वैसाखी पूर्णिमा 2025 – क्या है इस दिन की खासियत?

वैसाखी पूर्णिमा हर साल अप्रैल के मध्य में आती है, जब सूरज मेष राशि में प्रवेश करता है. यह दिन खेती‑बाड़ी वाले लोगों के लिए नए फसल‑सीज़न का संकेत है और साथ ही हिन्दू कैलेंडर में नया आर्थिक वर्ष शुरू होता है. 2025 में वैसाखी 14 अप्रैल को पड़ेगी, इसलिए अभी से तैयारियों की योजना बना लेना चाहिए.

वैसाखी के मुख्य रिवाज़

सबसे पहला काम है सुबह‑सुबह गंगा या स्थानीय नदी का स्नान. माना जाता है कि इस पानी में नहाने से स्वास्थ्य बेहतर रहता है और वर्ष भर समृद्धि आती है. फिर घर की साफ़‑सफ़ाई, दीप जलाना और प्रसाद तैयार करना होता है. कई लोग ‘केसरिया चावल’ और ‘खीर’ बनाते हैं, क्योंकि ये रंग सूर्य के साथ मेल खाते हैं.

भोजन में सरसों का तेल बहुत महत्वपूर्ण है; लोग इसे सर्दियों की ठंडी से बचाव के लिए इस्तेमाल करते हैं. वैसाखी पर गुड़‑जायफल‑इलायची वाले मीठे पकौड़े भी बनते हैं, जो घर में एक मिठास भर देते हैं. इस दिन खेतों में बीज बोने का शुभ कार्य किया जाता है – माना जाता है कि ऐसी खेती से फसलें लहलहाती हैं.

देहरादून में वैसाखी कैसे मनाएँ

देहरादून की ठंडी हवा और पहाड़ी सुंदरता इस त्यौहार को खास बना देती है. शहर के लोग अक्सर ‘जवाहरात वाटरफॉल’ या ‘बोर्डा बोटेनिकल गार्डन’ में सुबह का स्नान करते हैं, फिर घर लौट कर परिवार के साथ दाल‑भात, सरसों की रोटी और गुड़ के लड्डू खाते हैं.

शहर के कई स्थानीय स्कूल और कॉलेज वैसाखी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं – नृत्य, गाना और पारंपरिक खेल. अगर आप भी इस माहौल में शामिल होना चाहते हैं तो सोशल मीडिया या स्थानीय समाचारों से समय‑सारिणी देख लें.

वैसाखी के दिन अपने बगीचे में नई पौधें लगाना एक आसान तरीका है समृद्धि लाने का. सिर्फ़ बीज, थोड़ी मिट्टी और पानी की जरूरत होती है; फसल की सफलता पर विश्वास रखिए और सकारात्मक सोच रखें.

अगर आप वैसाखी को आर्थिक लाभ के साथ जोड़ना चाहते हैं तो स्थानीय किसान मंडी में खरीदी‑बिक्री करेँ। इस दिन किसानों का मनोबल ऊँचा होता है, इसलिए सौदे आसान होते हैं.

संक्षेप में, वैसाखी पूर्णिमा सिर्फ़ एक त्यौहार नहीं, बल्कि जीवन के नए अध्याय की शुरुआत है. इसे परिवार के साथ मिलकर सरल रिवाज़ और सकारात्मक कामों से मनाएँ, ताकि आने वाला साल आपके लिए खुशहाली लेकर आए.

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