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वीडियो में महिला ने पिस्तॉल धुलाई, MP पुलिस ने मोरना में अवैध हथियार कारखाना पकड़ा सित॰, 30 2025

जब Shakti Kapoor Sakhwar, जो अवैध हथियार निर्माता था, अपने घर में पिस्तॉल बनाते हुए पकड़ा गया, तो सोशल मीडिया पर फैल रहा एक वीडियो सबको चौंका गया। वीडियो में एक साड़ी पहनती महिला को साबुन‑डिटर्जेंट से पिस्तॉल साफ़ करते देखा गया, और वही क्लिप मध्य प्रदेश पुलिस को Ganeshpura गांव, Morena जिल्हे में स्थित एक गुप्त कारखाने तक ले गई। पुलिस ने 9 अगस्त 2024 की रात को ध्वस्त अभियान चलाया, दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया और कई पूर्ण एवं अधूरा हथियार जब्त किए। यह मामला स्थानीय सुरक्षा प्रतिबंधों के उल्लंघन को उजागर करता है, क्योंकि इन हथियारों का प्रवाह आसपास के छोटे‑शहरों और ग्रामीण इलाकों में था।

पृष्ठभूमि और संदिग्धों का प्रोफाइल

मध्य प्रदेश पुलिस की साइबर टीम ने वायरल क्लिप को फॉरेंज़िक तौर पर जांचा और यह निश्चित किया कि वह Ganeshpura गांव के एक साधारण घर में शूट किया गया था। इस गाँव में लगभग छह महीने से एक घर‑आधारित अवैध हथियार उत्पादन इकाई चल रही थी। अन्य मुख्य शंकास्पद व्यक्तियों में Biharilal Sakhwar (Shakti Kapoor के पिता) शामिल थे, जो उत्पादन में समर्थन देता था। दोनों को स्थानीय बाजार में ‘देश‑निर्मित’ पिस्तॉल बेचने का आरोप है।

ऑपरेशन विवरण: 9 अगस्त 2024 की रात

गहन निगरानी के बाद, पुलिस ने 9 अगस्त 2024 को अवैध हथियार कारखाना ध्वस्त अभियानGaneshpura, Morena के तहत कार्रवाई शुरू की। जब अधिकारी घर के बाहर पहुंचे, तो Shakti Kapoor ने तुरंत सामान पैक कर दोपहिए वाले वाहन पर भागने की कोशिश की। उसी समय उनका पिता Biharilal भी दोपहिए पर सवार था। तेज़ गति से निकलते समय दोनों का संतुलन बिगड़ गया; दोनों गिर कर घायल हो गए और तुरंत पकड़े गए।

“हमने वीडियो के माध्यम से स्थान पता किया और तुरंत कार्रवाई की,” एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, जिनका नाम सार्वजनिक नहीं किया गया। उन्होंने आगे बताया कि घर में कई बड़े‑छोटे हथियार और उत्पादन सामग्री मिली।

गिरफ़्तारी और जब्त वस्तुएँ

जब बताये गये बैग को खोला गया, तो निम्नलिखित सामग्री मिल गई:

  • 315 बोर का डबल‑बारेल गन
  • 315 बोर का पिस्तॉल
  • 32 बोर का पिस्तॉल
  • कई अधूरे हथियार, जिनमें राइफल और सर्जिकल पिस्तॉल के भाग शामिल थे
  • धातु कटिंग मशीन, ग्राइंडर, वेल्डिंग टॉर्च, फॉर्मिंग मोल्ड और बड़े मात्रा में धातु की छड़ें

कुल मिलाकर पाँच पूर्ण हथियार और लगभग दस आधे‑बनते हुए उपकरणों को जब्त किया गया। दोनों संदिग्धों के खिलाफ मध्य प्रदेश पुलिस ने अस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

प्रतिक्रिया और चल रही जांच

स्थानीय मीडिया ने इस घटना को बड़ी चर्चा बनाते हुए बताया कि इस तरह के छोटे‑स्तरीय कारखाने अक्सर पुलिस की सतर्कता से बचते हैं। इस बार सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने एक ‘त्रुटि’ दूर कर दी। सुरक्षा विश्लेषक अमित बिद्रा ने टिप्पणी की, “इंटरनेट पर ऐसी अनजानी वीडियो अक्सर अपराधियों को उजागर कर देती हैं—यह केस इसका स्पष्ट उदाहरण है।” उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिये साइबर निगरानी को बढ़ाना आवश्यक है।

पुलिस ने अभी तक नहीं बताया कि इन हथियारों का आपूर्ति नेटवर्क कहाँ तक फैला था, मगर उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान संभावित खरीदारों और वितरकों के नाम निकाले जाएंगे।

भविष्य के निहितार्थ और नियामक चुनौतियाँ

यह घटना दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे‑पैमाने पर अवैध हथियार निर्माण अभी भी एक गंभीर जोखिम बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पुलिस को स्थानीय लीड्स के साथ सोशल मीडिया मॉनिटरिंग जोड़ना पड़े, तो ऐसी कारखानों को जल्दी पकड़ा जा सकता है। इसके अलावा, सरकार को ‘देश‑निर्मित’ पिस्तॉल की निर्माण प्रक्रिया में कड़क नियम बनाकर, कारीगरों को वैध रोजगार प्रदान करने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।

Frequently Asked Questions

इस कारखाने से पकड़े गए हथियार किन क्षेत्रों में घूम रहे थे?

जांच के शुरुआती चरणों में पता चला है कि हथियार मुख्यतः मोरना के आस‑पास के गाँवों व छोटे‑शहरों में बिकते थे, जहाँ अक्सर पुलिस की नज़र नहीं जाती। अधिकारी आगे कहा कि इनकी पुनर्विक्रय श्रृंखला में दो‑तीन अतिरिक्त मध्यवर्ती बिचौलियों का भी involvement हो सकता है।

पुलिस ने इस कार्रवाई में कौन‑कौन से तकनीकी साधन इस्तेमाल किए?

मध्य प्रदेश पुलिस की साइबर टीम ने वीडियो की मूल फ़ाइल के मेटाडेटा, GPS टैग और सोशल मीडिया ट्रैकिंग टूल का उपयोग करके स्थान निकालना संभव बनाया। इसके बाद विशेष इंटेलिजेंस सॉफ़्टवेयर से घर के आसपास की गतिविधियों का विश्लेषण कर रैपिड रिस्पॉन्स टीम को तैनात किया गया।

क्या इस प्रकार के कारखानों को रोकने के लिये कोई नया नियम प्रस्तावित हुआ है?

वर्तमान में राज्य सरकार ने ‘अवैध हथियार निर्माण रोकथाम अधिनियम’ के तहत सख्त दंडात्मक प्रावधान जोड़े हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि छोटे‑शहरों में नियमित निवारक जांच और सामाजिक जागरूकता अभियानों को चलाया जाना चाहिए।

शक्ति कपूर और बिहारिलाल साखवार को किन आरोपों का सामना करना पड़ेगा?

दोनों को अस्त्र अधिनियम के तहत गैर‑कानूनी हथियार निर्माण, धारा 25 (हथियार बनाना) और धारा 27 (हथियार विक्रय) के तहत मुकदमा चलाया गया है। अब अदालत में उनके खिलाफ 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।

भविष्य में ऐसी वीडियो को रोकने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

सोशल प्लेटफ़ॉर्म्स को ऐसी सामग्री को पहले ही पहचान कर हटाने के लिये एआई‑आधारित मॉडरेशन लागू करना चाहिए। साथ ही, स्थानीय पुलिस को इंटरनेट पर दुर्दशा‑संकट संकेत मिलने पर तुरंत कार्रवाई के लिये सशक्त बनाना आवश्यक है।

1 Comment

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    Ashutosh Kumar Gupta

    सितंबर 30, 2025 AT 20:30

    ऐसे गांव में लोग हथियार बनाते हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा को कितना गंभीरता से लेते हैं?

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