सित॰, 27 2025
संयुक्त राज्य अमेरिका के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने Sun Pharmaceutical Industries Limited की गुजरात‑स्थित Halol फ़ैक्टरी को ‘Official Action Indicated’ (OAI) की श्रेणी में रखा है। इस वर्गीकरण का मतलब है कि फ़ैक्टरी के उत्पादन प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं और वह CGMP (Current Good Manufacturing Practices) मानकों पर खरा नहीं उतरती। OAI के बाद Halol प्लांट पर आयात अलर्ट लगा दिया गया, जिससे अब इस फ़ैक्टरी से बने दवाओं को सीधे यू.एस. बाजार में भेजना रोक दिया गया है।
जाँच की अवधि में सामने आए प्रमुख मुद्दे
जाँच 2 से 13 जून 2025 तक चली, लगभग दो हफ़्ते की विस्तृत निरीक्षण प्रक्रिया के दौरान निरीक्षकों ने कम से कम आठ गंभीर उल्लंघन दर्ज किए। प्रमुख समस्याओं में शामिल थे:
- कंटैमिनेशन (दूषित) से जुड़ी चिंताएं – उत्पादन क्षेत्रों में माइक्रोबायोलॉजिकल कंटैमिनेशन के संकेत मिले।
- स्टेरिलिटी उपायों में कमी – एयरोसोल और लिक्विड फॉर्मुलेशन पर पर्याप्त स्टेराइल सर्टिफ़िकेशन नहीं था।
- पर्यावरण नियंत्रण का अभाव – एयर फ़्लो और दबाव अंतर को बनाए रखने में कमी पाई गई।
- सफ़ाई प्रोटोकॉल में लापरवाही – उपकरण और कार्यस्थल की सफ़ाई रिकॉर्ड में अंतराल और अनियमितता दिखी।
इन मुद्दों ने FDA को यह मानने पर मजबूर किया कि Halol फैक्ट्री अभी भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार उत्पादन नहीं कर पा रही है। इस कारण आयात प्रतिबंध लगाया गया, सिवाय उन दवाओं के जो यू.एस. में गंभीर कमी से जूझ रही हों और वैकल्पिक सप्लाय नहीं मिल सके। ऐसी स्थितियों में FDA कुछ अपवाद दे सकता है, पर यह प्रक्रिया भी कड़ी निगरानी में रहती है।
पिछले दस वर्षों में निरंतर समस्याएँ और राजनीतिक प्रतिक्रिया
Halol प्लांट पर यह पहली बार नहीं, बल्कि कई बार FDA की नज़र में आया है। 2016 से लेकर आज तक इस फ़ैक्टरी को कई निरीक्षणों में त्रुटियों के लिए रिवाइज़ किया गया। 2022 में भी कंटैमिनेशन और स्टेरिलिटी से जुड़ी कमियों पर नोटिस जारी किया गया था। लगभग दो साल पहले, FDA ने पहले ही इस प्लांट को यू.एस. सप्लाई की सीमित अनुमति दे दी थी, जिससे कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य डेब्बी डिंगेल ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा, “जब तक FDA ऐसे गंभीर खामियों को ठीक नहीं करता, अमेरिकन रोगियों को जोखिम में डालना अस्वीकार्य है।” उन्होंने आयात प्रतिबंध के अपवादों के बारे में पारदर्शिता की मांग की, ताकि कमजोरियों का दुरुपयोग न हो।
Sun Pharma ने इस अवसर पर अपनी ओर से बयान जारी किया। कंपनी ने कहा कि वह FDA के साथ मिलकर सभी आवश्यक सुधार करेगी और गुणवत्ता नियंत्रण को सर्वोपरि मानती है। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि कंपनी वैश्विक स्तर पर दवाओं की अखंडता बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत है।
Halol प्लांट Sun Pharma के लिए एक महत्वपूर्ण उत्पादन केंद्र है। यहाँ पर कंपनी के कई जेनरिक दवाओं का निर्माण होता है, जिनका निर्यात विश्व के कई देशों में होता है। इसलिए इस प्रतिबंध का असर सिर्फ अमेरिकी बाजार तक सीमित नहीं, बल्कि कंपनी की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को भी प्रभावित करेगा।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह बार‑बार होने वाला जोखिम संकेतक एक बड़े सिस्टमिक मुद्दे को दर्शाता है। केवल सतही सुधार नहीं, बल्कि संपूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली में पुनर्गठित परिवर्तन आवश्यक हो सकते हैं। इससे न केवल FDA के साथ अनुपालन बेहतर होगा, बल्कि भविष्य में अन्य अंतर्राष्ट्रीय नियामक संस्थानों के साथ भी कंपनी को कम दिक्कतें होगी।
Sun Pharma को अब जल्दी से जल्दी सभी उल्लंघनों को दूर करना होगा, नहीं तो अमेरिकी बाजार में उसकी हिस्सेदारी घटती रहेगी और विश्वसनीयता पर दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है। इस चुनौती का सामना करने के लिए कंपनी को उत्पादन प्रक्रिया, कर्मी प्रशिक्षण, सफ़ाई प्रोटोकॉल और पर्यावरण नियंत्रण में व्यापक सुधार करना पड़ेगा। यह कदम न केवल नियामक आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि कंपनी के ब्रांड को भी मजबूत करेगा।
Pramod Lodha
सितंबर 27, 2025 AT 05:10ये सब तो बस एक चेतावनी है। Sun Pharma अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी जेनेरिक दवा निर्माता कंपनियों में से एक है। इन गलतियों को सुधारना संभव है, बस उन्हें थोड़ा समय और अधिक निवेश चाहिए। मैं उन पर विश्वास रखता हूँ। 💪
shivani Rajput
सितंबर 27, 2025 AT 08:19CGMP नॉन-कॉम्प्लायंस और माइक्रोबायोलॉजिकल ब्रेचेज़ जैसी टर्म्स का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है वरना लोगों को समझ नहीं आएगा कि ये सिर्फ एक सामान्य ऑडिट नहीं बल्कि सिस्टमिक फेलियर है।
sameer mulla
सितंबर 29, 2025 AT 01:16ये सब बस अमेरिका का एक राजनीतिक नाटक है 😡 भारतीय दवाओं को डराने के लिए ऐसा कर रहे हैं। FDA के पास तो खुद कई फैक्ट्रियां हैं जहां तो चूहे बिल बना रहे होते हैं 🐀💥
Jaiveer Singh
सितंबर 30, 2025 AT 03:25हम दवाओं का निर्यात करते हैं लेकिन गुणवत्ता के लिए लड़ने की हिम्मत नहीं है। ये FDA की निगरानी नहीं, बल्कि हमारी अपनी लापरवाही का नतीजा है। हमें अपने आप पर गर्व करने की जगह अपनी गलतियों को स्वीकारना चाहिए।
Anadi Gupta
सितंबर 30, 2025 AT 20:37यहाँ तक कि एक छोटी सी सफाई की लापरवाही भी जब लगातार दोहराई जाती है तो वह एक सिस्टमिक फेलियर बन जाती है जिसका अर्थ है कि ऑपरेशनल कल्चर ही खराब है और इसे बदलने के लिए सिर्फ नए प्रोटोकॉल नहीं बल्कि एक पूरी संस्कृति का पुनर्निर्माण आवश्यक है जो गुणवत्ता को व्यक्तिगत जिम्मेदारी बना दे न कि एक नियम जिसे भूल जाया जा सकता है
Neha Kulkarni
अक्तूबर 1, 2025 AT 13:39यह सिर्फ एक फैक्ट्री की बात नहीं है यह भारतीय फार्मा इंडस्ट्री की विश्वसनीयता के बारे में है। हमने अभी तक दुनिया को बहुत कुछ दिया है लेकिन अब यह समय है कि हम अपने आप को बेहतर बनाएं। यह एक चुनौती है न कि एक अंत।
Sanjay Mishra
अक्तूबर 3, 2025 AT 09:33अरे भाई! ये तो बस एक फैक्ट्री नहीं बल्कि एक ब्रांड की तबाही है! जब तक हम अपनी गुणवत्ता को बाजार के नाम पर नहीं बेचते, तब तक दुनिया हमें जीत नहीं पाएगी! 💥🩸
Sini Balachandran
अक्तूबर 4, 2025 AT 17:13क्या हम सच में यह मान सकते हैं कि एक दवा की गुणवत्ता केवल एक नियामक के निरीक्षण पर निर्भर करती है? या यह सिर्फ एक नाटक है जिसमें हम सब अपनी भूमिकाएँ निभा रहे हैं?
Prakash Sachwani
अक्तूबर 5, 2025 AT 20:23फिर से ये सब? क्या कोई असली जवाब देगा?
Dr Dharmendra Singh
अक्तूबर 6, 2025 AT 01:48हम बाहर की दुनिया के लिए दवाएं बनाते हैं लेकिन अपने अंदर की दुनिया को सुधारने के लिए तैयार नहीं। ये बात दिल को छू जाती है। 🤔
Jagdish Lakhara
अक्तूबर 6, 2025 AT 08:26मैं यह आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस मुद्दे को व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखें। यह एक वैज्ञानिक और औद्योगिक समस्या है जिसका समाधान केवल तकनीकी और प्रशासनिक उपायों से ही संभव है।
Arushi Singh
अक्तूबर 7, 2025 AT 13:58मुझे लगता है कि ये एक अवसर है। नहीं एक अपमान। हम इसे अपनी गुणवत्ता के लिए एक नया मानक बनाने का मौका मान सकते हैं। बस थोड़ा साहस चाहिए।
Pramod Lodha
अक्तूबर 7, 2025 AT 15:36अगर हम इस बार ठीक कर लेते हैं तो ये भारतीय फार्मा के लिए एक नया इतिहास बन जाएगा। एक ऐसा इतिहास जहां गुणवत्ता सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि एक विश्वास होगा।
Pooja Raghu
अक्तूबर 8, 2025 AT 09:28ये सब FDA का षड्यंत्र है। वो चाहते हैं कि हम अमेरिकी दवाओं को खरीदें। ये बस एक अर्थव्यवस्था का जाल है।
Ashish Perchani
अक्तूबर 8, 2025 AT 19:03इतनी बड़ी कंपनी का इतना छोटा गलती? ये तो बस एक बड़ा अपराध है। लोगों की जान जोखिम में डालना बर्बरता है। अब तक का अपराधी निकाल दो।