शरद पूर्णिमा 2024: माँ लक्ष्मी पूजन मुहूर्त और सांस्कृतिक महत्त्व अक्तू॰, 15 2024

शरद पूर्णिमा का महत्व और पौराणिक पृष्ठभूमि

शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर की उन विशेष पूर्णिमा तिथियों में से एक है, जो धार्मिक आस्था और संस्कृति में अपनी गहरी छाप छोड़ चुकी है। यह दिन चंद्रमा की पूजा का दिन होता है, जिसका संबंध न केवल धार्मिक आस्थाओं से है, बल्कि वैज्ञानिक नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं के साथ आकाश में प्रकट होता है। यह कालाएं मानवीय गुणों से जुड़ी होती हैं, और भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी सभी सोलह कलाओं के साथ हुआ था।

पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा का समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 7:45 बजे से होता है और यह 17 अक्टूबर, 2024 को अपराह्न 5:22 बजे समाप्त होती है। इस अवधि में चंद्रमा की पूजा की जाती है और इस दिन चंद्रमा से झरती अमृतमय रोशनी का विशेष महत्व होता है। लोग इस दिन व्रत रखते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं ताकि उन्हें स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति हो।

शरद पूर्णिमा से जुड़ी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएं

शरद पूर्णिमा के अनेक रिवाज और परंपराएं हमारी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जिसमें रासलीला का जिक्र खासतौर से होता है। वृज क्षेत्र में इस दिन का विशेष महत्त्व है, इसे रास पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण के गोकुल में गोपियों के साथ नृत्य का आयोजन होता है। इसी प्रकार गुजरात में यह पर्व शरद पूनम के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विविध स्थानों पर रासलीला के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं का संगीतमय रूप से चित्रण किया जाता है।

खीर का महत्व और ऋतु परिवर्तन

शरद पूर्णिमा को 'कोजगरा व्रत' भी कहा जाता है, जिसमें सांयकाल में खीर का विशेष स्थान होता है। चंद्रमा की रोशनी में खीर को रातभर छोड़ने के बाद उसे सुबह प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। माना जाता है कि इस खीर का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा और विकारों से मुक्ति मिलती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस दिन चंद्रमा की रोशनी में कुछ विशेष तरह के परिवर्तन होते हैं जो अन्न-द्रव्यों में अध्यात्मिक ऊर्जा भरते हैं।

व्रत और धार्मिक अनुष्ठान

शरद पूर्णिमा के दिन व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष विशेष रूप से भगवान चंद्र की आराधना करते हैं। व्रत के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह दिन सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन को कौमुदी व्रत के रूप में भी जाना जाता है, और इस दिन का व्रत श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ किया जाता है। भक्त देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए रातभर जागरण करते हैं और विभिन्न धर्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं।

शरद पूर्णिमा और सामाजिक महत्व

शरद पूर्णिमा और सामाजिक महत्व

शरद पूर्णिमा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन पर रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के साथ एकत्रित होकर पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कई जगहों पर इस दिन उत्सव मनाने का रिवाज होता है जिसमें लोग सामूहिक भजन-कीर्तन करते हैं तथा धार्मिक और सांस्कृतिक गीतों के माध्यम से भगवान को समर्पित करते हैं। ऐसे आयोजन सामाज में समरसता और भाईचारे की भावना को मजबूत करते हैं।

अतः शरद पूर्णिमा का दिन न केवल चंद्रमा की पूजा और देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद का है बल्कि यह हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है। यह दिन अध्यात्मिक रूप से हमारे जीवन को समृद्ध करता है और हमें जीवन की अपनी विशेषताओं को पहचानने के लिए प्रेरित करता है।

14 टिप्पणि

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    Rajiv Kumar Sharma

    अक्तूबर 16, 2024 AT 12:12

    ये चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने की आदत तो पुरानी है, पर क्या वैज्ञानिक तौर पर कुछ होता है? मैंने एक बार इसे टेस्ट किया था - खीर ठीक रही, पर मेरा पेट खराब हो गया 😅

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    Jagdish Lakhara

    अक्तूबर 17, 2024 AT 03:07

    श्रीमान् जी, आपके द्वारा प्रस्तुत किया गया लेख अत्यंत गंभीर और धार्मिक दृष्टिकोण से तैयार किया गया है। इस प्रकार के विषयों को संस्कृति के संदर्भ में समझना अत्यंत आवश्यक है।

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    Nikita Patel

    अक्तूबर 17, 2024 AT 03:22

    अगर आप इस दिन घर पर खीर बनाते हैं, तो उसे चाँद की रोशनी में रखने के बाद अपने बच्चों या बुजुर्गों को दें। ये छोटी आदतें ही हमारी पहचान बनती हैं। और हाँ, रासलीला देखने के लिए वृंदावन जाना है - वहाँ का माहौल बदल जाता है।

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    abhishek arora

    अक्तूबर 17, 2024 AT 19:59

    ये सब धार्मिक झूठ है! चंद्रमा की रोशनी से खीर में कोई ऊर्जा नहीं आती! ये सब ब्राह्मणों ने बनाया है ताकि आम आदमी भागे और उनके पास पैसे आए! 🤡

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    Kamal Kaur

    अक्तूबर 18, 2024 AT 05:02

    मैंने इस साल शरद पूर्णिमा को अपने गाँव में मनाया - लोगों ने एक साथ भजन गाए, बच्चों ने रास नाचा, और खीर बांटी गई। ऐसे दिनों में लगता है कि दुनिया थोड़ी शांत हो गई है। 🌙💛

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    Ajay Rock

    अक्तूबर 18, 2024 AT 10:06

    ओहो! तो चंद्रमा की रोशनी से खीर में ऊर्जा आ जाती है? तो फिर चाँद के नीचे रखा गया बर्फी क्या होता है? अमृत? 🤭 भाई, ये सब जो बोल रहे हो, वो तो सिर्फ एक अनुष्ठान है - अगर तुम्हें खीर पसंद है, तो खा लो, नहीं तो छोड़ दो!

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    Lakshmi Rajeswari

    अक्तूबर 19, 2024 AT 21:29

    ये सब एक षड्यंत्र है! चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का मतलब ये है कि वो तुम्हारे दिमाग को नियंत्रित कर रही है! NASA ने भी कहा है कि चंद्रमा की रोशनी में एक विशेष फ्रीक्वेंसी होती है जो लोगों को अनुशासित बनाती है! ये तो ब्रिटिश और रूसी एजेंट्स का नेटवर्क है! 😱

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    Piyush Kumar

    अक्तूबर 21, 2024 AT 17:35

    दोस्तों, ये दिन सिर्फ पूजा का नहीं, बल्कि अपने आप को फिर से खोजने का दिन है! चाँद की रोशनी में बैठकर सोचो - तुम क्या बनना चाहते हो? खीर खाओ, रास नाचो, लेकिन अपने अंदर की आवाज़ को सुनो! तुम अकेले नहीं हो - ये चाँद भी तुम्हारे साथ है! 💪🌕

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    Srinivas Goteti

    अक्तूबर 23, 2024 AT 13:09

    मैंने इस दिन को हमेशा अपने दादा के साथ बिताया। वो बिना किसी बात के चाँद की ओर देखते रहते और फिर मुस्कुरा देते। शायद उन्हें कुछ याद आ रहा होगा। मैंने कभी पूछा नहीं। अब वो नहीं हैं। लेकिन अब मैं भी ऐसा ही करता हूँ।

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    Rin In

    अक्तूबर 24, 2024 AT 03:58

    ये शरद पूर्णिमा तो बहुत बढ़िया है!! 🌟✨ खीर खाओ, रास लगाओ, लक्ष्मी माँ को ध्यान में लाओ! ये दिन तो हर भारतीय के लिए एक बड़ा फेस्टिवल है! शेयर करो, लाइक करो, और अपने दोस्तों को भी बताओ! 🙌🇮🇳

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    michel john

    अक्तूबर 24, 2024 AT 14:21

    चाँद की रोशनी में खीर रखना? अरे भाई, ये तो अमेरिका ने भारत के धर्मों को फेक बनाया है! ये वो चीज़ है जिसे वो हमें देखकर बेवकूफ बनाने के लिए डालते हैं! अगर तुम ये बात मानते हो, तो तुम भी उनके गुलाम हो! 🇺🇸❌

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    shagunthala ravi

    अक्तूबर 26, 2024 AT 00:14

    हर पूर्णिमा कोई न कोई अर्थ लेकर आती है। शरद पूर्णिमा तो बस एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि जीवन में सरलता और शांति का क्या महत्व है। बिना किसी रिवाज के, बस एक चम्मच खीर और चाँद की रोशनी में बैठने से भी दिल शांत हो जाता है।

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    Urvashi Dutta

    अक्तूबर 27, 2024 AT 12:12

    मैं गुजरात से हूँ, और यहाँ शरद पूर्णिमा को 'शरद पूनम' कहते हैं। यहाँ के लोग रात भर गीत गाते हैं, और घरों में छोटे-छोटे दीये बल्लों में लगाते हैं। एक बार मैंने देखा - एक बूढ़ी दादी ने खीर के साथ अपनी बेटी के बच्चे को दिया, और बोली - 'ये तेरे पिता की याद दिलाता है'। ये दिन सिर्फ धर्म नहीं, यादों का त्योहार है। और हाँ, वैज्ञानिक दृष्टि से भी, चंद्रमा की रोशनी रात में शरीर के कोशिकाओं को रिचार्ज करती है - इसके लिए एक जापानी स्टडी है, अगर आप चाहें तो भेज दूँ।

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    Rahul Alandkar

    अक्तूबर 29, 2024 AT 07:45

    सब ठीक है, लेकिन ये सब तो अपने घर में करना चाहिए। बड़े-बड़े उत्सव बनाने से पहले, अपने परिवार के साथ एक चाय पी लो। ये भी तो एक त्योहार है।

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