मध्य प्रदेश में रेड अलर्ट: अगले तीन दिन भारी बारिश, 10 जिलों में गंभीर चेतावनी सित॰, 1 2025

तीन दिन कड़ी बारिश: 10 जिलों में रेड अलर्ट, बाकी हिस्सों में भी खतरे की घंटी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मध्य प्रदेश के 10 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। मतलब, हालात गंभीर हो सकते हैं और प्रशासन व लोगों—दोनों को तुरंत कार्रवाई के मोड में रहना होगा। अगले तीन दिनों तक कई जगहों पर 15 मिमी प्रति घंटा या उससे ज्यादा तेज बारिश के साथ गरज-चमक और तेज हवा के दौर चलते रहेंगे। यही सिस्टम उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के कुछ जिलों तक फैला है, इसलिए उत्तर और मध्य भारत के बड़े हिस्से एक साथ प्रभावित हो सकते हैं।

राज्य के अन्य इलाकों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी है—ये ‘बी प्रिपेयर्ड’ वाला स्टेज है। यानी भारी बारिश की संभावना मजबूत है और सामान्य जीवन प्रभावित हो सकता है। बीते 24 घंटे में मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कई जगहों पर तेज बौछारें दर्ज हुई हैं। मॉडल यह संकेत दे रहे हैं कि बरसात का यह दवाब अगले 72 घंटों में और सक्रिय रहेगा, खासकर दोपहर से रात तक का विंडो ज्यादा इंटेंस रह सकता है।

अलर्ट किन जिलों में है? आधिकारिक सूची जिलावार जारी की जाती है, लेकिन पैटर्न बताता है कि उत्तर और मध्य भागों के कई जिले सबसे ज्यादा जोखिम में हैं, जबकि बाकी हिस्सों में भी लगातार तेज बारिश से जलभराव, ट्रैफिक जाम और बिजली आपूर्ति में रुकावट जैसे असर दिख सकते हैं। सरकारी एजेंसियां बांधों, नालों और छोटी नदियों के जलस्तर पर नजर रखे हुए हैं ताकि अचानक बढ़ोतरी का खतरा कम किया जा सके।

यह सिस्टम इतना आक्रामक क्यों है? मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि जब एक व्यापक मौसमी तंत्र उत्तर-मध्य भारत में सक्रिय होता है और नमी से भरी हवाएं लगातार दाखिल होती रहती हैं, तो एक के बाद एक तेज बारिश के दौर बनते हैं। मॉनसून ट्रफ की स्थिति और लो-लेवल विंड्स की दिशा ऐसी हो, तो लोकल थंडरस्टॉर्म भी ज्यादा घनीभूत होते हैं—नतीजा, कम समय में बहुत पानी गिरता है और शहरी-ग्रामीण दोनों इलाकों का निकास तंत्र दबाव में आ जाता है।

जोखिम क्या-क्या? सबसे बड़ा खतरा फ्लैश फ्लड और अचानक जलभराव का है—अंडरपास, निचले मोहल्ले, नए निर्माण वाले क्षेत्र, और छोटे पुल-पुलिया सबसे पहले दबते हैं। तेज हवा के साथ लगातार बारिश से पेड़ गिरना, ट्रांसफॉर्मर-लाइन फॉल्ट, और कच्ची सड़कों का धंसना आम है। गांवों में कच्चे घर, खेत-मेढ़ और कटाव का जोखिम बढ़ता है। पहाड़ी या ढलानी इलाकों में मलबा खिसकने की आशंका भी बनी रहती है।

प्रशासन की तैयारी क्या है? राज्य और जिलों के कंट्रोल रूम एक्टिव हैं, SDRF/NDRF की यूनिटें स्टैंडबाय पर हैं, और शहरी निकायों की ड्रेनेज टीमों को संवेदनशील पॉकेट्स पर लगाया गया है। बिजली कंपनियां फॉल्ट रिस्पॉन्स टीमों को रात में भी तैनात कर रही हैं। पब्लिक वर्क्स और जल संसाधन विभाग छोटे बांधों और चेक डैम्स पर रियल-टाइम मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

आप क्या करें: रोजमर्रा की सावधानियां, यात्रा और खेती के लिए जरूरी चेकलिस्ट

आप क्या करें: रोजमर्रा की सावधानियां, यात्रा और खेती के लिए जरूरी चेकलिस्ट

लोगों की सुरक्षा सबसे अहम है। भारी बारिश में जोखिम कम करने के लिए ये आसान कदम मददगार हैं:

  • नालों, नदी किनारों, अंडरपास और निचले इलाकों से दूर रहें। पानी भरा दिखे तो पैदल या वाहन से पार करने की कोशिश न करें।
  • जरूरी यात्रा टालें। निकलना हो तो रूट और ट्रैफिक अपडेट पहले देख लें; वैकल्पिक रास्ता साथ रखें।
  • मोबाइल चार्ज रखें, टॉर्च-बैटरियां और ड्राई फूड handy रखें। मेडिसिन और जरूरी डॉक्यूमेंट्स वाटरप्रूफ पाउच में रखें।
  • बिजली गड़बड़ाए तो गीली जगहों पर इलेक्ट्रिक स्विच से दूर रहें। जरूरत पड़े तो मेन सप्लाई बंद करें और इमरजेंसी नंबर पर सूचना दें।
  • बच्चों और बुजुर्गों को घर में सुरक्षित जगह रखें। छतों या खुले मैदान में गरज-चमक के समय ठहराव से बचाएं।
  • ड्राइवर ध्यान दें: खराब विजिबिलिटी में हेडलाइट-हैजर्ड सही तरह चलाएं, स्पीड कम रखें, और जलभराव में ब्रेक-इंजन को जोर न दें।
  • किसान मावठा/भारी फुहारों में कटी फसल व मशीनें ऊंचे-ढंके स्थान पर रखें। पशुओं के लिए सूखा चारा और सुरक्षित शेड सुनिश्चित करें।
  • किसी भी अफवाह या अनवेरिफाइड मैसेज पर भरोसा न करें। जिला प्रशासन/मौसम विभाग की आधिकारिक एडवाइजरी पर ही चलें।

शहरों में सबसे बड़ा दर्द जलनिकासी है। जहां-जहां बड़ा जलभराव होता है, वहां पंपिंग सेट और सफाई दल तैनात किए जा रहे हैं, लेकिन बारिश की पीक के दौरान सड़कें अचानक बंद हो सकती हैं। ऐसे में ऑफिस-स्कूल टाइमिंग लचीली रखें। जिला प्रशासन हालात देखकर स्कूलों पर निर्णय ले सकता है, इसलिए लोकल अपडेट पर नजर रखें।

तीन दिन बारिश के बर्स्ट के बाद अक्सर एक छोटा ब्रेक दिखता है, लेकिन मौसमी तंत्र सक्रिय रहा तो स्पेल फिर पकड़ लेता है। इसलिए आज की राहत के भरोसे कल की प्लानिंग न टालें। जिन इलाकों में पानी का बहाव तेज है, वहां रात के समय अतिरिक्त सावधानी रखें—अंधेरा, बहता पानी और फिसलन मिलकर जोखिम कई गुना बढ़ा देते हैं।

अपडेट कैसे पाएं? IMD के नियमित बुलेटिन, राज्य आपदा प्रबंधन के अलर्ट, आकाशवाणी/लोकल रेडियो और जिला कंट्रोल रूम की सूचनाएं सबसे भरोसेमंद हैं। जरूरत हो तो आस-पड़ोस में एक-दूसरे की मदद के लिए छोटी-सी कम्युनिटी वॉच बनाएं—किसी के घर में पानी घुसा हो या रास्ता बंद हो, तो समय पर सूचना और छोटी मदद भी बड़ा फर्क डालती है।

फिलहाल फोकस बस इतना: अगले 72 घंटे सावधानी से काटें, पानी की रफ्तार को हल्के में न लें, और आधिकारिक निर्देशों के साथ अपडेटेड रहें। मौसम का तेवर मजबूत है—सतर्क रहेंगे तो मुश्किल समय भी सुरक्षित गुजर जाएगा।