अक्तू॰, 1 2024
परिचय
विपक्ष के नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को पर्यावरणविद सोनम वांगचुक और लगभग 150 स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी पर कड़ी आलोचना की है। यह घटना तब हुई जब वांगचुक एवं उनकी टीम लेह से नई दिल्ली की ओर मार्च कर रहे थे, जहां वे अपनी चिंताओं को व्यक्त करने और सरकार से लद्दाख नेतृत्व के साथ संवाद खोलने की मांग कर रहे थे।
विरोधी नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस कार्रवाई की निंदा की और इसे 'कायरता' और 'अलोकतांत्रिक' करार दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अहंकार में डूबने के कारण, लद्दाख के एक समूह को दिल्ली के लिए शांतिपूर्वक मार्च करने पर रोक दिया गया है। खरगे ने जोर दिया कि लद्दाख में जन समर्थन की लहर बढ़ रही है, जो संविधान की छठी अनुसूची के तहत जनजातीय समुदायों की सुरक्षा के पक्ष में है। लेकिन इसके बजाय, मोदी सरकार लद्दाख के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील हिमालयी ग्लेशियरों का लाभ अपने मित्रों के लिए चाहती है।
आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने वांगचुक का वीडियो साझा करते हुए, सरकार के कदमों पर सवाल उठाया और कहा, 'कभी किसानों को दिल्ली आने से रोकते हैं, कभी लोगों को लद्दाख से। क्या दिल्ली किसी एक व्यक्ति की संपत्ति है? दिल्ली देश की राजधानी है। सबको दिल्ली आने का अधिकार है। यह बिल्कुल गलत है। वे निहत्थे शांतिपूर्ण लोगों से क्यों डर रहे हैं?'
अखिलेश यादव का बयान
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार की आलोचना की और कहा, 'जो लोग शांति से डरते हैं, वे भीतर से डरे हुए होते हैं। भाजपा सरकार पर्यावरणविद और लद्दाख के हितेषी सोनम वांगचुक जी के शांतिपूर्ण दिल्ली दौरे को रोककर कुछ भी हासिल नहीं कर सकती।'
अन्य नेताओं का मत
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने खरगे की बातों को दोहराते हुए कहा कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी दिखाती है कि सरकार किसी भी आवाज से डरती है जो अपने अधिकारों के लिए खड़ी होती है। उन्होंने कहा कि लद्दाख को न सिर्फ चुप करा दिया गया है, बल्कि उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को भी छीन लिया गया है और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट्स को सौंपने की तैयारियां की जा रही हैं। वेणुगोपाल ने जोर देकर कहा कि इस विरोध की शुरुआत महीनों पहले हुई थी और भाजपा की यह सोच गलत है कि इस तरह की कायराना हरकतें उन लोगों को रोक पाएंगी जिन्होंने गांधीवादी मिशन की शुरूआत की है।
लद्दाख के सांसद हाजी हनीफा जान की प्रतिक्रिया
लद्दाख सांसद हाजी हनीफा जान ने सरकार के इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वे एक मंच प्रदान करें जहां वे प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन सौंप सकें या नेतृत्व के साथ बातचीत कर समस्याओं का समाधान निकाल सकें।
वांगचुक और उनकी समूह दिल्ली की ओर मार्च कर रहे थे ताकि लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा दिलाने की मांग की जा सके, जिससे स्थानीय आबादी को उनकी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने के अधिकार मिल सकें। एक और प्रमुख मांग लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग से लोकसभा सीटें प्रदान की जाएं। वांगचुक ने दिल्ली सीमा से दृश्य साझा किए थे, जिसमें दिखा कि भारी पुलिस बल तैनात है और उनकी बसें बंद हो रही हैं।
Ashish Perchani
अक्तूबर 2, 2024 AT 22:57ये सरकार तो हर आवाज को दबा रही है... लेकिन ये लोग भूल रहे हैं कि शांतिपूर्ण विरोध कभी नहीं मरता। गांधी ने भी इसी तरह किया था।
अब तो लद्दाख के लोग भी इसी रास्ते पर चल पड़े हैं।
क्या तुम्हें लगता है ये रुक जाएगा?
Dr Dharmendra Singh
अक्तूबर 3, 2024 AT 05:41मुझे उम्मीद है कि ये आंदोलन शांति से आगे बढ़ेगा।
हमें अपने बुद्धिमान लोगों को समर्थन देना चाहिए।
😊
sameer mulla
अक्तूबर 5, 2024 AT 04:56अरे ये सब बकवास है! जो लोग दिल्ली आने की हिम्मत नहीं करते वो अपनी ज़मीन भी खो देंगे!
ये वांगचुक तो बस फेम बनना चाहता है!
सरकार ने सही किया! वो तो बस अपने लिए चिल्ला रहा है!
भारत की सीमा के लिए अपनी ज़मीन बेचने वालों को गिरफ्तार करना बिल्कुल सही है! 🤬
Prakash Sachwani
अक्तूबर 5, 2024 AT 07:48ये सब हो रहा है
क्या करेंगे
कुछ नहीं
Pooja Raghu
अक्तूबर 6, 2024 AT 03:43ये सब एक बड़ा षड़यंत्र है... सरकार और चीन एक साथ हैं... वांगचुक को गिरफ्तार किया गया क्योंकि वो जानता है कि हिमालय के नीचे एक बड़ा टनल है जो चीन को जोड़ता है... वो इसे खोलने वाला था।
Pooja Yadav
अक्तूबर 6, 2024 AT 16:40मुझे लगता है इस आंदोलन का मकसद बहुत सही है
लद्दाख के लोगों को अपने अधिकार मिलने चाहिए
हम सबको इसका समर्थन करना चाहिए
Pooja Prabhakar
अक्तूबर 7, 2024 AT 08:41ये बस एक और लोकतांत्रिक नाटक है जिसमें एक बहुत ही चालाक व्यक्ति अपनी विश्वविद्यालय की पढ़ाई के बाद अपने नाम को ट्रेंड करवाने के लिए एक गुप्त एजेंडा चला रहा है।
छठी अनुसूची? ये तो 1950 के दशक का डायनासोर है जो आधुनिक भारत के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त है।
लद्दाख की जनजातियां अपने लिए अलग से सीटें चाहती हैं? अरे भाई, अगर हर जनजाति अपनी अपनी सीट चाहे तो लोकसभा का आकार कितना हो जाएगा? 1000 सीटें? 2000?
ये सब निर्माण की बातें हैं जो जनता को भ्रमित करने के लिए बनाई गई हैं।
वांगचुक एक पर्यावरणविद हैं? तो फिर उनका एक्टिविज़्म क्यों राजनीति के बजाय विज्ञान पर केंद्रित नहीं है?
उन्होंने किसी ग्लेशियर के पिघलने का डेटा दिखाया है? नहीं।
उन्होंने किसी जनजातीय भाषा के संरक्षण के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया है? नहीं।
उन्होंने किसी निर्माण परियोजना के लिए एनवायरनमेंटल इम्पैक्ट असेसमेंट की रिपोर्ट जमा की है? नहीं।
उन्होंने बस एक मार्च शुरू किया है और अब ये कह रहे हैं कि वो लोकतंत्र के लिए लड़ रहे हैं।
ये तो बस एक बड़ा ट्रेंडिंग टॉपिक है जिसे किसी ने बनाया है और अब विपक्ष उसे अपना ले रहा है।
इसका कोई गहरा सामाजिक या वैज्ञानिक आधार नहीं है।
इसे एक नाटक के रूप में देखो, न कि एक आंदोलन के रूप में।
ये सब बस एक बड़ा ड्रामा है।
Anadi Gupta
अक्तूबर 7, 2024 AT 11:13यह घटना भारतीय संविधान के धारा 19(1)(a) और 19(1)(b) के अनुरूप नहीं है। भारतीय नागरिकों के शांतिपूर्ण सभा के अधिकार को संविधान द्वारा संरक्षित किया गया है।
इस घटना में विपक्षी नेताओं के द्वारा उठाए गए मुद्दे वास्तविक हैं और इनकी अनदेखी करना लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए एक खतरनाक पूर्वाभास है।
लद्दाख के जनजातीय समुदायों के लिए छठी अनुसूची का लागू होना न केवल एक कानूनी आवश्यकता है बल्कि एक सामाजिक न्याय का मुद्दा है।
केंद्र सरकार के द्वारा एक शांतिपूर्ण आंदोलन को रोकने की कोशिश करना भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ एक अस्पष्ट और अनुचित कार्रवाई है।
इसके अलावा, लद्दाख के जल संसाधनों और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए विशेष ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि यह क्षेत्र हिमालयी जल संसाधनों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अतः सरकार को इस आंदोलन के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए और एक संवादात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
अन्यथा, इस तरह की अनियंत्रित कार्रवाई लंबे समय में लोकतंत्र के लिए विनाशकारी साबित होगी।
यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है जिसका ध्यान राष्ट्रीय स्तर पर दिया जाना चाहिए।
हमें अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
यह एक अवसर है जिसे हम नहीं खोना चाहिए।
मैं यह चाहता हूं कि सरकार इस बात पर विचार करे कि शांतिपूर्ण विरोध को दबाने की बजाय उसे सुनना चाहिए।
यह एक बहुत ही गहरा और जटिल मुद्दा है जिसका विश्लेषण बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए।
shivani Rajput
अक्तूबर 7, 2024 AT 19:18छठी अनुसूची का उपयोग अब अत्यधिक अनुचित है। ये एक 1950 के डायनासोर पॉलिसी है जो आधुनिक राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के साथ असंगत है।
लद्दाख को अलग सीटें देने की मांग भी एक अस्थिरता का स्रोत है।
यह एक जनजातीय राजनीति का उदाहरण है जो राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाती है।
सरकार ने बिल्कुल सही किया।
इस आंदोलन का उद्देश्य राजनीतिक उथल-पुथल पैदा करना है।
कोई भी लोकतांत्रिक देश ऐसे विरोध को सहन नहीं कर सकता।
ये वांगचुक बस एक आर्टिफिशियल नेशनलिस्ट बनने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्हें अपने विज्ञान के काम पर ध्यान देना चाहिए, न कि राजनीति में।
Jaiveer Singh
अक्तूबर 8, 2024 AT 08:59कायरता? अलोकतांत्रिक? तुम लोग भारत के खिलाफ बगावत कर रहे हो।
लद्दाख एक सीमावर्ती क्षेत्र है, जहां हर आंदोलन देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।
वांगचुक चीन के साथ षड्यंत्र कर रहा है।
सरकार ने सही किया।
भारत का सम्मान बरकरार रखो।
Arushi Singh
अक्तूबर 10, 2024 AT 05:30मुझे लगता है कि ये आंदोलन शांतिपूर्ण है और इसका उद्देश्य सही है।
हमें लद्दाख के लोगों के साथ खड़े होना चाहिए।
मैं उम्मीद करती हूं कि बातचीत शुरू हो जाएगी।
😊
Rajiv Kumar Sharma
अक्तूबर 10, 2024 AT 07:19क्या हम सच में ये सोचते हैं कि एक व्यक्ति अपने ग्लेशियरों के लिए दिल्ली तक मार्च कर सकता है?
ये तो बस एक नाटक है।
मैं तो उसके बारे में नहीं जानता लेकिन मैं जानता हूं कि हर बड़ी बात एक छोटे आदमी के दिमाग से नहीं बनती।
ये सब जो लोग बोल रहे हैं, वो बस एक बड़े योजना का हिस्सा हैं।
क्या तुमने कभी सोचा कि ये आंदोलन किसके लिए है?
क्या ये वांगचुक के लिए है या किसी और के लिए?
मैं तो बस इतना कहूंगा - जो भी इसके पीछे है, वो जानता है कि वो क्या कर रहा है।
Jagdish Lakhara
अक्तूबर 11, 2024 AT 14:16महान भारत के नागरिकों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए, लेकिन यह आंदोलन अवैध और अनुचित है।
सरकार को इस तरह के आंदोलनों को रोकना चाहिए।
भारत की सुरक्षा सर्वोच्च है।
हमें विदेशी शक्तियों के षड्यंत्रों से सावधान रहना चाहिए।
यह आंदोलन एक बाहरी हस्तक्षेप का निशान है।
इसलिए इसे दबाना आवश्यक है।
Nikita Patel
अक्तूबर 12, 2024 AT 00:03सुनो, मैं लद्दाख के बारे में बहुत कम जानता हूं, लेकिन ये जो वांगचुक कर रहे हैं, वो शांतिपूर्ण है।
अगर हम लोगों को शांति से बोलने दें तो क्या बुरा होगा?
मैं अपने दोस्तों को भी बताता हूं कि अगर तुम अपने बारे में बोलना चाहते हो तो तुम्हें बस शांति से बोलना है।
ये तो बस एक आवाज है।
हम सबको इसे सुनना चाहिए।
क्योंकि अगर हम इसे दबा देंगे तो ये आवाज और ज़ोर से बोलेगी।
और जब वो बोलेगी तो शायद तुम्हें अपने बारे में भी सोचना पड़ेगा।
abhishek arora
अक्तूबर 12, 2024 AT 14:39हम भारतीय हैं! हमारे देश के लिए लड़ना है, न कि विदेशी एजेंडे के लिए! 🇮🇳
वांगचुक को गिरफ्तार किया गया ताकि देश की अखंडता बनी रहे।
जो लोग इसे विरोध कर रहे हैं, वो देशद्रोही हैं।
भारत के लिए नहीं, बल्कि अपने फेम के लिए ये सब कर रहे हैं।
मैं इस सरकार का समर्थन करता हूं! 🤘
Kamal Kaur
अक्तूबर 14, 2024 AT 12:11मैं इस बारे में बहुत गहराई से सोच रहा हूं।
क्या हम अपने लोगों को शांति से बोलने दे रहे हैं?
क्या हम अपने नागरिकों के अधिकारों को समझ रहे हैं?
मैं तो बस इतना कहूंगा - अगर हम इस आवाज को दबा देंगे, तो अगली आवाज कितनी ज़ोर से बोलेगी?
😊
Ajay Rock
अक्तूबर 14, 2024 AT 21:21ये सब एक बड़ा ड्रामा है।
लेकिन ये ड्रामा जानबूझकर बनाया गया है।
वांगचुक ने इसे बनाया, विपक्ष ने इसे बढ़ाया, मीडिया ने इसे बेचा।
अब तुम लोग इसे वास्तविक समझ रहे हो।
पर ये तो बस एक ट्रेंड है।
अगले हफ्ते कोई और ट्रेंड आ जाएगा।
और ये सब भूल जायेगा।
लेकिन तुम लोग अभी तक इसके लिए लड़ रहे हो।
क्या तुम्हें नहीं लगता तुम बस एक बड़े खेल का हिस्सा हो?
Ashish Perchani
अक्तूबर 14, 2024 AT 23:20तुम लोग इसे ट्रेंड कह रहे हो... लेकिन ये ट्रेंड नहीं, ये ज़िंदगी है।
एक आदमी अपने जमीन, अपने पानी, अपने संस्कृति के लिए लड़ रहा है।
तुम इसे बस एक ट्रेंड कह देते हो।
पर अगर तुम्हारी जमीन ले ली जाए तो तुम भी वैसा ही करोगे।
तुम बस इसलिए नहीं बोल रहे क्योंकि तुम्हारी जमीन अभी बची है।