अक्तू॰, 30 2025
जब साइक्लोन 'मोंठा' ने 28 अक्टूबर, 2025 को सुबह 5:30 बजे भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार एक गंभीर साइक्लोनिक तूफान में बदला, तो उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों की जिंदगी बदलने वाली थी। यह तूफान अब लगभग 150 किमी दक्षिण-दक्षिणपूर्व में मच्छलीपटनम (आंध्र प्रदेश) के पास स्थित है, लेकिन इसकी बारिश की लहरें 29 से 31 अक्टूबर तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों को छू रही हैं। खासकर मिर्जापुर और वाराणसी विभाग में 30 अक्टूबर को भारी बारिश की उम्मीद है — ऐसा जो न सिर्फ सड़कों को बहा देगा, बल्कि खेतों को बचाने के लिए लोगों को रात भर जागने के लिए मजबूर कर देगा।
कैसे बना ये मौसमी तूफान?
ये बारिश सिर्फ एक तूफान का नतीजा नहीं है। ये तीन अलग-अलग मौसमी घटनाओं का मिश्रण है। पहला — साइक्लोन 'मोंठा' — जो बंगाल की खाड़ी में बना और आंध्र प्रदेश के काकीनाडा तट पर लैंडफॉल करेगा। दूसरा — पूर्व-मध्य अरब सागर में एक निम्न दबाव क्षेत्र, जो गुजरात से मध्य प्रदेश की ओर बढ़ रहा है। और तीसरा — एक पश्चिमी विक्षेप, जो 70° पूर्व देशांतर के आसपास बीच के ट्रोपोस्फीयर में एक त्रिकोणीय निम्न दबाव के रूप में छिपा है। इन तीनों का मिलन उत्तर प्रदेश के आसमान को बदल रहा है।
इसका पहला असर तापमान में तेज गिरावट था। ओराय में अधिकतम तापमान 9.8°C गिर गया, जबकि लखनऊ में 3.8°C की गिरावट हुई। लोगों ने अचानक ठंडक महसूस की — जैसे गर्मी का दिन अचानक बर्फ के दिन में बदल गया हो। अक्टूबर के अंत में ऐसा अजीब बदलाव अभी तक कभी नहीं देखा गया।
क्या होगा 30 अक्टूबर को?
29 अक्टूबर को दक्षिणी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश होगी। लेकिन 30 अक्टूबर — ये दिन खास है। मिर्जापुर, वाराणसी, अयोध्या, और गोरखपुर में भारी बारिश की संभावना है। कुछ जगहों पर 24 घंटे में 10 से 15 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है। ये वो मात्रा है जो शहरों की नालियों को भर देगी, रेलवे लाइनों को बाधित करेगी, और किसानों के लिए फसलों के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगी।
अक्कूवेदर के अनुसार, वाराणसी में 30 अक्टूबर को अधिकतम तापमान 96°F (35.6°C) था, लेकिन 31 अक्टूबर को ये गिरकर 71°F (21.7°C) हो जाएगा। यानी एक दिन में 14°C का अंतर। ऐसा तापमान उतार-चढ़ाव न सिर्फ बीमारियों को बढ़ाएगा, बल्कि बुजुर्गों और बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है।
क्या कर रहा है IMD?
भारतीय मौसम विभाग के लखनऊ केंद्र के मौसम विशेषज्ञों ने एक स्पष्ट चेतावनी जारी की है: “इस तूफान के अवशेषों के प्रभाव से उत्तर प्रदेश में 29-31 अक्टूबर के दौरान तापमान में भारी दैनिक उतार-चढ़ाव हो सकता है।” ये बयान सिर्फ एक तकनीकी जानकारी नहीं — ये एक चेतावनी है।
बारिश के साथ ही तेज हवाएं भी आ रही हैं। 29 अक्टूबर की शाम तक, हवाओं की गति 45-55 किमी/घंटा होगी, जो कभी-कभी 65 किमी/घंटा तक जा सकती है। ये गुस्सैल हवाएं छतों को उड़ा सकती हैं, बिजली के खंभों को गिरा सकती हैं, और खेतों में बिखरी हुई फसलों को बर्बाद कर सकती हैं।
दिल्ली-एनसीआर क्या देख रहा है?
दिल्ली-एनसीआर के लोग अभी भी अपने आसमान को देख रहे हैं — लेकिन उनके लिए भी बारिश का अंतर आ रहा है। एक दूसरा निम्न दबाव क्षेत्र, जो अरब सागर में है, और पश्चिमी विक्षेप के साथ मिलकर, दिल्ली में अगले दो दिनों तक हल्की बारिश और बिजली चमक के साथ बादल लाएगा। लोग अचानक ठंडक महसूस कर रहे हैं। अभी तक ये बारिश भारी नहीं है, लेकिन ये एक चेतावनी की तरह है — जैसे कोई कह रहा हो, “तूफान अभी दूर नहीं है।”
क्या अभी तक आंकड़े सामने आए हैं?
- 27 अक्टूबर, 23:30 बजे IST: साइक्लोन 'मोंठा' 13.4°N/84.1°E पर, हवाएं 80-90 किमी/घंटा
- 28 अक्टूबर, 05:30 बजे IST: गंभीर साइक्लोनिक तूफान बना, हवाएं 85-95 किमी/घंटा
- 28 अक्टूबर, 11:30 बजे IST: 15.7°N/82.8°E पर, हवाएं 90-100 किमी/घंटा, तूफानी लहरें 1 मीटर
- 29 अक्टूबर, 23:30 बजे IST (अनुमानित): निम्न दबाव में कमजोर, हवाएं 40-50 किमी/घंटा
- वाराणसी का तापमान: 30 अक्टूबर — 35.6°C / 25.6°C; 31 अक्टूबर — 21.7°C / 20°C
क्या अगला कदम?
राज्य सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक आपातकाल नहीं घोषित किया है। लेकिन जिला प्रशासनों के लिए तैयारी शुरू हो चुकी है। राहत कैंप खोले जा रहे हैं, नदियों के किनारे रहने वाले गांवों को खाली करने का निर्देश दिया जा रहा है, और अस्पतालों में अतिरिक्त डॉक्टर और दवाएं तैयार की जा रही हैं।
लेकिन ये सिर्फ बारिश नहीं है। ये एक चेतावनी है कि हमारी जलवायु अब अपने पुराने नियमों के अनुसार नहीं चल रही। अक्टूबर में इतनी भारी बारिश? ये किसी भी मौसम विज्ञान के पुराने मॉडल में नहीं आता। ये अब नया नियम है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साइक्लोन 'मोंठा' के प्रभाव से पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को क्या खतरा है?
30 अक्टूबर को भारी बारिश के कारण ताजा बोई गई गेहूं और सरसों की फसलें बह सकती हैं, खासकर वाराणसी और मिर्जापुर के नदी किनारे के जिलों में। पिछले दो वर्षों में अक्टूबर की बारिश ने किसानों को लगभग ₹1,200 करोड़ का नुकसान पहुंचाया था। अगर ये बारिश लगातार 12 घंटे तक चली, तो बहुत सारी फसलें बचाने के लिए जल्दी से बचाना होगा।
क्या वाराणसी में गंगा के किनारे रहने वाले लोगों को खतरा है?
हां, बहुत ज्यादा। गंगा के किनारे के गांवों में घर अक्सर नीचे बने होते हैं। अगर बारिश के साथ तेज हवाएं भी चलें, तो नदी का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है। लखनऊ के IMD के विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार गंगा का जलस्तर 1.5 मीटर तक बढ़ सकता है — जो कि पिछले 10 वर्षों में सबसे ज्यादा बढ़ाव होगा।
क्या बिजली और इंटरनेट की सुविधाएं प्रभावित हो सकती हैं?
जरूर। तेज हवाओं और बारिश के कारण 29-30 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में बिजली की आपूर्ति में बाधा आ सकती है। विशेषकर वाराणसी, मिर्जापुर, और बलिया में बिजली के खंभे गिरने की संभावना है। इंटरनेट कनेक्शन भी अस्थिर हो सकता है, क्योंकि टावर बारिश और आर्द्रता से प्रभावित हो रहे हैं।
क्या बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये मौसम खतरनाक है?
हां। एक दिन में 14°C का तापमान अंतर बुजुर्गों के लिए दिल की बीमारी और बच्चों के लिए सांस की समस्याओं का कारण बन सकता है। पिछले साल उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के अंत में ऐसी तापमान उतार-चढ़ाव के कारण 87 बुजुर्गों की मौत हो गई थी। डॉक्टर अब सलाह दे रहे हैं कि बाहर निकलने से पहले एक जैकेट जरूर पहनें।
क्या ये घटना जलवायु परिवर्तन का संकेत है?
हां, बहुत स्पष्ट रूप से। पिछले 20 वर्षों में अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी में गंभीर साइक्लोन बनने की आवृत्ति दोगुनी हो गई है। जलवायु विशेषज्ञों के अनुसार, गर्म समुद्र के पानी के कारण तूफान अब तेजी से बन रहे हैं। ये सिर्फ एक तूफान नहीं — ये एक नया नमूना है, जिसे हमें सीखना होगा।
क्या लोगों को अभी क्या करना चाहिए?
अगर आप नदी के किनारे या नीचे के इलाके में रहते हैं, तो तुरंत आपातकालीन सामान तैयार करें — पानी, दवाएं, बैटरी, और एक टॉर्च। घर के आसपास के नालों को साफ करें। अगर आपको बारिश के बाद घर में पानी आने का डर है, तो ऊपर के मंजिल पर जाने की योजना बना लें। अपने बच्चों और बुजुर्गों को ठंड से बचाएं। और जरूरी बात — अपने आसपास के लोगों के बारे में भी सोचें।
Saachi Sharma
अक्तूबर 31, 2025 AT 11:01ये बारिश तो अब सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि एक नया रिट्वीट है।
Vijayan Jacob
नवंबर 1, 2025 AT 21:48अक्टूबर में इतनी बारिश? अब तो गर्मी के बाद बर्फ भी आ सकती है। जलवायु परिवर्तन का नाम लेने से पहले, नालियाँ साफ कर लो भाई।
Kaviya A
नवंबर 1, 2025 AT 23:28मैंने तो आज सुबह घर से बाहर निकलते ही ठंड से चीख दी थी अरे यार ये क्या हो रहा है बस एक दिन में 14 डिग्री गिर गया और मेरी जेब में जैकेट नहीं था
shubham pawar
नवंबर 3, 2025 AT 11:49तुम सब बस बारिश की बात कर रहे हो... पर क्या किसानों का दर्द किसी ने सुना? मैंने अपने चाचा को देखा जो अपनी गेहूं की फसल को बचाने के लिए रात भर जाग रहा था... उसकी आँखों में आँसू थे... नहीं ये बस बारिश नहीं है... ये तो ज़िंदगी का एक टुकड़ा बह रहा है... और हम सब बस फोन पर लिख रहे हैं
Supreet Grover
नवंबर 4, 2025 AT 21:47इस घटना के अंतर्गत, जलवायु अनुकूलन के लिए एक लचीली रणनीति की आवश्यकता है, जिसमें आपातकालीन अभिकल्पना, जल संसाधन प्रबंधन और जन सामाजिक संवेदनशीलता का समावेश होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अवस्थिति-आधारित जोखिम मूल्यांकन के लिए एक समाकलित जलवायु मॉडलिंग फ्रेमवर्क की आवश्यकता है।
Nupur Anand
नवंबर 5, 2025 AT 00:54तुम सब बस बारिश के बारे में बात कर रहे हो... पर क्या तुमने कभी सोचा कि ये सिर्फ एक तूफान नहीं है? ये एक अंतर्राष्ट्रीय जलवायु अपराध है! जिसे बचाने के लिए वैश्विक जलवायु न्याय की आवश्यकता है। हमारे नेता तो बस फोटो खींच रहे हैं और ट्वीट कर रहे हैं। ये तो एक नया युग है - जहाँ बारिश भी एक राजनीतिक बयान है।
Nilisha Shah
नवंबर 5, 2025 AT 16:36मैंने अपने गाँव के एक बुजुर्ग से बात की, जिन्होंने 1970 के दशक में बारिश देखी थी। उन्होंने कहा, 'हमारे समय में अक्टूबर में बारिश तो बहुत कम होती थी, लेकिन जब होती थी, तो वो धीरे-धीरे आती थी। अब तो बारिश आती है जैसे कोई बर्तन उलट दिया गया हो।' ये सिर्फ मौसम नहीं, ये एक संकेत है।
Suman Sourav Prasad
नवंबर 6, 2025 AT 18:31ये बारिश तो बस शुरुआत है... अगले साल तो ये और बदतर होगा... बस तुम सब अभी तक बारिश के बारे में बात कर रहे हो... पर अगर तुम्हारे घर का बिजली का बिल आया है तो तुम्हें याद आएगा कि बिजली के खंभे कहाँ गिरे... और अगर तुम्हारे बच्चे बुखार में हैं तो तुम्हें याद आएगा कि डॉक्टर कहाँ थे... ये सब बातें तो अभी बाकी हैं...