UP मौसम अलर्ट: IMD ने 47 जिलों में अगले चार दिन भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी अग॰, 25 2025

कहाँ और कितना बारिश का खतरा

उत्तर प्रदेश के 47 जिलों के लिए अगले चार दिन सख्त चेतावनी है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 22 से 25 अगस्त 2025 के बीच भारी से बहुत भारी बारिश का IMD रेड अलर्ट जारी किया है। फोकस पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी यूपी पर है—बलिया, गाज़ीपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, गोरखपुर, आज़मगढ़, मऊ, जौनपुर, वाराणसी और चंदौली समेत आसपास के जिलों में सबसे ज्यादा असर देखा जा सकता है।

पूर्वानुमान के मुताबिक कुछ इलाकों में 64.5 से 115.5 मिलीमीटर तक बरसात हो सकती है। IMD के मानकों में यह भारी से बहुत भारी श्रेणी है, यानी एक ही दिन में तेज बौछारें, लगातार बारिश और बीच-बीच में गरज-चमक के साथ हवाएं। रेड अलर्ट का सीधा मतलब है—कार्रवाई की जरूरत। प्रशासन और जनता, दोनों को तैयारी के मोड में रहना होगा।

यह बदलाव बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्से में बन रहे लो-प्रेशर एरिया से जुड़ा है, जिसने मॉनसून की धार फिर तेज की है। ट्रफ लाइन पूर्वी भारत से होते हुए पूर्वांचल तक सक्रिय है, इसलिए बारिश की पट्टी यूपी के इन जिलों पर टिके रहने की संभावना है।

सबसे ज्यादा दबाव शहरी इलाकों पर पड़ेगा—नीची कॉलोनियों, अंडरपास, बाजार और बस-रेलवे स्टेशनों के बाहर जलभराव की आशंका है। भारी बौछारों के दौरान लोकल ट्रैफिक थम सकता है, कुछ रूटों पर देरी और डायवर्जन संभव हैं। बिजली के फॉल्ट, पेड़ गिरने और नालों के उफान से मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

गंगा, घाघरा (सरयू), राप्ती और गंडक के तटवर्ती इलाकों में सतर्कता जरूरी है। उत्तर बिहार और तराई के कैचमेंट में अगर बारिश तेज रही, तो इन नदियों का जलस्तर यूपी में भी तेजी से प्रतिक्रिया दे सकता है। तटबंधों, पुलों के पास और कटाव-प्रवण हिस्सों में स्थानीय प्रशासन चौकन्ना है।

तापमान 2-3 डिग्री तक नीचे जा सकता है, लेकिन उमस कम नहीं होगी। हवाओं में नमी बहुत ज्यादा रहेगी, जिससे पसीना और घुटन महसूस होगी। घरों-ऑफिसों के अंदर वेंटिलेशन का ध्यान रखें और जरूरत पर ही बाहर निकलें।

IMD का अनुमान है कि 25 अगस्त के बाद बारिश की तीव्रता धीरे-धीरे कम होकर मध्यम स्तर पर आ सकती है। लेकिन ऊपरी कैचमेंट की बारिश का असर, शहरों में भरा पानी और नदी का बढ़ा स्तर एक-दो दिन बाद भी परेशान कर सकता है। यानी अलर्ट खत्म होने के बाद भी सतर्कता ढीली न करें।

बलिया जिले के लिए खास चेतावनी है—यहां तेज बारिश के साथ गरज-चमक और झोंकों वाली हवा चलने की संभावना ज्यादा है। ओपन एरिया, पेड़ों के नीचे और कच्चे-पुराने ढांचे के पास खड़े होने से बचें।

तैयारी, सावधानियां और किसानों के लिए सलाह

तैयारी, सावधानियां और किसानों के लिए सलाह

राज्य सरकार ने प्रभावित जिलों के डीएम को हाई अलर्ट पर रखा है। नगर निकायों से नालों की सफाई, पंपिंग सेट की तैनाती और संवेदनशील चौराहों पर मोटर पंप तैयार रखने को कहा गया है। आपदा प्रतिक्रिया टीमें बाढ़-प्रवण इलाकों में स्टैंडबाय पर हैं। स्कूल-कॉलेजों और दफ्तरों के लिए स्थानीय प्रशासन मौसम की स्थिति देखकर फैसला करेगा, इसलिए आधिकारिक अपडेट पर नजर रखें।

शहरों में रहने वालों के लिए जरूरी सलाहें सीधी हैं—

  • अनावश्यक यात्रा टालें। भारी बारिश के समय अंडरपास, निचली सड़कों और नालों के किनारे से न गुजरें।
  • कार-बाइक लेकर जलभराव में न उतरे। इंजन बंद पड़ने और शॉर्ट सर्किट का खतरा रहता है।
  • फोन चार्ज रखें, टॉर्च, पावर बैंक और जरूरी दवाएं बैग में रखें।
  • घर में पानी घुसने की आशंका हो तो मेन स्विच बंद करें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ऊंचाई पर रखें।
  • खुले तार, ट्रांसफॉर्मर और बिजली के पोल के पास पानी में कदम न रखें।
  • स्थानीय प्रशासन/कंट्रोल रूम के संदेशों को प्राथमिकता दें और अफवाहों से दूर रहें।

स्वास्थ्य के मोर्चे पर दो खतरे बढ़ते हैं—पानी से फैलने वाली बीमारियां और मच्छर जनित रोग। उबालकर या फिल्टर का पानी पीएं, घरों-छतों पर पानी जमा न होने दें, मच्छरदानी/रिपेलेंट का इस्तेमाल करें। बच्चों और बुजुर्गों को तेज बारिश और फिसलन वाले इलाकों से दूर रखें।

रेल और सड़क परिवहन में देरी संभव है। यात्रा पर निकलना जरूरी हो तो अतिरिक्त समय रखें, रूट अलर्ट देखें और वैकल्पिक मार्ग पहले से तय कर लें। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर भीड़ और फिसलन दोनों से सावधान रहें।

किसानों के लिए यह हफ्ता रणनीति का है। पूर्वांचल में धान की फसल सबसे संवेदनशील है। खेतों में पानी निकासी के लिए नालियां साफ रखें ताकि जड़ों पर ठहराव न बने। जहां पौधे लेटने लगें, वहां अस्थायी सहारा दें। तेज बारिश के दौरान नाइट्रोजन (यूरिया) का छिड़काव टालें—बहकर नुकसान होगा और खर्च भी बिगड़ेगा। कीट और रोग के लक्षण दिखें तो बारिश थमते ही सलाह के अनुसार दवा दें।

सब्जी उगाने वाले किसान टमाटर, भिंडी, मिर्च जैसी फसलों के लिए स्टेकिंग और मल्चिंग का सहारा लें, ताकि पौधे टूटे नहीं और मिट्टी का क्षरण कम हो। केले जैसी फसलों में बांधाई पक्की रखें। पशुपालक सूखा चारा सुरक्षित जगह रखें और शेड का पानी निकासी पक्का करें। मछलीपालन करने वाले तालाब के किनारों (बंधों) की जांच करें और ओवरफ्लो के लिए नियंत्रित आउटलेट रखें।

गांवों के लिए एक और सावधानी जरूरी है—प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और आंगनबाड़ी तक पहुंचने वाले रास्तों पर जलभराव होने पर वैकल्पिक मार्ग चिह्नित करें। गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और गंभीर रोगियों की सूची ग्राम स्तर पर तैयार रहे ताकि आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंच सके।

नदी किनारे रहने वाले परिवार घरों के आसपास की मिट्टी की दीवारें और चबूतरे जांच लें। नाव और रस्सी जैसी बुनियादी चीजें ग्राम चौपाल/प्रधान के पास उपलब्ध हैं या नहीं, इसकी पड़ताल करें। रात के समय अगर पानी बढ़े तो तटबंधों के कमजोर स्थलों पर भीड़ न लगाएं—यह खुद जोखिम बढ़ाता है और बचाव कार्य में बाधा बनता है।

वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी भीड़-भाड़ वाले बाजारों, घाटों और मेले-थियेटर जैसे आयोजनों के आयोजकों से कहा है कि वे अस्थायी शेड, विद्युत वायरिंग और एग्जिट रूट की सुरक्षा जांच तुरंत करें। मंच और होर्डिंग को हवा के झोंकों को देखते हुए मजबूत करें या जरूरत पड़े तो कार्यक्रम स्थगित करें।

मौसम का यह दौर अगस्त के पैटर्न के अनुकूल है—यूपी में वार्षिक बारिश का करीब 30% इसी महीने पड़ता है। फर्क इतना है कि इस बार लो-प्रेशर ने बारिश की रफ्तार अचानक तेज कर दी है। चार दिन की यह खिड़की जितनी चुनौतीपूर्ण है, उतने ही मौके भी देती है—तालाब, कुंड और रिचार्ज संरचनाएं भरेंगी, खेतों में नमी बनेगी। सवाल है कि हम पानी को कितनी समझदारी से मैनेज करते हैं और नुकसान को कितना कम कर पाते हैं।

13 टिप्पणि

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    Rinku Kumar

    अगस्त 25, 2025 AT 22:08
    ये बारिश तो हर साल होती है, लेकिन हर साल नए-नए अलर्ट जारी किए जाते हैं। असली समस्या तो नालियों की सफाई नहीं, बल्कि इन अलर्ट्स को एक बड़ा प्रेस रिलीज बनाने की आदत है। जनता को डराने के लिए बड़े-बड़े शब्द इस्तेमाल करना आसान है, लेकिन वास्तविक इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार तो किसी के दिमाग में नहीं आता।
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    Nikita Patel

    अगस्त 27, 2025 AT 11:05
    हर बार बारिश आती है तो सब बोलते हैं 'तैयारी करो'... लेकिन कौन तैयार है? मैंने अपने गांव में देखा, नालियां गंदगी से भरी हैं, बाढ़ के लिए कोई नियोजन नहीं। अगर हम इतने बड़े अलर्ट दे रहे हैं, तो कम से कम घरों के आसपास की नालियों को साफ कर दें। ये बात तो सब जानते हैं, लेकिन कोई काम नहीं करता।
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    abhishek arora

    अगस्त 27, 2025 AT 11:30
    ये बारिश का अलर्ट? बस एक बड़ा धोखा है! 🤦‍♂️ हमारे देश में जब तक सरकार खुद को फोटो खिंचवाने के लिए तैयार नहीं हो जाती, तब तक जनता का जीवन खतरे में है। इंडिया का नाम लेकर गर्व करना तो बंद करो, अगर ये बारिश में भी नहीं बचा पाते तो क्या बात है? 🇮🇳💔
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    Kamal Kaur

    अगस्त 28, 2025 AT 12:06
    मैं तो बस ये कहना चाहता हूँ कि जिनके घरों के आसपास पानी जम रहा है, वो अपने पड़ोसियों के साथ जुड़ जाएं। एक दूसरे की मदद करें। बिजली बंद हो गई? टॉर्च बांट दो। बच्चे बीमार हैं? दवाई लाने में एक दूसरे का साथ दो। ये अलर्ट तो सरकार का है, लेकिन बचाव हमारा है। ❤️
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    Ajay Rock

    अगस्त 29, 2025 AT 11:06
    अरे भाई, ये बारिश तो बस एक बड़ा ड्रामा है! 🎭 पहले बारिश आती है, फिर सरकार अलर्ट देती है, फिर मीडिया जोर से चिल्लाता है, फिर लोग डर जाते हैं... और फिर? कुछ नहीं होता। इसी चक्र को दोहराते रहोगे? बस एक बार अपने घर के आसपास की नाली साफ कर दो, और देखो क्या होता है।
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    Lakshmi Rajeswari

    अगस्त 30, 2025 AT 14:59
    क्या आपने कभी सोचा है कि ये बारिश... जानबूझकर हो रही है? 🤔 अमेरिका और चीन ने क्लाइमेट वेपन्स का इस्तेमाल किया है! ये बारिश सिर्फ बारिश नहीं... ये एक नियंत्रण योजना है! और ये सब इसलिए क्योंकि हम अपने गांवों में बिजली चलाते हैं! आप नहीं जानते, लेकिन ये सब कुछ जुड़ा हुआ है!!! 😱⚡
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    Piyush Kumar

    अगस्त 30, 2025 AT 19:33
    इस बारिश को देखकर लगता है कि प्रकृति हमें एक सबक सिखा रही है। हमने नदियों को बंद कर दिया, नालियों को भर दिया, और अब वो अपना बदला ले रही है। लेकिन ये सिर्फ एक चेतावनी नहीं... ये एक अवसर है। अगर हम इस बारिश को अपने तालाबों में रोक सकें, तो अगले छह महीने तक पानी की कमी नहीं होगी। डरो मत, सोचो और काम करो।
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    Srinivas Goteti

    सितंबर 1, 2025 AT 05:35
    इस अलर्ट को लेकर जो भी बातें हो रही हैं, वो सब जरूरी हैं। लेकिन एक बात भूल रहे हैं-हमारे गांवों में बहुत से लोग अभी तक इस तरह के अलर्ट को नहीं समझ पा रहे। अगर हम इन्हें बुनियादी तरीके से समझाएं-कैसे बचें, क्या करें-तो जान बच सकती है। ज्ञान का फैलाव, अलर्ट से ज्यादा जरूरी है।
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    Rin In

    सितंबर 2, 2025 AT 03:21
    ये बारिश तो बस एक बड़ा फेस्टिवल है!!! 😆☔ बस घर में बैठकर चाय पीओ, गीत सुनो, और देखो कि कितने लोग अपनी कार बहा रहे हैं! अगर तुम्हारा इंजन बंद हो गया? तो फिर से शुरू कर दो! जिंदगी तो चलती रहेगी! बस इतना ही! 😎🔥
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    michel john

    सितंबर 2, 2025 AT 17:59
    ye alret toh har saal aata hai... par koi kya karta hai? sarkar bas press release karta hai... aur hum log... hum log bhai... bas ek do din bhar kuch nahi kar pate... aur phir phir se same story... 😒
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    shagunthala ravi

    सितंबर 3, 2025 AT 06:06
    इस बारिश के बाद जो भी नदियां बढ़ गईं, उनका पानी अगर एक तरफ रोक लिया जाए, तो करोड़ों लोगों के लिए भविष्य की बात तय हो जाएगी। हम इसे एक आपदा के रूप में नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखें। जल संरक्षण, जल संग्रहण, नदी निकासी-ये सब आज शुरू करना चाहिए। नहीं तो अगली बारिश आएगी, और हम फिर से वही बात करेंगे।
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    Urvashi Dutta

    सितंबर 4, 2025 AT 09:59
    मैं अपने गांव में जब बारिश होती है, तो बच्चे नालियों में नाव चलाते हैं, बुजुर्ग बातें करते हैं, और महिलाएं घर में खाना बनाती हैं। ये बारिश हमारे लिए सिर्फ एक अलर्ट नहीं, ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है। लेकिन आज ये बारिश बदल गई है-अब ये डर का संदेश बन गई है। हमें अपनी जड़ों को याद करना होगा। जब हम बारिश के साथ रहते थे, तब हम बारिश से डरते नहीं थे।
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    Rahul Alandkar

    सितंबर 4, 2025 AT 17:40
    मैंने देखा है कि बारिश के दौरान कई लोग अपने घरों के आसपास नालियां साफ करते हैं। ये छोटी-छोटी बातें ही बड़ा अंतर ला सकती हैं। बस एक दिन के लिए अपना समय निकाल लो, और देखो कि कितना आसानी से काम बन जाता है। ये बारिश नहीं, हमारी आदतें बदलने का समय है।

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