भारतीय शेयर बाजार में 2025 में भारी गिरावट: जानें क्या हैं कारण
१३ जनवरी, २०२५ को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। बीएसई सेंसेक्स में १०३१.६५ अंकों की गिरावट हुई, जिससे यह ७६,३४७.२६ के स्तर पर बंद हुआ। इस गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है। निफ्टी ५० भी नकारात्मक असर में रहा, जिसमें ३४५.५५ अंकों की गिरावट दर्ज की गई, और यह २३,०८५.९५ अंक पर आ गया। यह गिरावट विदेशी बाजारों की घटनाओं की भी देन थी।
अमेरिकी नौकरियों के डेटा का असर
भारतीय शेयर बाजार में इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी नौकरियों के मजबूत डेटा को माना जा रहा है। अमेरिकी रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति को लेकर निवेशकों में असमंजस देखा गया, क्योंकि इस डेटा के बाद ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं कम हो गई हैं। इससे अमेरिका के दस साल के बॉन्ड यील्ड सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए हैं।
इसके अलावा, डॉलर इंडेक्स भी नवंबर २०२२ के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। तेल की कीमतों में उछाल अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रतिफल है, जिससे ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें ८१ डॉलर तक पहुंच गई हैं। इन वैश्विक घटनाओं ने भारतीय निवेशकों की धारणा को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।
कंपनियों पर गिरावट का असर
इस मंदी का असर विभिन्न कंपनियों के शेयरों पर स्पष्ट रूप से देखा गया। अदानी एंटरप्राइजेस, ब्रेल एलेक्ट्रोनिक्स, और पॉवर ग्रिड कारपोरेशन जैसे प्रमुख स्टॉक्स में ६.२१% तक की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, कुछ कंपनियां जैसे एक्सिस बैंक, टीसीएस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और इंडसइंड बैंक ने मामूली वृद्धि दर्ज की।
वैश्विक बाजार का संदर्भ
गिरावट का प्रभाव केवल भारतीय बाजार तक सीमित नहीं था। अमेरिका में डाव जोन्स ने करीब ७०० अंकों की गिरावट दर्ज की, जिससे अमेरिकी निवेशकों के मनोबल पर भी असर पड़ा। यूरोपीय बाजार भी अमेरिकी नौकरियों के डेटा के बाद कमजोर हो गए। इन सबके बीच, निवेशकों की निगाहें अब भविष्य में आने वाले आर्थिक और राजनीतिक घटनाक्रमों पर टिकी हुई हैं।
विश्व अर्थव्यवस्था में चल रही अनिश्चितता का असर दीर्घकालिक आर्थिक रणनीतियों और निवेश निर्णयों पर पड़ा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह साभाविक है कि निवेशकों को अंततः अपनी रणनीतियों में सतर्कता और विवेक का पालन करना होगा। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण समय हो सकता है जब वे अपनी निवेश योजनाओं की समीक्षा करें। शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच विवेकशीलता और रोगतिकता को अपनाना अत्यावश्यक है।