
नीलिमा बसु फुटबॉल टूर्नामेंट: फाइनल में छाए सेमरिया और मांझी
नीलिमा बसु फुटबॉल टूर्नामेंट का फाइनल इस बार कुछ खास रहा। दर्शकों की भीड़ से खचाखच भरा मैदान और दोनों टीमों की जबरदस्त तैयारी ने माहौल में अलग ही जोश घोल दिया था। महिलाओं की कैटेगरी में सेमरिया टीम ने अंतिम मुकाबले में अपने धैर्य, टीमवर्क और जुनून के दम पर जीत हासिल की। पूरे टूर्नामेंट में उनकी रफ्तार कमाल की रही—हर मैच में कुछ नया देखने को मिला। फाइनल में सेमरिया की कप्तान ने मिडफील्ड से विपक्षी डिफेंस को खासा परेशान किया, वहीं गोलकीपर ने आखिरी मिनटों में बेहतरीन बचाव कर जीत को पक्का कर दिया। महिला फुटबॉलर्स में मेहनत का असर साफ नजर आया।
दूसरी ओर, पुरुष वर्ग में मांझी टीम ने सबको चौंका दिया। उनके खिलाड़ियों ने पूरे मैच में अटैकिंग खेल दिखाया। स्ट्राइकर की तो बात ही अलग थी—हर बार विपक्षी गोलपोस्ट के करीब दस्तक देकर दबाव बना दिया। फाइनल मैच में मांझी टीम की रणनीति और फुर्ती का जवाब किसी के पास नहीं था। खास बात ये रही कि टीम के सबसे युवा खिलाड़ी ने निर्णायक गोल दागकर सबका दिल जीत लिया।
स्थानीय फुटबॉल में नई जान, खिलाड़ियों को मिला मंच
इस बार के नीलिमा बसु फुटबॉल टूर्नामेंट ने न सिर्फ सैकड़ों दर्शकों को मैदान में खींचा बल्कि स्थानीय प्रतिभाओं को चमकने का शानदार मौका भी दिया। टूर्नामेंट की सबसे खास बात रही हर टीम के खिलाड़ियों का जोश। गांव-गांव से आए खिलाड़ी बिना किसी बड़े सपोर्ट के मैदान पर अपना दमखम दिखा रहे थे। टूर्नामेंट ने Nilima Basu Football Tournament को इलाके में बड़ा नाम बना दिया है, और अब स्थानीय लोग फुटबॉल को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
सेमरिया और मांझी दोनों टीमों ने फाइनल तक पहुंचने के सफर में कई मजबूत टीमों को हराया। खिलाड़ियों की फिटनेस, रणनीति और जज्बे ने साफ कर दिया कि प्रतिभा की कमी यहां नहीं है, बस मौके और मंच का इंतजार रहता है। लड़कियों की फुटबॉल में भागीदारी बढ़ना भी अच्छी बात है, जिससे इलाके में महिलाओं को भी प्रेरणा मिलेगी।
टूर्नामेंट के दौरान हर मैच में स्थानीय लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। मैदान पर ढोल-नगाड़ों की आवाज, झंडों की लहराहट, और जीतने वाली टीम का जश्न—इन सबने इसे यादगार बना दिया। आयोजकों ने बताया कि आने वाले समय में इस टूर्नामेंट को और बड़ा किया जाएगा, ताकि और भी युवाओं को खेल में आने का मौका मिल सके।