मोदी 3.0: केरला से मंत्री बनने की संभावित उम्मीदवार जॉर्ज कुरियन कौन हैं? जून, 9 2024

जॉर्ज कुरियन: केरला से मोदी सरकार में संभावित नई चेहरे

जॉर्ज कुरियन का नाम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बनकर उभरा है, और अब वे तीसरी मोदी सरकार में मंत्री बनने के संभावित उम्मीदवार हैं। वर्तमान में, कुरियन बीजेपी के केरला राज्य महासचिव हैं और उन्हें विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं में देखा गया है। 2016 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पुषुपल्ली से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।

करियर की शुरुआत

जॉर्ज कुरियन का राजनीति में प्रवेश छात्र मोर्चा के माध्यम से हुआ था। उन्होंने पहले छात्र मोर्चा से जुड़ाव बनाया और फिर माइनॉरिटी मोर्चा का सदस्य बन गए। उनके इस सफर में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर शामिल हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है कि वे 2017 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए पहले केरला के व्यक्ति थे।

बीजेपी के अनुभवी नेता

जॉर्ज कुरियन बीजेपी की राजनीति में लंबे समय से जुटे हुए हैं। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्यता और युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद भी संभाला है। इसके अलावा, वे बीजेपी के कोट्टायम जिले के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके इन तमाम पदों और भूमिकाओं से यह स्पष्ट होता है कि वे पार्टी में एक मजबूत और प्रभावी नेता बनकर उभरे हैं।

शिक्षा और व्यक्तिगत जीवन

जॉर्ज कुरियन ने कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है और वे हिंदी में भी पारंगत हैं। उनके शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उन्हें राजनीति में एक मजबूत आधार दिया है। उनकी शिक्षा और कानून के प्रति रुचि ने उनकी राजनीतिक विचारधारा को और अधिक मज़बूत किया है।

चुनावी सफर

जॉर्ज कुरियन ने ना केवल विधानसभा चुनावों में भाग लिया है, बल्कि वे सांसद चुनावों में भी अपने भाग्य को आजमाने का प्रयास कर चुके हैं। उन्होंने कोट्टायम और इडुक्की संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है। भले ही वे इन चुनावों में जीत हासिल ना कर सके हों, लेकिन उनके इस संघर्ष ने उन्हें पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह एक मजबूत पहचान दिलाई है।

भविष्य की योजना

जॉर्ज कुरियन के नाम की चर्चाएं तीसरी मोदी सरकार में मंत्री पद के लिए हो रही हैं। खबरों की मानें तो नए एनडीए सरकार में बीजेपी कुछ अहम मंत्रालयों को अपने पास ही रखना चाहती है। इनमें गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय शामिल हैं। वहीं शिक्षा और संस्कृति विभागों को लेकर माना जा रहा है कि बीजेपी इन्हें भी अपने ही पास रखेगी, क्योंकि ये विभाग पार्टी की वैचारिक दृष्टिकोण के प्रमुख हिस्से हैं।

अल्पसंख्यकों की आवाज

जॉर्ज कुरियन की पहचान एक ऐसे नेता के रूप में है जो अल्पसंख्यकों के हितों की बात करते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यकों से संबंधित कई मुद्दों पर आवाज उठाई है। उनकी इस भूमिका से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर खासी पहचान मिली। अल्पसंख्यकों के साथ जुड़े होने के कारण वे पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति साबित हो सकते हैं।

समर्थन और आलोचना

किसी भी राजनीतिक नेता की तरह, जॉर्ज कुरियन को भी समर्थन और आलोचना का सामना करना पड़ा है। जहां उनके समर्थक उन्हें एक सजग और दूरदर्शी नेता के रूप में देखते हैं, वहीं उनके विरोधी उनके विचारों और नीतियों पर सवाल उठाते हैं। बावजूद इसके, उन्होंने राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

निष्कर्ष

जॉर्ज कुरियन का नाम भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बनकर आया है। उनकी शिक्षा, राजनीतिक अनुभव और नेतृत्व की क्षमताएं उन्हें आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती हैं। यदि वे तीसरी मोदी सरकार में मंत्री बनाए जाते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे सरकार और पार्टी की नीतियों को आगे बढ़ाने में कैसे योगदान देते हैं।

11 टिप्पणि

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    Pramod Lodha

    जून 10, 2024 AT 14:20

    जॉर्ज कुरियन तो असली गेम चेंजर हैं! केरल में बीजेपी का नया चेहरा बन गए हैं। ये आदमी सिर्फ बोलते नहीं, काम भी करते हैं। छात्र मोर्चे से शुरू करके राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग तक पहुंचे, ये कोई छोटी बात नहीं।

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    Neha Kulkarni

    जून 11, 2024 AT 04:46

    जॉर्ज कुरियन के राजनीतिक एजेंडे में अल्पसंख्यक सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशन के विचार गहराई से निहित हैं, जो एक विविध राष्ट्रीय वातावरण में एक विशिष्ट नैतिक आधार प्रदान करते हैं। उनकी कानूनी पृष्ठभूमि और संवैधानिक जागरूकता उन्हें एक व्यवस्थित नीति निर्माता बनाती है।

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    Sini Balachandran

    जून 12, 2024 AT 15:04

    क्या ये सब सिर्फ एक बड़ा नाटक है? क्या वाकई कोई अल्पसंख्यक नेता बन सकता है जब सब कुछ एक ही धारा में बह रहा है?

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    Sanjay Mishra

    जून 14, 2024 AT 09:04

    अरे भाई! जॉर्ज कुरियन को देखो ना, ये तो बीजेपी का बाबा बन गए हैं! एक ओर बातचीत करते हैं, दूसरी ओर जमीन पर लोगों को जोड़ रहे हैं। बीजेपी को ये आदमी चाहिए, ना कि सिर्फ टीवी पर बोलने वाले! इडुक्की से लेकर नई दिल्ली तक, ये आदमी एक आग है!

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    Ashish Perchani

    जून 15, 2024 AT 16:48

    संसदीय चुनाव में हारना निराशाजनक है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व की भूमिका निभाना अधिक महत्वपूर्ण है। जॉर्ज कुरियन की व्यक्तिगत विशेषताएँ, जैसे कि कानूनी शिक्षा और अल्पसंख्यक समुदायों के साथ संवाद करने की क्षमता, उन्हें एक अत्यंत योग्य उम्मीदवार बनाती हैं।

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    Dr Dharmendra Singh

    जून 17, 2024 AT 01:42

    ये आदमी अच्छा है... 👍 उम्मीद है वो मंत्री बनेंगे। बीजेपी को ऐसे लोग चाहिए।

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    sameer mulla

    जून 17, 2024 AT 12:36

    अरे यार! ये सब बस दिखावा है! बीजेपी को अल्पसंख्यकों की जरूरत है तो वो एक नेता बना रही है? ये तो बस वोट बांटने के लिए बनाया गया टॉय डॉल है! असली बदलाव क्या हुआ? नहीं कुछ! 😤

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    Prakash Sachwani

    जून 18, 2024 AT 22:58

    जॉर्ज कुरियन बीजेपी के लिए अच्छा है और केरल में भी अच्छा काम कर रहे हैं अगर वो मंत्री बने तो अच्छा होगा

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    Pooja Raghu

    जून 20, 2024 AT 10:26

    क्या ये सब अमेरिका की साजिश है? क्या वो लोग जानते हैं कि जॉर्ज कुरियन को बीजेपी ने इसलिए चुना कि वो बाहरी शक्तियों के लिए खुला दरवाजा बन जाए?

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    Pooja Yadav

    जून 20, 2024 AT 21:10

    अगर जॉर्ज कुरियन मंत्री बने तो बहुत अच्छा होगा क्योंकि वो अल्पसंख्यकों की आवाज हैं और बीजेपी को ऐसे लोग चाहिए

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    Pooja Prabhakar

    जून 21, 2024 AT 21:29

    अरे यार ये सब फिर से शुरू हो गया! एक आदमी को बीजेपी का नेता बनाने के लिए उसकी शिक्षा, कानून की डिग्री, छात्र मोर्चा, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का उपाध्यक्ष - सब कुछ लिख दिया गया। लेकिन बताओ तो उसने क्या बदलाव लाया? क्या कोट्टायम में बीजेपी का वोट बढ़ा? नहीं! क्या उसने अल्पसंख्यकों के लिए कोई विधेयक लाया? नहीं! ये सब बस एक बड़ा टीवी शो है जिसमें लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। वो जो बोल रहे हैं, वो बातें सब जानते हैं। लेकिन जब बात असली काम की आती है, तो सब चुप हो जाते हैं। अब बीजेपी उन्हें मंत्री बनाने वाली है? अच्छा तो अब उनकी जगह किसकी होगी? जिसका दिमाग भी नहीं है, उसको बताओ कि नीति बनाने के लिए सिर्फ नाम नहीं, असली नतीजे चाहिए!

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