कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसा: मालगाड़ी के सिग्नल तोड़ने से कोलकाता-बाउंड एक्सप्रेस की टक्कर से भयानक दुर्घटना जून, 17 2024

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसा: मालगाड़ी की गंभीर चूक

पश्चिम बंगाल के रान्गापानी स्टेशन के पास कोलकाता-बाउंड कंचनजंगा एक्सप्रेस के साथ एक भीषण हादसा हुआ, जब एक मालगाड़ी ने सिग्नल तोड़कर गाड़ी के अंतिम डिब्बे को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में कुल मिलाकर आठ लोगों की मौत हो गई और 25 से अधिक यात्री घायल हो गए। यह दुर्घटना भारतीय रेल के लिए एक और दुखद अध्याय साबित हुई।

हादसे की यह घटना तब हुई जब मालगाड़ी ने निर्धारित सिग्नल का उल्लंघन कर दिया और सीधे कंचनजंगा एक्सप्रेस के अंतिम डिब्बे से जा टकराई। इस दुर्घटना के परिणामस्वरूप ट्रेन के आखिरी तीन डिब्बे पटरी से उतर गए और इनमें भारी नुकसान हुआ। मृतकों में लोको पायलट, उनका सहायक और ट्रेन का गार्ड भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री और रेलवे मंत्री की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दर्दनाक घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है। उन्होंने यह भी बताया कि बचाव कार्य जारी हैं और हर संभव मदद दी जा रही है।

रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे युद्ध स्तर पर चल रहे बचाव कार्यों के रूप में वर्णित किया। उन्होंने बताया कि दिल्ली में एक 'वार रूम' स्थापित किया गया है, जहां से बचाव और राहत कार्यों की निगरानी की जा रही है।

ममता बनर्जी की टिप्पणियाँ और घटनास्थल की स्थिति

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस दुर्घटना पर शोक जताया और स्थानीय अधिकारियों की त्वरित प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन द्वारा युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य किए जा रहे हैं।

घटनास्थल पर बचाव टीमों ने जल्दी से अपना काम शुरू किया और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया। पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीमें भी मौके पर त्वरित गति से पहुँचीं। दुर्घटना की गंभीरता को देखते हुए, पूरे क्षेत्र में आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय कर दिया गया था।

पुराने कोच और दुर्घटना की गंभीरता

पुराने कोच और दुर्घटना की गंभीरता

कंचनजंगा एक्सप्रेस में पुराने 'इंटीग्रल कोच फैक्ट्री' (आईसीएफ) मॉडल के उपयोग से दुर्घटना की गंभीरता बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। आईसीएफ कोच आधुनिक 'एलएचबी' कोच की तुलना में कम सुरक्षित माने जाते हैं, और उच्च स्पीड पर टक्कर लगने की स्थिति में वे अधिक नुकसानदायक हो सकते हैं। ऐसे में, भारतीय रेलवे को जल्द से जल्द इन पुराने कोचों को बदलने की आवश्यकता है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

इस दुर्घटना के कारण लगभग 10 अन्य ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया गया है। रेलवे अधिकारी पूरी रात और दिन ट्रेन पटरी पर वापस लाने और सामान्य स्थिति बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं।

अतीत की घटनाओं से सीख

भारतीय रेलवे में इस तरह की घटनाएं पहले भी हुई हैं। ऐसे हादसों से रेलवे को अधिक सख्त कदम उठाने की जरूरत होती है। महत्वपूर्ण तथ्यों को अनदेखा करना या जरूरी संसाधनों की कमी स्थिति को और भी भयावह बना देती है। हर बार जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो सरकार और रेलवे विभाग को अपने सुरक्षा उपायों की समीक्षा करनी चाहिए और सुधार करना चाहिए।

आगे की कार्रवाई

रेल मंत्रालय और सरकारी एजेंसियों द्वारा जांच कमेटी गठित की गई है जो इस घटना की पूरी तस्वीर उजागर करेगी। हादसे के जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जुड़ी एजेंसियों और विभागों को हिदायत दी गई है कि वे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो, इसके लिए कड़े कदम उठाएँ।

आम जनता और यात्री संघठनों ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और सरकार से अपील की है कि वह रेलवे संचालन में सुधार लाए। यात्री सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए और इसके लिए आवश्यक सभी प्रयास सरकार को करने चाहिए।

कुल मिलाकर, इस दुर्घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारतीय रेलवे को आधुनिकीकरण और सुरक्षा उपायों में सुधार की सख्त जरूरत है। यात्रियों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए न केवल पुराने कोचों को बदलने की आवश्यकता है, बल्कि रेलवे कर्मचारियों को भी बेहतर प्रशिक्षण देने की जरूरत है, ताकि वे ऐसी दुर्घटनाओं को टाल सकें।

आखिर में, कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम रेलवे सुर��ा के मामले में कितने तैयार हैं। यह एक कड़ी चेतावनी है कि अब और अनदेखी नहीं की जा सकती। इसी के साथ, हम सभी को उम्मीद है कि ऐसे हादसे दोबारा न हों और भारतीय रेलवे सभी यात्रियों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी।

14 टिप्पणि

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    Piyush Kumar

    जून 18, 2024 AT 23:54

    ये हादसा बस एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सालों से नजरअंदाज किए जा रहे निर्माण और सुरक्षा उपायों का नतीजा है। हम जितना ट्रेनों को तेज़ बनाते हैं, उतना ही पुराने कोचों और बेकार बचाव प्रणालियों को बरकरार रखते हैं। ये सिर्फ़ लोगों की जान नहीं, बल्कि हमारी निष्ठा का भी परीक्षण है।

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    Lakshmi Rajeswari

    जून 19, 2024 AT 02:24

    ये सब राजनीति है... आप सोचते हैं ये दुर्घटना बिना किसी इरादे के हुई? नहीं... ये अफवाहें फैलाने के लिए बनाई गई हैं ताकि लोगों को रेलवे के खिलाफ़ भड़काया जा सके... और फिर नए बजट के नाम पर पैसे खींचे जा सकें... आप देखेंगे, अगले महीने ही कोई नया बड़ा रेलवे प्रोजेक्ट आएगा... और वो भी अमेरिकी कंपनियों के लिए... ये सब एक बड़ा धोखा है!!!

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    DIVYA JAGADISH

    जून 19, 2024 AT 20:52

    पुराने कोच बदलो। बस इतना ही।

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    Jai Ram

    जून 20, 2024 AT 22:26

    मैं रेलवे में इंजीनियर हूँ। हमारे पास एलएचबी कोच बनाने की क्षमता है, लेकिन बजट कम है और ब्यूरोक्रेसी बहुत है। एक डिब्बा बनाने में 18 महीने लग जाते हैं। और फिर भी नए कोचों को पुराने लाइनों पर चलाने के लिए ट्रैक को अपग्रेड करना पड़ता है। ये सिर्फ़ कोच बदलने का मुद्दा नहीं है।

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    Vishal Kalawatia

    जून 21, 2024 AT 14:51

    अरे भाई, ये सब चीज़ें तो हमारे पड़ोसी देशों में होती हैं, जहाँ लोग गाड़ियों के ऊपर चढ़कर सफर करते हैं। हम तो अपनी रेलवे को अमेरिका जैसा बनाने की कोशिश कर रहे हैं... जबकि हमारे यहाँ लोगों को बस एक सुरक्षित ट्रेन चाहिए। अपने देश को जानो, अपनी जरूरतों को समझो।

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    shagunthala ravi

    जून 22, 2024 AT 16:57

    हर बार जब कोई दुर्घटना होती है, तो हम रोते हैं, शोक जताते हैं, और फिर भूल जाते हैं। लेकिन जब एक बच्चा अपनी माँ के साथ ट्रेन में बैठकर अपने घर की ओर जा रहा होता है, तो उसकी आँखों में उम्मीद होती है। हम उस उम्मीद को बर्बाद नहीं कर सकते। इस बार असली बदलाव होना चाहिए।

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    Urvashi Dutta

    जून 23, 2024 AT 16:26

    इस दुर्घटना के बाद जो भी लोग बोल रहे हैं कि ये सिर्फ़ एक ट्रेन की दुर्घटना है, वो गलत हैं। ये एक अर्थव्यवस्था की दुर्घटना है। जहाँ लाभ के लिए जान बेची जाती है। जहाँ बजट के बारे में बात होती है, लेकिन जीवन के बारे में नहीं। जहाँ आधुनिकीकरण का नाम लेकर विदेशी कंपनियों को बड़े ठेके दिए जाते हैं, लेकिन देशी इंजीनियर्स को नोटिस भी नहीं दिया जाता। ये सिर्फ़ रेलवे की गलती नहीं, ये हमारे समाज की गलती है।

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    Srinivas Goteti

    जून 25, 2024 AT 05:29

    मैं अपने दोस्त के साथ इसी ट्रेन से सफर कर चुका हूँ। उस बार भी एक डिब्बे का ब्रेक खराब था। हमने ट्रेन गार्ड को बताया, लेकिन उसने कहा कि 'कल तक ठीक हो जाएगा'। ये तो लोगों की जान के खिलाफ़ खेल है। अगर ये दुर्घटना हमारे बच्चों के लिए नहीं हुई, तो ये अपने लिए नहीं हुई।

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    Rin In

    जून 26, 2024 AT 18:57

    मैंने देखा है कि जब भी रेलवे में कोई दुर्घटना होती है, तो लोग ट्रेन के बारे में बात करते हैं... लेकिन क्या कोई बात करता है उन लोगों के बारे में जो इन ट्रेनों को चलाते हैं? वो भी लोग हैं... जिनकी तनख्वाह 15,000 रुपये है, और जिन्हें 16 घंटे शिफ्ट पर काम करना पड़ता है। अगर हम उनकी भी सुरक्षा नहीं सोचेंगे, तो ये दुर्घटनाएँ दोहराएँगी।

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    michel john

    जून 28, 2024 AT 05:49

    ये सब चीन की चाल है! वो हमारे रेलवे में फैलाए हुए हैं और अब ये दुर्घटना उनकी योजना का हिस्सा है! जब हम अपने देश को बचाने लगे तो वो हमारी ट्रेनों को खराब कर रहे हैं! रेलवे मंत्री को तुरंत चीनी टेक्नोलॉजी बंद करनी चाहिए! और अमेरिका से खरीदना चाहिए! वो तो हमारे दोस्त हैं! और ये जो बातें लोग कर रहे हैं... वो भी चीन के गुप्तचर हैं! जागो भारत! जागो!!!

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    Kirandeep Bhullar

    जून 29, 2024 AT 01:42

    हर दुर्घटना के बाद हम लोग बातें करते हैं, लेकिन कोई नहीं जानता कि रेलवे के लिए एक नया कोच बनाने में कितना खर्च आता है। और जब बजट आता है, तो वो नए ट्रैक बनाने पर जाता है, न कि कोचों पर। हम सब बात करते हैं, लेकिन कोई नहीं जानता कि ये निर्णय कौन लेता है। और जब जांच होती है, तो सब बर्बाद हो जाता है।

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    Amal Kiran

    जुलाई 1, 2024 AT 00:26

    ये जो लोग बोल रहे हैं कि रेलवे ने अच्छा किया, वो बेवकूफ़ हैं। ये दुर्घटना तब हुई जब लोग अपने घर जा रहे थे। अब लोग रेलवे के खिलाफ़ आंदोलन करेंगे। और फिर भी वो बस बयान देंगे। बस बस बस।

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    abhinav anand

    जुलाई 2, 2024 AT 13:47

    मैं इस बारे में चिंतित हूँ कि हम लोग इस दुर्घटना को एक घटना के रूप में देख रहे हैं, लेकिन ये एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा है। जब तक हम रेलवे को एक जीवित संस्था के रूप में नहीं देखेंगे, बल्कि एक ब्यूरोक्रेटिक यंत्र के रूप में देखते रहेंगे, तब तक ये दुर्घटनाएँ दोहराएँगी।

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    Rahul Alandkar

    जुलाई 4, 2024 AT 01:34

    मैं रेलवे कर्मचारी हूँ। मैं जानता हूँ कि ये दुर्घटना कैसे हुई। लेकिन मैं अभी बात नहीं कर सकता। मेरे पास बच्चे हैं। मैं अपनी नौकरी नहीं खोना चाहता। लेकिन अगर कोई भी व्यक्ति यहाँ आए और मुझे बताए कि वो इस बारे में बात करना चाहता है, तो मैं उसके सामने खड़ा हो जाऊँगा।

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