
जब तसलीमा नसरिन, 1962 ने अपने X (पहले ट्विटर) पोस्ट में बांग्लादेश की नई विदेश नीति को ‘भारत अब दुश्मन’ कह कर तेज़ी से आलोचना की, तो पूरे दक्षिण एशिया के राज‑राजनीतिक समीक्षक चौकन्ना हो गए। 62 साल की इस लेखिका ने न सिर्फ भारत‑बांग्लादेश के ऐतिहासिक संबंधों को उजागर किया, बल्कि मौजूदा अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद युनुस पर भी गंभीर आरोप लगाए – उन्होंने नबेल शांति पुरस्कार को रद्द करने की अपील की।
पृष्ठभूमि: तसलीमा नसरिन का निरंकुश सफ़र
नसरिन को 1993 में अपने उपन्यास ‘लज्जा’ के कारण एक फातवा जारी किया गया था, जिसमें भारतीय हिन्दू परिवार पर मुसलमानों के हमले को दर्शाया गया था। 1994 में उस समय के शेख़ हसीना सरकार ने उन्हें देश से निष्कासित कर दिया। तब से वह स्वीडन, कोलकाता और अब नई दिल्ली में रह रही हैं, जहाँ उनका भारतीय रेजिडेंट परमिट हर साल नवीनीकरण के अधीन रहता है।
लंबे समय तक उन्होंने बांग्लादेशीय इस्लामी उग्रवाद और पितृसत्तात्मक कानूनी प्रथा के खिलाफ आवाज़ उठाई, जिससे उन्हें कई बार मारपीट, पुस्तक दंडित और सार्वजनिक धूमाधड़वानी का सामना करना पड़ा। यही कारण है कि आज वे बांग्लादेशी राजनीति को ‘अलग‑अलग धुंधली धुंआधार’ की तरह देखती हैं।
हालिया बयान: भारत‑पाकिस्तान‑बांग्लादेश त्रिकोण
5 अगस्त 2025 को, नसरिन ने लिखा: “बांग्लादेश अब भारत को दुश्मन मान रहा है, जबकि पाकिस्तान को छाती खोलकर गले लगा रहा है।” इस बयान के पीछे उनका दावा है कि वर्तमान अंतरिम सरकार पाकिस्तान के साथ रणनीतिक समझौते कर रही है, जिससे देश की आत्मनिर्भरता और सुरक्षा दोनों ही खतरे में पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि मुहम्मद युनुस ने ‘पाकिस्तानी सेना के पराजित सैनिकों के एजेंट’ बनकर बांग्लादेश को एक अराजक स्थिति में धकेल दिया है।
नसरिन के अनुसार, पिछले नौ महीनों में ‘विरोधी नेता और अल्पसंख्यक हिन्दू’ कई बार मारहूँ हुए, उनका घर जला दिया गया और अनगिनत लोग बिना मुक़दमे के जेल में फँसे हैं। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि युनुस ‘हजारों लोगों को युद्ध की ओर धकेल रहा है’, जबकि बांग्लादेश की सैन्य क्षमता भारत के साथ किसी भी संघर्ष को झेल नहीं सकती।
उन्हें यह भी कहा गया कि बांग्लादेश के उद्योगों में लगातार हुई आतंकवादी हमले ने अर्थव्यवस्था को ‘धक्का’ दिया है, परन्तु सरकारी एजेंडा में कोई चुनाव या पुनर्स्थापना योजना नहीं है। इस बीच, भारत ने बांग्लादेश के लिए मानवीय सहायता और आर्थिक समर्थन जारी रखा है, जिससे नसरिन का कहना है कि भारत‑बांग्लादेश के पारस्परिक हितों पर “धूम मचा” रही है।
न्यू युनुस पर लहराती निंदा
नसरिन ने 1 मई 2025 को नबेल समिति को एक खुला पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने युनुस को ‘अविश्वास्य’ और ‘मानवाधिकार हननकर्ता’ कहा। उन्होंने यह भी कहा कि युनुस ने ग्रेमीन बैंक में काम करते हुए कर चोरी की और विदेशी फंड को अपने निजी व्यवसाय में उपयोग किया। ‘जब महिलाएँ माइक्रोलोन चुकाने में असमर्थ रहीं, तो ग्रेमीन बैंक के कर्मचारियों ने उनका घर तबाह कर दिया’ – यह दावा नसरिन ने पुश किया।
इस पत्र में वे कहती हैं, “युनुस के हाथ में शांति का प्रतीक नहीं, बल्कि हिंसा और बदला है।” उन्होंने नबेल समिति से अनुरोध किया कि वह ‘विश्व शांति के नाम’ अपने पुरस्कार को वापस लेन। इस माँग पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है, परन्तु अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इसे ‘गंभीर’ कहा है।

बांग्लादेश के भीतर राजनीतिक माहौल
अगस्त 2024 में, दोसाल के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को पदच्युत कर दिया गया और एक सैन्य‑समर्थित अंतरिम सरकार स्थापित हुई। युनुस, जो पहले ग्रेमीन बैंक के संस्थापक और नबेल laureate थे, इस नई सत्ता के प्रमुख नेता बने। कई विश्लेषकों का मानना है कि इस सरकार ने ‘धर्म‑राष्ट्रवाद’ को प्रमुख विचारधारा बनाया है, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिन्दुओं, पर अत्यधिक तनाव बढ़ा है।
इन घटनाओं के दौरान, तसलीमा नसरिन ने कहा कि ‘शेख़ हसीना और खलिदा ज़िया दोनों ने मेरा वापसी को रोक दिया, इस कारण मैं बांग्लादेश नहीं जा पाती’। उन्होंने फिर कहा कि दोनों महिलाओं के राजनैतिक कारनामे बांग्लादेशी उग्रवादियों को और अधिक साहस दे रहे हैं।
भविष्य की राह: क्या होगा अब?
नसरिन की सबसे बड़ी चिंता अब भारत में अपने रहने का परमिट न मिलना है। उनकी रेजिडेंस परमिट अभी रिन्यू किया गया है, परन्तु कई बार ‘तकनीकी कारणों’ से इसे रद्द किया गया था, जैसा कि 2017 में हुआ था। यदि यह परमिट नहीं मिलता, तो वे आशंका करती हैं कि “मैं मर जाऊँगी”। इस तनाव के बीच, बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघन की लहर नहीं रुकती, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निरंतर दबाव बनता जा रहा है।
एक ओर जहाँ बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच आर्थिक समझौते की रिपोर्टें आती हैं, वहीं दूसरी ओर भारत‑बांग्लादेश परंपरागत व्यापार और जल‑संधि के लाभों को नहीं भूल रहा है। इस द्विध्रुवी स्थिति में, नसरिन का संदेश स्पष्ट है: “बिना शांति के कोई भी विकास संभव नहीं।” यदि अंतरिम सरकार राजनीतिक संवाद को नहीं अपनाती, तो आर्थिक पतन और सामाजिक अशांति दोनों हाथ में हाथ डालेंगे।
मुख्य बिंदु
- तसलीमा नसरिन ने बांग्लादेश की पाकिस्तान‑तरफ़ी को ‘भारत को दुश्मन मानना’ कहा।
- वह मुहम्मद युनुस के नबेल शांति पुरस्कार को रद्द करने की मांग कर रही हैं।
- नसरिन ने अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हुए अपराधों और उद्योगों पर आतंकवादी हमलों का हवाला दिया।
- बांग्लादेश की वर्तमान सरकार को ‘धर्म‑राष्ट्रवादी’ और ‘जिहादी संगठनों’ के साथ मिलकर काम करने का आरोप।
- नसरिन का भविष्य भारत‑न्यू दिल्ली में रेजिडेंस परमिट पर निर्भर, जबकि बांग्लादेश में उनके लिए कोई सुरक्षित वापसी नहीं।

Frequently Asked Questions
तसलीमा नसरिन ने भारत‑बांग्लादेश संबंधों को लेकर क्या कहा?
उन्होंने लिखा कि बांग्लादेश अब भारत को दुश्मन मान रहा है और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध बना रहा है, जबकि वास्तविक शक्ति संतुलन और आर्थिक सहयोग भारत के साथ ही बेहतर है।
मोहम्मद युनुस पर तसलीमा की मुख्य शिकायतें क्या हैं?
युनुस को उन्होंने भ्रष्टाचार, कर चोरी, ग्रेमीन बैंक के फंड का व्यक्तिगत उपयोग और मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया है, साथ ही उन्होंने नबेल शांति पुरस्कार को रद्द करने की मांग की है।
बांग्लादेश में हाल के महीनों में अल्पसंख्यकों पर क्या घटनाएं घटित हुईं?
नसरिन के अनुसार, कई हिन्दू समुदाय के नेता और सामान्य नागरिकों को मारहूँ किया गया, उनके घर जला दिए गए और कई लोग बिना मुकदमे के जेल में फँसे हैं। इस दौरान आतंकवादी हमले उद्योगों को भी प्रभावित कर रहे हैं।
नसरिन के भारत में रहने का परमिट क्यों संकट में है?
उनका वीज़ा हर साल नवीनीकरण के अधीन है और अब तक तकनीकी कारणों से दो बार रद्दीकरण का सामना करना पड़ा है। अगर यह नहीं मिलता, तो वह बांग्लादेश लौटने की चाह रखती थीं, लेकिन दोनों देशों की सरकारों ने उन्हें वापस नहीं दिया।
भविष्य में बांग्लादेश‑भारत‑पाकिस्तान त्रिकोण के लिए क्या संभावनाएँ हैं?
अगर बांग्लादेश अपनी विदेश नीति को पुनः संतुलित नहीं करता और पाकिस्तान के साथ करीब होता है, तो भारत के साथ आर्थिक व जल‑संधि पर तनाव बढ़ सकता है। अंतरिम सरकार के भीतर यदि लोकतांत्रिक चुनाव नहीं हुए, तो आंतरिक अस्थिरता भी बढ़ेगी, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा जोखिम भी बढ़ेगा।