UPSC सिविल सेवा परीक्षा संरचना में बदलाव की संभावना, संसदीय समिति ने उत्तर कुंजी शीघ्र जारी करने की सिफारिश की अप्रैल, 14 2025

हाल ही में एक संसदीय समिति ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा की संरचना में व्यापक सुधार लाने की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट में परीक्षा के पैटर्न में संभावित परिवर्तनों और उत्तर कुंजी को शीघ्र जारी करने पर जोर दिया गया है। यह प्रस्ताव पारदर्शिता और परीक्षा प्रक्रिया की दक्षता पर लंबे समय से चल रही चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार किए गए हैं।

परीक्षा संरचना में सुधार

सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों में से एक है परीक्षा मूल्यांकन प्रक्रिया का पुनर्गठन, जिससे प्रारंभिक (प्रीलिम्स) और मुख्य (मेन्स) परीक्षाओं के बीच की अवधि को कम किया जा सके। समिति का मानना है कि पाठ्यक्रम को सरल बनाना या प्रश्न पत्र के प्रारूप में परिवर्तन करना आवश्यक हो सकता है, ताकि यह आधुनिक शासन की आवश्यकताओं के साथ तालमेल बिठा सके।

त्वरित उत्तर कुंजी जारी करने की सिफारिश

रिपोर्ट में प्रमुख प्रस्ताव है कि परीक्षा के तुरंत बाद ही उत्तर कुंजी जारी कर दी जाए। इससे उम्मीदवार को किसी भी प्रकार की विसंगतियों को तुरंत चुनौती देने का अवसर मिलेगा, जिससे पारदर्शिता में सुधार होगा।

इसके अलावा, समिति ने परीक्षा प्रशासन के लिए अधिक डिजिटल उपकरणों को अपनाने का सुझाव दिया है। इसमें ऑनलाइन प्रश्न बैंक और रियल-टाइम स्कोर ट्रैकिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल शामिल है, जिनसे प्रशासनिक विलम्ब को कम किया जा सके।

समिति की सिफारिशों में अभ्यर्थियों के लिए एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली की भी आवश्यकता जताई गई है। इसके माध्यम से उम्मीदवार उत्तर कुंजी पर अपत्तियाँ ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से छोटे समय-सीमा में प्रस्तुत कर सकते हैं।

इन सिफारिशों को देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि समिति ने उम्मीदवारों और कोचिंग संस्थानों से उठी सुधारों की मांगों पर ध्यान दिया है। हालांकि, क्रियान्वयन की समयसीमा और प्रमुख हितधारकों के साथ परामर्श अभी अस्पष्ट है। UPSC ने अब तक यह पुष्टि नहीं की है कि क्या ये प्रस्ताव 2025 के परीक्षा चक्र या उससे आगे के लिए लागू किए जाएंगे।

9 टिप्पणि

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    Urvashi Dutta

    अप्रैल 15, 2025 AT 16:57

    ये सब सुधार तो बहुत अच्छे हैं, लेकिन असली समस्या तो ये है कि UPSC अभी भी 19वीं सदी के ढांचे में काम कर रहा है। हमारे पास AI-आधारित मूल्यांकन, ऑनलाइन शिकायत पोर्टल, रियल-टाइम स्कोरिंग-सब कुछ है, लेकिन अभी भी हम एक कागज की उत्तर कुंजी का इंतजार कर रहे हैं जो 3 महीने बाद आती है। ये तो बस एक रूढ़िवादी ब्यूरोक्रेसी का अंतिम शरणस्थल है। मैं तो सोचती हूँ कि अगर ये सुधार असली मतलब रखते हैं, तो इन्हें अगले 6 महीने में लागू कर देना चाहिए, न कि 2025 के लिए टाल देना।

    और हाँ, उत्तर कुंजी तुरंत जारी करना बस एक शुरुआत है। अगर हम वाकई पारदर्शिता चाहते हैं, तो प्रश्न पत्रों का विश्लेषण भी जारी करना चाहिए-कौन से प्रश्न अनुचित थे, किसने लिखे, क्यों लिखे। ये बस एक शिकायत प्रणाली नहीं, एक शिक्षण प्रणाली बननी चाहिए।

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    Rahul Alandkar

    अप्रैल 17, 2025 AT 13:46

    इस रिपोर्ट को पढ़कर लगा कि किसी ने सही बातें कह दीं। बहुत अच्छा है कि उत्तर कुंजी जल्दी आएगी। बस ये नहीं होना चाहिए कि फिर भी अपील के लिए 2 महीने लग जाएं।

    मैंने 2022 में परीक्षा दी थी, और उत्तर कुंजी 10 दिन बाद आई थी-लेकिन उसमें 3 प्रश्न गलत थे। अपील करने के बाद 4 महीने बाद ही ठीक हुआ। अगर ये सुधार असली हैं, तो इन्हें अमल में लाना होगा।

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    Jai Ram

    अप्रैल 18, 2025 AT 05:11

    बहुत अच्छी सिफारिशें! 😊

    ऑनलाइन प्रश्न बैंक और रियल-टाइम स्कोरिंग तो बस जरूरी हैं। मैंने कोचिंग में देखा है कि कितने बच्चे एक दिन में 100+ प्रश्न हल कर लेते हैं-अगर उनका स्कोर तुरंत दिख जाए, तो वो अपनी गलतियाँ तुरंत सुधार सकते हैं।

    शिकायत प्रणाली के लिए एक ट्रैकिंग सिस्टम भी चाहिए-जैसे आपकी शिकायत रजिस्टर्ड हुई, अब इसकी स्थिति है ‘रिव्यू इन प्रोग्रेस’। ये बस एक छोटा सा टूल है, लेकिन बहुत बड़ा असर डालेगा।

    UPSC को बस थोड़ा सा डिजिटल दिमाग चाहिए। बाकी सब तो है ही।

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    Vishal Kalawatia

    अप्रैल 18, 2025 AT 21:11

    ये सब बकवास है। अगर तुम इतने सारे बदलाव चाहते हो, तो पहले अपने घर से शुरू करो। आजकल के युवा क्या कर रहे हैं? बस इंटरनेट पर बैठे हैं, ‘UPSC में बदलाव चाहिए’ लिख रहे हैं।

    असली समस्या ये है कि लोग पढ़ना नहीं चाहते। बस ट्रिक्स, शॉर्टकट, और उत्तर कुंजी का इंतजार कर रहे हैं।

    मैंने 2010 में परीक्षा दी थी-कोई ऑनलाइन पोर्टल नहीं था, कोई रियल-टाइम स्कोर नहीं था, लेकिन मैंने पढ़ा। अब बच्चे तो एक प्रश्न पर 3 घंटे बर्बाद कर देते हैं कि ‘ये प्रश्न क्यों आया?’

    UPSC को बदलने की जरूरत नहीं, बच्चों को बदलने की जरूरत है।

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    Kirandeep Bhullar

    अप्रैल 19, 2025 AT 01:47

    हम सब यही बात कर रहे हैं कि उत्तर कुंजी जल्दी आए, प्रश्न पत्र अधिक पारदर्शी हो, डिजिटल सिस्टम लगे...

    लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि ये सब क्यों जरूरी है? क्योंकि हम एक परीक्षा के लिए नहीं, एक सामाजिक असमानता के लिए लड़ रहे हैं।

    UPSC एक ऐसा संस्थान है जो राष्ट्रीय शासन की नींव रखता है-लेकिन अगर इसकी प्रक्रिया अभी भी अंधेरे में है, तो ये सिर्फ एक नए तरीके से वर्ग विभाजन को बनाए रख रहा है।

    हम उत्तर कुंजी की बात कर रहे हैं, लेकिन वो लोग जिनके पास कोचिंग का पैसा नहीं, उनके लिए तो ये परीक्षा ही एक अनुमान का खेल है।

    हम तकनीकी सुधारों की बात कर रहे हैं, लेकिन असली सुधार तो तब होगा जब एक गाँव का लड़का भी बिना कोचिंग के बराबर मौका पाए।

    ये सब बदलाव बस एक बाहरी चमक है। अंदर तो वही असमानता है।

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    DIVYA JAGADISH

    अप्रैल 20, 2025 AT 07:01
    उत्तर कुंजी जल्दी आए तो बहुत अच्छा होगा
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    Amal Kiran

    अप्रैल 20, 2025 AT 10:41

    ये सब सिफारिशें तो बस एक शोर है। UPSC कभी कुछ नहीं बदलता।

    2015 में भी ऐसी ही सिफारिशें आई थीं। क्या हुआ? कुछ नहीं।

    अब ये लोग फिर एक नया रिपोर्ट लिख रहे हैं। बस अपनी नौकरी बचाने के लिए।

    हर साल एक नया रिपोर्ट, हर साल एक नया नाम।

    असली बदलाव तो तब होगा जब UPSC के अध्यक्ष खुद परीक्षा देंगे।

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    abhinav anand

    अप्रैल 21, 2025 AT 23:59

    मैंने इस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ा। कुछ बातें तो बिल्कुल सही हैं-खासकर उत्तर कुंजी का त्वरित जारी करना।

    लेकिन मुझे लगता है कि अगर हम इसे छोटे-छोटे चरणों में लागू करें, तो ज्यादा असर होगा। जैसे पहले बस प्रीलिम्स के लिए उत्तर कुंजी 48 घंटे में, फिर मेन्स के लिए 7 दिन।

    एक बार में सब कुछ बदलने की कोशिश करने से बस बहुत सारी टेक्निकल गड़बड़ियाँ हो सकती हैं।

    और डिजिटल टूल्स के लिए तो एक ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चाहिए-क्योंकि ज्यादातर उम्मीदवार तो अभी भी फोन पर जवाब भरते हैं।

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    Rinku Kumar

    अप्रैल 23, 2025 AT 07:22

    वाह! ये तो बहुत बड़ी बात है।

    अरे भाई, हमारे देश में जब तक एक आदमी को एक चाय का कप नहीं बनाने दिया जाता, तब तक हम उत्तर कुंजी ऑनलाइन करने की बात कर रहे हैं? 😏

    UPSC के लिए ये सब बदलाव बहुत बड़ी बात है। जैसे आप एक रेलगाड़ी को बिना रेल के उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

    लेकिन अगर ये सच में लागू होता है, तो ये भारत की शिक्षा व्यवस्था का सबसे बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा।

    बस एक बात-अगर ये सब लागू हुआ, तो मैं अपने बेटे को बताऊंगा: ‘बेटा, तुम्हारे पापा के समय तो उत्तर कुंजी देखने के लिए तुम्हें 3 महीने रुकना पड़ता था।’

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