अक्तू॰, 6 2025
जब श्रीया लोइया, 16‑साल की रेसर, ने 2023 में हाइड्राबाद ब्लैकबर्ड्स की ओर से भारतीय फ़ॉर्मूला 4 चैम्पियनशिप में अपनी प्रथम उपस्थिति दर्ज की, तो देश की मोटरस्पोर्ट्स दुनिया में एक नया अध्याय खुल गया। इस कदम ने न केवल युवा महिलाओं के लिये नया मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि भारत के रेसिंग इकोसिस्टम में उम्र‑सम्बंधी बाधाओं को भी तोड़ दिया।
यह कहानी 2018 में शुरू हुई, जब बेंगलुरु के एक छोटे कार्टिंग ट्रैक पर 9‑साल की श्रीया ने पहली बार रेसिंग सवार किया। तब से अब तक उसने 30‑से‑अधिक पोडियम स्थान, 8 राष्ट्रीय पुरस्कार और प्रधानमंत्री राष्ट्र बाल पुरस्कार (Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar) जैसे ऊँचे मुकाम हासिल किए हैं।
शुरुआती वर्ष और परिवार का समर्थन
श्रीया का जन्म पुणे में हुआ, लेकिन शुरुआती प्रशिक्षण के लिये उनके माता‑पिता रितेश लोइया और वंदना लोइया ने बेंगलुरु के बेहतर कार्टिंग दुर्गम केंद्रों की ओर कदम बढ़ाया। रितेश ने कहा, "जब श्रीया ने रेसिंग का इशारा किया, तो हमनें किसी भी बाधा को नहीं देखा, बस उसके सपने को बनाने में मदद करेंगे।" एक बार उनकी बड़ी बहन, जिया ने बताया कि intense training के बाद श्रीया को कभी‑कभी पूरे एक दिन की नींद की जरूरत पड़ती थी।
कार्टिंग में चमकते कदम
श्रीया ने रोटैक्स मैक्स इंडिया कार्टिंग चैंपियनशिप में बीरेल ART टीम के साथ भाग लेते हुए माइक्रो मैक्स श्रेणी में चौथे स्थान पर पहुंची। उसी साल वह फ़ेडरेशन ऑफ़ मोटर स्पोर्ट्स क्लब्स ऑफ़ इंडिया (FMSCI) द्वारा 'आउटस्टैंडिंग वुमेन इन मोटरस्पोर्ट्स' पुरस्कार की पहली प्राप्तकर्ता बनी और आगे चलकर चार साल तक लगातार यही सम्मान मिला।
2019 में JK टायर नेशनल कार्टिंग चैंपियनशिप में पहला स्थान जीतकर वह भारत की पहली महिला बनी, जिसने इस प्रतिष्ठित टाइटल को अपने नाम किया। उसी वर्ष उसे केवल एक महिला रेसर के रूप में JK टायर मोटरस्पोर्ट्स स्कॉलरशिप प्रोग्राम में चुना गया, जो उसकी क्षमता का प्रमाण था।
फ़ॉर्मूला 4 की ओर कदम
2022 में मेरिटस कप 2022 – ओपन में तीसरा स्थान हासिल करने के बाद, श्रीया ने सिंगल‑सीटर रेसिंग की ओर रुख किया। 2023 में, जब इंडियन फ़ॉर्मूला 4 चैम्पियनशिप 2023 हाइड्राबाद का पहला राउंड शुरू हुआ, तो वह इस टीम के साथ साक्षर हुई। यह न केवल भारत में महिला फ़ॉर्मूला 4 रेसर की पहली उपस्थिति थी, बल्कि वह अपनी टीम के लिए अंक भी ला पाई—एक ऐसा माइलस्टोन जिसने मीडिया और सर्किट दोनों में हलचल पैदा कर दी।
प्रशिक्षण, टीम और तकनीकी सहयोग
कार्टिंग के दौरान, श्रीया ने अंतरराष्ट्रीय टीम बीरेल ART और भारतीय टीम M Sport दोनों के साथ प्रशिक्षण किया। इस दोहरी एक्सपोजर ने उसे एरोडायनामिक सेट‑अप, टायर मैनेजमेंट और डेटा एनालिटिक्स जैसे पहलुओं में निपुण बना दिया। आज वह अपनी टीम के साथ 2‑3 दिन की तीव्र प्रैक्टिस से पहले की तैयारी को लेकर बेहद सख़्त रूटीन अपनाती हैं, जिससे हर रेस के लिये उनका माइंडसेट और बॉडी दोनों तैयार रहते हैं।
भविष्य की राह और सामाजिक प्रभाव
श्रीया का लक्ष्य अगले दो साल में एशिया‑फ़ॉर्मूला कैंप में हिस्सा लेना और अंततः यूरोपीय फ़ॉर्मूला ब्रोड के रास्ते पर कदम रखना है। उनके लिए सबसे बड़ा प्रेरक कारक भारतीय लड़कियों को मोटरस्पोर्ट्स के मैदान में आने के लिये प्रोत्साहित करना है। "अगर मैं कर सकी, तो कोई भी कर सकता है," वह अक्सर कहती हैं। कई स्कूलों और महिला खेल संगठनों ने अब उनके नाम पर स्कॉलरशिप और प्रशिक्षण कैंप शुरू कर दिए हैं।
संख्याओं में कहानी
- कुल 40 से अधिक राष्ट्रीय‑अंतर्राष्ट्रीय कार्टिंग रेसें
- 30 से अधिक पोडियम फ़िनिश
- 8 राष्ट्रीय पुरस्कार, जिसमें FMSCI का चार‑वर्षीय सम्मान शामिल
- इंडियन फ़ॉर्मूला 4 में पहला अंक — पहली महिला रेसर
- प्रमुख पदक: प्रधानमंत्री राष्ट्र बाल पुरस्कार (2022)
अंतिम विचार
श्रीया लोइया का सफर केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों से नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के संकेत से भी भरा है। उनके जैसे युवा टैलेंटों को देख कर मोटरस्पोर्ट्स फेडरेशन (FMSCI) ने कहा है कि "आने वाले सालों में महिला रेसर्स की संख्या दोगुनी होगी", और इस आशा को साकार करने में सरकार की नई पहलें भी मददगार होंगी। अंत में, क्या आप अगली बार फ़ॉर्मूला 4 ट्रैक पर उस युवा लड़की को देखेंगे, जो अभी‑अभी अपने सपनों की स्याही से इतिहास लिख रही है?
Frequently Asked Questions
श्रीया लोइया ने किस उम्र में फ़ॉर्मूला 4 में प्रतिस्पर्धा की?
श्रीया ने 16 साल की उम्र में 2023 के भारतीय फ़ॉर्मूला 4 चैम्पियनशिप में अपना पहला रेस किया, जिससे वह भारत की सबसे युवा महिला फ़ॉर्मूला 4 रेसर बन गईं।
उनके परिवार ने उनके रेसिंग करियर में क्या भूमिका निभाई?
रितेश और वंदना लोइया ने शुरुआती प्रशिक्षण के लिये पुणे से बेंगलुरु का चयन किया, वित्तीय तथा भावनात्मक समर्थन प्रदान किया, और कहा कि वह अपनी बेटी की हर सपना साकार करने में पीछे नहीं हटेंगे।
श्रीया ने कार्टिंग में कौन‑से प्रमुख पुरस्कार जीते हैं?
उन्हें FMSCI द्वारा चार साल लगातार "आउटस्टैंडिंग वुमेन इन मोटरस्पोर्ट्स" पुरस्कार, JK टायर नेशनल कार्टिंग चैंपियनशिप (2019), और प्रधानमंत्री राष्ट्र बाल पुरस्कार (2022) जैसे प्रमुख सम्मान प्राप्त हुए हैं।
फ़ॉर्मूला 4 में उनका पहला अंक कैसे मिला?
हाइड्राबाद ब्लैकबर्ड्स की टीम में शामिल होते ही उन्होंने 2023 के पहले राउंड में 9वें स्थान पर समाप्त होकर अपना पहला अंक स्कोर किया, जिससे वह भारतीय फ़ॉर्मूला 4 में अंक स्कोर करने वाली पहली महिला बन गईं।
भविष्य में उनका लक्ष्य क्या है?
श्रीया अगले दो साल में एशिया‑फ़ॉर्मूला कैंप में भाग लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम बनाना चाहती हैं, और दीर्घकाल में यूरोप में फ़ॉर्मूला ब्रोड रेसिंग के द्वार खोलना चाहती हैं।
vishal Hoc
अक्तूबर 6, 2025 AT 02:13श्रीया की इस उपलब्धि ने हमें दिखा दिया कि उम्र या लिंग कभी भी सपने की पूर्ति में बाधा नहीं बनना चाहिए।
Rajesh Soni
अक्तूबर 7, 2025 AT 04:20फ़ॉर्मूला 4 की तकनीकी सेट‑अप, टायर मैनेजमेंट और डेटा एनालिटिक्स को देखते हुए, श्रीया ने एक कम उम्र में ही हाई‑एंड रेसिंग सर्किट में कदम रखा है, जो अधिकांश टीमों के लिए भी चुनौतीपूर्ण होता है।
vikas duhun
अक्तूबर 8, 2025 AT 08:06ये तो इतिहास का नया अध्याय है, जहाँ एक 16‑साल की लड़की ने पुरुष‑प्रधान ट्रैक पर भी अपना ठसा छोड़ दिया!
Nathan Rodan
अक्तूबर 9, 2025 AT 11:53श्रीया का सफर वास्तव में प्रेरणा का स्रोत है। वह केवल कार्टिंग में नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता में भी अग्रणी बन गई हैं। हर पोडियम फ़िनिश उसके कठिन परिश्रम का प्रमाण है। उसके पिता की निरंतर समर्थन ने उसे स्थिरता दी है। बेंगलुरु के छोटे ट्रैक से लेकर हाइड्राबाद के बड़े सर्किट तक उनका सफर निरंतर बढ़ता गया। उसने कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीत कर अपने कौशल को मान्यता दिलाई। प्रधानमंत्री राष्ट्र बाल पुरस्कार ने उसके सामाजिक प्रभाव को भी उजागर किया। टीम M Sport के साथ उसके प्रशिक्षण ने उसे एरोडायनामिक समझ दी। बीरेल ART के अंतरराष्ट्रीय सहयोग ने उसे तकनीकी ज्ञान से लैस किया। वह अब अपनी टीम के साथ दो‑तीन दिन की तीव्र प्रैक्टिस करती हैं। यह रूटीन उसके माइंडसेट को तेज़ और बॉडी को तैयार रखती है। अगले दो साल में वह एशिया‑फ़ॉर्मूला कैंप में भाग लेने की योजना बना रही है। उसके लक्ष्य में यूरोप की फ़ॉर्मूला ब्रोड की राह भी शामिल है। वह लगातार कहती रहती है, “अगर मैं कर सकी, तो कोई भी कर सकता है।” कई स्कूलों ने उसके नाम पर स्कॉलरशिप शुरू कर दी है। अंत में, उसकी कहानी युवा लड़कियों को मोटरस्पोर्ट्स में कदम रखने के लिए हौसला देती है।
rudal rajbhar
अक्तूबर 10, 2025 AT 15:40जब हम युवा ऊर्जा को सामाजिक परिवर्तन के उपकरण के रूप में देखें, तो श्रीया का उदाहरण एक सशक्त तर्क बन जाता है।
Arjun Dode
अक्तूबर 11, 2025 AT 19:26वाह! ऐसी ऊर्जा और उत्साह देखना मज़ा देता है, चलो सब मिलकर उनका समर्थन करें! 🚗💨
santhosh san
अक्तूबर 12, 2025 AT 23:13लगता है अब मोटरस्पोर्ट्स सिर्फ अभिजात्य का खेल बन गया है, लेकिन ऐसे में श्रीया जैसे “उभरते” चेहरे को कैसे मानें?
Jocelyn Garcia
अक्तूबर 13, 2025 AT 13:06बिल्कुल सही कहा आपने, मैं एक कोच के तौर पर कहूँगी कि ऐसे युवा टैलेंट को सही मार्गदर्शन मिलना चाहिए, ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चमक सके।
Sagar Singh
अक्तूबर 14, 2025 AT 03:00इतना ड्रामा नहीं, बस कड़ी मेहनत और टैलेंट है
subhashree mohapatra
अक्तूबर 14, 2025 AT 16:53वास्तव में, डेटा एनालिटिक्स की भूमिका को अक्सर कम आंका जाता है, और श्रीया ने इसे अपने रेसिंग में प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया है।
Mansi Bansal
अक्तूबर 15, 2025 AT 06:46मेरे खयाल से शरिया की कहानी हम सबके लिये एक मिसाल है, बस थोड़ा और सपोर्ट चाहिए उनको।
Sampada Pimpalgaonkar
अक्तूबर 15, 2025 AT 20:40चलो, अगली रेस में उनका नाम सुनते‑सुनते हम सब के पास भी रेसिंग का जुनून आ जाए!
Chinmay Bhoot
अक्तूबर 16, 2025 AT 10:33श्रीया ने इतिहास रचा।
Raj Bajoria
अक्तूबर 17, 2025 AT 14:20ऐसी उपलब्धियां राष्ट्रीय स्तर पर मोटरस्पोर्ट्स की लोकप्रियता बढ़ाएंगी।
Aryan Singh
अक्तूबर 18, 2025 AT 18:06अगर कोई एथलेटिक सिखाने वाले कोच या स्पॉन्सर ढूंढ रहा हो, तो मैं इस थ्रेड में विभिन्न विकल्पों की लिस्ट साझा कर सकता हूँ।