पापांकुशा एकादशी 2024: व्रत कथा, महत्व और अनुष्ठान से पाएं मोक्ष अक्तू॰, 14 2024

पापांकुशा एकादशी का महत्व और व्रत का पौराणिक संदर्भ

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। पापांकुशा एकादशी, अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है, जिसका उद्देश्य भगवान विष्णु की आराधना कर आत्मा का शुद्धिकरण करना है। इस वर्ष यह व्रत 13 अक्टूबर 2024 को पड़ रहा है। पापांकुशा एकादशी का व्रत न केवल जीवन से पाप दूर करता है, बल्कि मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। यह धार्मिक अनुष्ठान हर साल 24 बार होता है, परंतु पुरुषोत्तम महीने के कारण यह संख्या कुछ वर्षों में 26 भी हो जाती है।

व्रत का पालन कैसे करें?

पापांकुशा एकादशी का व्रत करने वाले भक्तों को इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दिनभर उपवास रखें और विशेष रूप से तुलसी पत्र भगवान पद्मनाभा को चढ़ाएं। यह माना जाता है कि इस दिन तुलसी स्वयं भी उपवास करती हैं, इसलिए उन्हें जल न अर्पित करें। व्रत का पारण द्वादशी तिथि के चौथे प्रहर में करना शुभ माना गया है। व्रत के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और ध्यान रखें कि मनोवांछित फल केवल सच्ची भक्ति से ही प्राप्त होता है।

पापांकुशा एकादशी की कथा

इस व्रत की एक मार्मिक कथा है जो क्रोधित शिकारी की कहानी बताती है, जो अपने जीवनकाल में पाप कर्मों में लिप्त रहता था। यह शिकारी क्रोध नामक था जो विंध्याचल पर्वत पर रहता था और लूटपाट, मदपान, और हिंसा में समय बिताता था। जब उसके मरने का समय आया, तो यमराज के दूत उसे लेने आए। मृत्यु के भय से विश्रंखल शिकारी ने अंगिरा ऋषि की शरण ली। ऋषि ने उसे पापांकुशा एकादशी का उपवास करने की सलाह दी। यह व्रत करने से उसने अपने पाप धो दिए और मोक्ष प्राप्त किया।

आध्यात्मिक फल और शांति

पापांकुशा एकादशी व्रत न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है। धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन के व्रत और कथा के श्रवण से व्यक्ति जीवन के कष्टों से मुक्ति पाता है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। भक्त लोग इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं और रात्रि जागरण कर भगवत कथा सुनते हैं। ऐसे प्रयासों से मनुष्य के रोग-शोक दूर होते हैं और उसे प्रेरणा सजीव करने का अवसर मिलता है।

वास्तव में, पापांकुशा एकादशी भावनात्मक संवर्धन का एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है। यह दिन उन लोगों के लिए खास है जो भगवान विष्णु की भक्ति में सच्चा विश्वास रखते हैं और अपने जीवन को आत्मिक रूप से संतुलित करना चाहते हैं। इस दिन की पूजा और व्रत का पालन भक्तों को आत्मा के वास्तविक मर्म तक ले जाता है, जो शांति और मोक्ष का स्रोत बनता है।