मई, 28 2024
वेब सीरीज ‘पंचायत’ की तीसरी किस्त: क्या कुछ नया?
अमेज़न प्राइम की मशहूर वेब सीरीज ‘पंचायत’ का तीसरा सीजन कल 28 मई को रिलीज होने जा रहा है। इस सीजन का मोस्ट अवेटेड रिलीज़ फैंस के बीच पहले से ही धूम मचा चुका है। निर्माता ‘द वायरल फीवर’ और लेखक चंदन कुमार की इस श्रृंखला को हर बार की तरह दीपक कुमार मिश्रा ने निर्देशित किया है। ‘पंचायत’ के पिछले दो सीजनों ने दर्शकों के बीच गहरी छाप छोड़ी है, और अब तीसरे सीजन का इंतजार सबके ज़ेहन में है।
कहानी की गहराई और नए पात्र
इस शो का मुख्य किरदार अभिषेक त्रिपाठी, जो कि एक इंजीनियरिंग छात्र रह चुका है, को ज़िन्दगी के विकल्पों की कमी की वजह से उत्तर प्रदेश के काल्पनिक गाँव फुलेरा की पंचायत का सचिव नियुक्त किया जाता है। जिटेंद्र कुमार ने इस किरदार को बखूबी निभाया है और अब तीसरे सीजन में उनका सामना गांव की राजनीति और चुनावी माहौल की चुनौतियों से होगा।
चुनाव का समय आ चुका है और अभिषेक को पंचायत के कामों के साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखनी है। इस सीजन में दर्शकों को गांव में होने वाली गुटबाजी, हंसी-मज़ाक और राजनीति के विभिन्न रंग देखने को मिलेंगे। नेहा गुप्ता, रघुबीर यादव, फैसल मलिक, चंदन रॉय और सान्विका के किरदार भी अपनी-अपनी जगह पर पूरी पटरी मारेंगे।
सीजन 3 का प्रमोशनल ट्रेलर
कुछ दिनों पहले रिलीज हुए ट्रेलर ने सीजन 3 को लेकर दर्शकों की उत्सुकता और बढ़ा दी है। ट्रेलर में दिखाए गए कुछ दृश्यों से प्रतीत होता है कि इस बार कहानी में परिवार और राजनीति के बीच के समीकरण कुछ और ही स्तर पर पहुंच जाएंगे। कहानी झगड़ों और गहराते साजिशों के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन इसके साथ-साथ हंसी-ठट्ठा और कहकहे भी बरकरार हैं।
आने वाले सीजन और भविष्य की संभावनाएँ
दीपक कुमार मिश्रा ने खुलासा किया है कि ‘पंचायत’ के सीजन 4 पर भी काम शुरू हो चुका है, और भविष्य में पांचवें सीजन की संभावनाएं भी जीवित हैं। यह बताता है कि ये सीरीज न केवल दर्शकों के बीच पॉपुलर हो रही है, बल्कि इसकी कहानी और पात्रों की वृद्धि भी हो रही है। शो के निर्माता और लेखक, दोनों ही अभूतपूर्व चूलें बिठा रहे हैं ताकि दर्शकों का मन रमा रहे।
सामाजिक और राजनीतिक महत्वपूर्ण मुद्दे
‘पंचायत’ की कहानी सिर्फ गांव की हो या चाहे इंटरप्रेटेशन की, ये सीरीज समाज और राजनीति के कई मुद्दों पर प्रकाश डालती है। यहां का लोकल चुनावी माहौल, सामाजिक बंधन और रिश्तों का खोल, हर तरह के मुद्दे को हंसी के साथ पिरोकर दिखाया जाता है। इससे न केवल यह केवल कॉमेडी शो बनता है, बल्कि इसमें भारतीय ग्रामीण जीवन की वास्तविकता भी साफ झलक जाती है।
‘पंचायत’ का लोकप्रियता और दर्शक का रुझान
वेब सीरीज ‘पंचायत’ की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि साधारण कहानियां भी दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ सकती हैं। पहला और दूसरा सीजन दर्शकों ने खूब पसंद किया और इसका तीसरा सीजन भी ट्रेलर से ही धमाल मचा चुका है। सफलता का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि इसे दुनिया भर में कितने ही लोगों ने देखा और सराहा।
अभिनेताओं का उत्कृष्ट प्रदर्शन
इस सीरीज की सफलता में इसका अभिनय भी प्रमुख किरदार निभाता है। जिटेंद्र कुमार ने अभिषेक त्रिपाठी के किरदार में जान डाल दी है। नेहा गुप्ता ने एक मजबूत मगर प्यार भरी महिला सरपंच की भूमिका को बखूबी निभाया है। रघुबीर यादव और अन्य कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों को जीवंत बना दिया है।
तो तैयार हो जाइए, ‘पंचायत’ सीजन 3 देखने के लिए। न केवल यह सीजन खास होगा, बल्कि आगे आने वाले सीजन भी दिलचस्प और लुभावने होंगे। एक बार फिर से गांव की राजनीति, जीवन की सादगी और हंसी के इस सफर में शामिल हो जाइए।
Neha Kulkarni
मई 29, 2024 AT 04:23इस सीजन में गाँव की राजनीति के साथ-साथ शिक्षा और अधिकारिक ब्यूरोक्रेसी के इंटरफेस को बहुत सूक्ष्मता से दर्शाया गया है। अभिषेक का डायलेक्टिकल टेंशन - जो एक आधुनिक इंजीनियर के रूप में उसकी व्यक्तित्व बनाता है - और फुलेरा की लोकल पॉलिटिकल एपिस्टेमोलॉजी के बीच का अंतर बेहद रोचक है। यह शो सिर्फ कॉमेडी नहीं, बल्कि एक सामाजिक एंथ्रोपोलॉजिकल टेक्स्ट बन गया है।
मैंने ट्रेलर में जिन दृश्यों को देखा, उनमें सरपंच की रणनीतिक शांति और अभिषेक के अनिश्चित अंतर्द्वंद्व का सामंजस्य एक नए स्तर की जटिलता लाता है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण नेतृत्व कैसे अपने अस्तित्व को बरकरार रखता है - बिना किसी बड़े घोषणा के।
Sini Balachandran
मई 30, 2024 AT 11:09क्या आपने कभी सोचा है कि जब एक इंजीनियर गाँव में सचिव बनता है, तो क्या वह वास्तव में बदलाव ला सकता है... या बस एक और नया चिह्न बन जाता है?
Sanjay Mishra
मई 31, 2024 AT 07:04अरे भाई! ये सीजन 3 तो पूरा बॉलीवुड ड्रामा है - पर गाँव के माहौल में! जिटेंद्र का चेहरा जब वो चुनावी नोटिस पढ़ता है, तो मैंने अपनी चाय का कप गिरा दिया!
नेहा गुप्ता की आँखों में जो चमक है, वो बस एक सरपंच की नहीं - वो तो पूरे भारत की ग्रामीण महिला की आत्मा की आवाज़ है। और रघुबीर यादव? भाई, वो तो इतना बेवकूफ है कि लगता है वो अपने आप को ही चुनाव में डाल देगा!
ट्रेलर का वो दृश्य जहाँ अभिषेक बोलता है - 'मैं तो सिर्फ इंजीनियरिंग करने आया था' - वो तो मेरे दिल का टुकड़ा बन गया। इस शो ने मुझे याद दिला दिया कि असली जीत वो है जब तुम बेकार लगने वाले काम को भी अपनी जान बना लो।
Ashish Perchani
जून 2, 2024 AT 03:10मैंने इस शो को शुरू से देखा है, और यह एक अद्वितीय उदाहरण है कि कैसे सामाजिक वास्तविकता को एक बहुत ही संवेदनशील तरीके से व्यक्त किया जा सकता है।
मैं विशेष रूप से इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि यह शो राजनीतिक अवधारणाओं को अत्यधिक व्यावहारिक ढंग से चित्रित करता है - जैसे कि ग्रामीण जनता के बीच भ्रष्टाचार का स्वाभाविक रूप, या फिर निर्णय लेने के लिए बुद्धिमान लोगों की अनुपलब्धता।
यह एक निर्माण है जो न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि एक नागरिक के रूप में हमें सोचने के लिए भी प्रेरित करता है। अभिषेक की आंतरिक लड़ाई वास्तव में हम सभी की है - अपने सपनों और वास्तविकता के बीच।
Dr Dharmendra Singh
जून 2, 2024 AT 07:18बस एक बात - ये शो मुझे हर बार याद दिलाता है कि छोटी चीज़ें भी बड़े दिल बना सकती हैं 😊