पेरिस ओलंपिक्स 2024: एचएस प्रणय ने जर्मनी के फाबियन रोथ को सीधे गेम में हराया जुल॰, 29 2024

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 के पुरुष एकल ग्रुप स्टेज मुकाबले में जर्मनी के फाबियन रोथ को सीधे गेम में हराकर शानदार प्रदर्शन किया। प्रणय ने यह मैच 21-18, 21-12 से अपने नाम किया। इस मैच में उनकी फिटनेस और खेल कौशल की झलक देखने को मिली, खासकर जब कुछ ही हफ्ते पहले उन्होंने चिकनगुनिया से उबरने का साहसिक काम किया था।

प्रणय का मुकाबला 45 मिनट तक चला, जिसमें उन्होंने अपनी तेजी और उत्कृष्ट नेट गेम से सबको प्रभावित किया। पहले गेम में फाबियन रोथ ने प्रणय को कड़ी चुनौती दी और उच्च गुणवत्ता की रैलियों में उलझाने की कोशिश की। हालांकि, प्रणय ने अपनी गति को तेज करते हुए और सटीक शॉट्स लगाते हुए पहली गेम को अपने नाम किया।

दूसरे गेम में प्रणय ने अपनी रणनीति बदली और तेजी से अंक बटोरने लगे। उन्होंने रैलियों को अच्छे से बनाते हुए 7-3 की बढ़त बनाई। उनकी त्वरित चाल, मजबूत नेट गेम और बेहतरीन टच ने विरोधी को मात देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस गेम में आठ मैच प्वाइंट्स बना कर प्रणय ने बढ़त बनाई और अंततः रोथ की गलती का फायदा उठाते हुए मैच अपने नाम कर लिया।

प्रणय का अगला मुकाबला बुधवार को वियतनाम के ले डुक फात के साथ होगा। यह ग्रुप का दूसरा और अंतिम मैच होगा जिसमें उनकी जीत की उम्मीदें और भी ज्यादा होंगी। उनकी ये जीत भारतीय बैडमिंटन में नए उत्साह का संचार कर रही है, खासकर जब भारत की दूसरी स्टार खिलाड़ी पीवी सिंधु ने भी लगातार शानदार जीत हासिल की है। सिंधु ने मालदीव की फातिमाथ अब्दुल रज्जाक के खिलाफ अपनी ओपनिंग ग्रुप स्टेज मैच को सीधे गेम में जीता था, जो भारतीय बैडमिंटन के लिए एक और बड़ी सफलता थी।

प्रणय की इस जीत से भारतीय बैडमिंटन फैंस में खुशी की लहर है। खेल विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रणय इसी फार्म को बनाए रखते हैं, तो वह ओलंपिक्स में एक मजबूत दावेदार साबित हो सकते हैं। उनकी फिटनेस और तकनीकी कौशल उन्हें एक बेहतरीन खिलाड़ी बनाते हैं।

प्रणय का व्यक्तिगत संघर्ष और जीत

प्रणय की यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने थोड़े ही समय पहले चिकनगुनिया जैसी कठिन बीमारी को मात दी। चिकनगुनिया से उबरने के बाद खिलाड़ियों की फिटनेस पर काफी असर पड़ता है, लेकिन प्रणय ने न केवल तेजी से रिकवर किया, बल्कि अपनी क्षमता को साबित भी किया।

खेल के दौरान प्रणय के धैर्य और संघर्ष को देखना बेहद प्रेरणादायक था। इससे यह भी साबित होता है कि अगर खिलाड़ी मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत हो, तो किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। प्रणय ने यह भी दिखा दिया कि भारतीय खिलाड़ियों में भी विश्व स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की क्षमता है।

सफलता की कहानी

प्रणय का यह सफर आसान नहीं था। चिकनगुनिया से उबरने के बाद उनके लिए कोर्ट पर वापस आना और फिर से अपनी लय खोजने में वक्त लगा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और निरंतर अभ्यास से अपनी कमजोरी को ताकत बनाया। उनकी इस संघर्ष की कहानी किसी भी खिलाड़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती है।

भविष्य में प्रणय के सामने और भी चुनौतियां होंगी, लेकिन अगर वह इसी तरह दिलचस्प और उत्कृष्ट खेल दिखाते रहे, तो भारतीय बैडमिंटन को उनकी रूप में एक नया हीरो मिल सकता है।

भारत की बढ़ती ताकत

भारत की बढ़ती ताकत

भारतीय बैडमिंटन टीम की सफलता किसी एक खिलाड़ी तक सीमित नहीं रह गई है। पीवी सिंधु से लेकर किदांबी श्रीकांत तक, हर खिलाड़ी ने अपने आप को साबित किया है। एचएस प्रणय की यह जीत भारतीय बैडमिंटन के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक और कदम है।

भारतीय बैडमिंटन संघ भी खिलाड़ियों की मेहनत और उनकी सफलता को और बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है। उच्च गुणवत्ता के प्रशिक्षण और विशेष कोचिंग सुविधाएं अब भारतीय खिलाड़ियों को विश्व स्तर पर मुकाबला करने में मदद कर रही हैं।

आज भारतीय बैडमिंटन टीम का प्रदर्शन केवल देश के लिए गर्व का विषय ही नहीं, बल्कि बाकी उभरते खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गया है। प्रणय और सिंधु की इस जीत से भारतीय बैडमिंटन को एक नई पहचान मिल रही है और संभावनाएं असीम हैं।