज के विभिन्न वर्गों में सोचे-समझे कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है। महिलाओं की सुरक्षा, न्याय प्रणाली में पारदर्शिता, और संवेदनशील मामलों में प्रशासन की कार्रवाई को सुदृढ़ करना आवश्यक हो गया है।

ममता बनर्जी और उनकी सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। इस मामले ने न केवल उनकी प्रशासनिक क्षमताओं पर सवाल उठाए हैं बल्कि उनके नेतृत्व की साख पर भी। राज्य में बढ़ते क्रोध और न्याय की मांग को ध्यान में रखते हुए अब देखना होगा कि ममता बनर्जी कैसे इस स्थिति का समाधान करती हैं।