देव उठनी एकादशी का पौराणिक महत्व
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में देव उठनी एकादशी को विशेष महत्व दिया गया है। यह दिन भगवान विष्णु के जागरण का दिन होता है जो चार मास की योग निद्रा के बाद होता है। देवशयनी एकादशी से शुरू होकर देव उठनी एकादशी तक का यह काल अवसाद और अशुभ कार्यों से भरा माना जाता है। इस अवधि में कोई भी आब्जनाक्षी और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि के आयोजन नहीं किए जाते।
भक्त जन इस दिन भगवान विष्णु की खास पूजा करते हैं। इसे मनाने का अर्थ है कि सभी शुभ कार्य पुनः आरंभ हो सकते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु के जागने के बाद संसार में शुभता और समृद्धि का नया युग शुरू होता है। यह एक प्रकार का संकेत है कि अब सभी मांगलिक कार्य शुरू हो सकते हैं।
उपवास और पूजा विधि
देव उठनी एकादशी के दिन उपवास रखना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन बिना भोजन और जल के उपवास करना आदर्श माना गया है। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में जैसे बुजुर्ग, बीमार, या बच्चे, फलाहार कर सकते हैं। उपवास में चावल और नमक का सेवन करने की मनाही होती है। यह व्रत करने वाले भक्तों को भगवान विष्णु के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करना चाहिए।
इस दिन पूजा करने के लिए भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष दीप जलाना चाहिए और आपके द्वारा की गई प्रतिबंधित भोजन सामग्री से दूर रहना चाहिए। इस दिन तुलसी का पूजन भी किया जाता है क्योंकि तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है।
तुलसी विवाह और विशेष अनुष्ठान
कुछ परंपराओं में देव उठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन होता है। यह प्रथा धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। तुलसी और भगवान विष्णु (शालिग्राम) का विवाह सबसे शुभ युग्म के रूप में संगठन का प्रतीक है। इस दिन तुलसी की पूजा कर उसे सजाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
देव उठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष देव उठनी एकादशी 11 नवंबर, 2024 की शाम 6:42 बजे शुरू हो रही है और 12 नवंबर, 2024 की शाम 4:04 बजे समाप्त होगी। इस दिन पूजा का उत्तम समय प्रबोधिनी एकादशी को सुबह या रात के समय माना जाता है। पूजा के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का होता है जब वातावरण शुद्ध और शांत होता है। यह समय भक्तों को ध्यान और प्रार्थना में ध्यान लगाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
पूरा व्रत कैसे करें
उपवास की प्रक्रिया बहुत ही सादगी से पूर्ण की जानी चाहिए। यह आपके अध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। व्रत के दिन दिनचर्या की तरह स्तोत्रों का पाठ किया जाता है। कई भक्त उपवास के दौरान भगवान विष्णु के भजन का आयोजन करते हैं और सामूहिक प्रार्थना करते हैं। इस दिन की अन्य विशेषता यह है कि इसे सफाई का दिन भी माना जाता है। इस दिन घर के आसपास की सफाई करना भी शुभ फलदायी होता है।
भक्तों को इस दिन की पूजा विधि और उपवास की प्रतिबद्धता को पूरी निष्ठा के साथ निभाना चाहिए। शिवर्षण के अगमी अद्भुत समय की प्रतीक्षा में रंगबिरंगी रोशनी और आभूषणों से घर को सजाना चाहिए।
देव उठनी एकादशी के व्रत और पूजा विधि मुख्य रूप से अगले वर्ष के लिए शुभ कार्यों के आगमन का संकेत होता है। इस दिन की कठिन दिनचरी करें, यह आशा करते हुए कि भगवान विष्णु आपकी भक्ति से प्रसन्न होकर आपके जीवन को समृद्धि और सुखों से भर देंगे।