अगर आप खेल या फिटनेस में रुचि रखते हैं, तो भाला फेंक एक ऐसा विषय है जो हमेशा आकर्षित करता है। खासकर जब बात भारत के ओलंपिक पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा की हो। उनका सफर सिर्फ़ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे देश के जावेलिन खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
हिमाचल प्रदेश के धरी गांव में जन्मे नीरज ने बचपन में ही कूद और फेंक खेला। जब उन्होंने जावेलिन को चुना, तो शुरुआती ट्रेनिंग कठिन थी—भारी डंडे उठाना, सही ग्रिप बनाना और दूरी पर नियंत्रण रखना। लेकिन उनके कोचों की सख्त मेहनत और नीरज की दृढ़ता ने उन्हें हर बाधा पार करवाई। 2021 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने भारत का पहला जावेलिन पदक हासिल किया, जिससे देशभर में इस खेल को नई पहचान मिली।
अगर आप भी भाला फेंक शुरू करना चाहते हैं तो कुछ बेसिक चीज़ों पर ध्यान देना जरूरी है:
इन बुनियादी कदमों से आप धीरे‑धीरे दूरी बढ़ा सकते हैं। याद रखें, भाला फेंक में केवल ताकत नहीं, बल्कि तकनीक भी बराबर महत्वपूर्ण है। नीरज ने अक्सर कहा कि "हर फेंक में विज्ञान है, बस समझना बाकी है".
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रक्षा करने वाले ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में 89.34 मीटर के अद्वितीय थ्रो से भाला फेंक फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। यह उनके करियर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और यह उनके स्टॉकहोम में डायमंड लीग में किए गए 89.94 मीटर थ्रो के बाद दूसरा सबसे लंबा थ्रो है।
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