पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा महोत्सव का शुभारंभ
पुरी, ओडिशा में वार्षिक जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ हो गया है, जिसमें हजारों भक्तों ने मीलों लंबी रथों को खींचना शुरू किया। इस बार की रथ यात्रा विशेष रूप से अहम है क्योंकि इसे 53 वर्षों के बाद एक अनूठे स्वरूप में मनाया जा रहा है, जिसमें यह दो दिनों तक चलेगी। यह धार्मिक त्योहार न केवल भारतियों के बीच बल्कि विदेशी भक्तों के बीच भी अत्यंत लोकप्रिय है।
भक्तों की भक्ति और आतुरता इस उत्सव में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास, मुख्यमंत्री मोहन चरन माझी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उपस्थित थे। उन्होंने मिलकर रथ खींचने की प्रक्रिया की शुरुआत की। राष्ट्रपति मुर्मू ने तीनों रथों का परिक्रमा किया और देवताओं के समक्ष नतमस्तक हुईं।
त्योहार का अद्वितीय आवेश
रथ यात्रा की विशेष बात यह है कि इसमें भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के विशाल रथों को भक्तजन मिलकर खींचते हैं। इस वर्ष रथ खींचने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया गया है, जिससे यह एक दो दिवसीय आयोजन बन गया है। रथ खींचने से पहले, रथों को लकड़ी के घोड़ों से सजाया गया और सेवकों द्वारा भक्तों को सही दिशा में रथ खींचने के लिए मार्गदर्शन किया गया।
रथ यात्रा के दौरान वातावरण में आध्यात्मिकता और उल्लास का माहौल बना रहता है। लगभग दस लाख भक्त इस त्योहार में शामिल होते हैं, जिसमें से कई विदेशों से आते हैं। इस वर्ष भी, पुरी की सड़कों पर 'जय जगन्नाथ' और 'हरिबोल' के नारों की गूंज सुनाई दी।
रथ यात्रा के आयोजन का विस्तार
रथ यात्रा के दौरान, पुरी में स्थानीय कलाकार विभिन्न प्रदर्शन करते हैं। इस वर्ष, कई कलाकार समूहों ने रथों के सामने कीर्तन और ओडिसी नृत्य का प्रदर्शन किया, जो धार्मिक भावना को और अधिक बढ़ा देते हैं। इस समारोह में रथों पर चढ़कर भक्तजन अपने प्रिय देवताओं के दर्शन के लिए उत्सुक रहते हैं।
रथ यात्रा की तैयारी के तहत विभिन्न धार्मिक रस्में पूरी की जाती हैं। 'नवजौवन दर्शन' और 'नेत्र उत्सव' जैसी रस्मों का एक ही दिन में समापन किया गया। इसके बाद 'पहांडी' की रस्म पूरी की गई, जिसमें देवताओं को मंदिर से रथों तक लाया जाता है।
धार्मिक भावना और सामाजिक जिम्मेदारी
इस उत्सव के दौरान, पुरी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के साथ मुख्यमंत्री मोहन माझी की मुलाकात विशेष रही। स्वामी जी ने मुख्यमंत्री को राज्य के गरीब और असहाय लोगों की सेवा और न्याय प्रदान करने का निर्देश दिया।
रथ यात्रा उत्सव विश्व के सबसे बड़े धार्मिक जुलूसों में से एक माना जाता है। इसमें हिस्सा लेने वाले भक्तों की संख्या हर वर्ष बढ़ती जाती है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। यह त्योहार आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक धरोहर को एक नई ऊँचाई पर ले जाता है।
संवेदनशीलता और सेवा की भावना
रथ यात्रा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समाज में सेवा और सांस्कृतिक विविधता को भी समाहित करता है। इस महोत्सव में भाग लेने वाले लोगों को एकता और भाईचारे का संदेश मिलता है। यह त्योहार न केवल पुरी बल्कि पूरे ओडिशा और भारत के अन्य हिस्सों में भी समान श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस मौके पर पुरी के प्रशासन ने भी विशेष प्रबंध किए हैं, ताकि हर भक्त को आरामदायक और सुरक्षित अनुभव हो सके। मंदिर और रथ यात्रा मार्ग को सजाने के साथ-साथ सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
भक्ति का मेला
जगन्नाथ रथ यात्रा एक ऐसा पर्व है जो हर व्यक्ति के दिल में आस्था की दीप जलाता है। यह पर्व न केवल भगवान के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि समाज की विभिन्न जातियों और समुदायों को भी जोड़ता है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, जिससे यह पर्व और भी महान बन जाता है।
अंततः, जगन्नाथ रथ यात्रा मानवीय संवेदनाओं और आध्यात्मिकता का एक प्रतीक है। यह हमारे इतिहास, संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का गर्वशाली प्रतीक है।