अक्तू॰, 16 2025
जब सिटिज़न्स फॉर जस्टिस एंड पिस (CJP) ने 20 मई 2022 को यूट्यूब को औपचारिक शिकायत दर्ज की, तो भारत के सोशल‑मीडिया माहौल में एक बड़ी लहर उठी। CJP का कहना था कि मंच पर अनाम कंटेंट‑क्रिएटर्स द्वारा सतत् हजारों वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं, जिनमें अल्पसंख्यक, विशेषकर मुस्लिम समुदाय, को लेकर घृणा, फेक न्यूज़ और हिंसा के आह्वान शामिल हैं। दुनियाभर के उपयोगकर्ताओं को यह समझाने के बाद, यूट्यूब ने तुरंत उल्लंघन करने वाले कई चैनलों को बंद कर दिया और सामग्री को हटाया, जिससे इस मुद्दे की गंभीरता स्पष्ट हुई।
घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
2002 में मुंबई में स्थापित CJP ने पहले भी फेसबुक, ट्विटर और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर फंसे घृणा‑भाषण का विरोध किया था। 2022 की शुरुआत में भारत में कई साम्प्रदायिक झड़पों की खबरें आईं, और CJP ने नोट किया कि यूट्यूब पर ‘इंसानियत के खिलाफ’ कहे जाने वाले वीडियो गिनती से कम नहीं थे। इस संदर्भ में, CJP ने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर 20 मई 2022 को यूट्यूब को भेजी, जिसमें विशेष उदाहरण, स्क्रीनशॉट और उन वीडियो के लिंक शामिल थे जिनमें स्पष्ट तोर‑तोड़ धर्म‑आधारित घृणा दिखाई देती है।
यूट्यूब की प्रतिक्रिया और नीतिगत ढाँचा
यूट्यूब ने तुरंत अपना हेट स्पीच पॉलिसी लागू किया। यह नीति स्पष्ट रूप से बताती है कि ‘आयु, जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, धर्म, जातीयता आदि के आधार पर किसी समूह के प्रति हिंसा या घृणा को बढ़ावा देना प्रतिबंधित है’। शिकायत के बाद प्लेटफ़ॉर्म पर यूट्यूब ने:
- संगठन द्वारा दरसाए गए 200+ वीडियो को हटाया,
- तीन बार नियम‑उल्लंघन करने वाले पांच चैनलों को स्थायी रूप से बंद किया,
- कंटेंट‑क्रिएटर्स को ‘कम्युनिटी गाइडलाइन स्ट्राइक’ जारी की, जिससे उनका मोनेटाइज़ेशन रोक दिया गया।
कंपनी ने कहा, “हेट स्पीच हमारे प्लेटफ़ॉर्म की बुनियादी नीति के विरुद्ध है, इसलिए हम निरंतर निगरानी और तेज़ हटाने की प्रक्रिया अपनाते हैं”।
CJP की अतिरिक्त माँगें – यूरोपीय डीएसए का हवाला
1 जून 2022 को CJP ने एक फॉलो‑अप लेख जारी किया, जिसमें उन्होंने यूरोपीय संघ के प्रस्तावित डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA)यूरोप का उल्लेख किया। DSA का मुख्य उद्देश्य सोशल‑मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर ‘हटाने की गति को सैकड़ों घंटे से घटाकर घंटों में बदलना’ है और कंपनियों को ‘निषिद्ध सामग्री को उत्पन्न होने से पहले रोकने की जिम्मेदारी’ देना है। CJP ने यूट्यूब से कहा कि वह इस मॉडल को भारत में भी अपनाए, ताकि घृणा‑भाषण को ‘प्रकाशित होने से ही प्रतिबंधित किया जा सके’।
विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रियाएँ
इस कदम पर डिजिटल मीडिया विशेषज्ञ डॉ. आनंद मित्तल ने टिप्पणी करते हुए कहा, “यूट्यूब की तेज़ कार्रवाई भारतीय इंटरनेट सस्पेस के लिए एक ‘संदेश’ है – वह अब सिर्फ विज्ञापन के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी के लिए भी जवाबदेह है।” दूसरी ओर, कुछ स्वतंत्र यूट्यूबर्स ने चेतावनी दी कि ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति को रोकने की नीति दुरुपयोग की ओर ले जा सकती है, इसलिए पारदर्शिता एवं उचित अपील प्रक्रिया आवश्यक है’।
भविष्य की 가능नाएँ और चुनौतियाँ
घृणा‑भाषण के खिलाफ इस पहल ने कई प्रश्न उठाए हैं। क्या यूट्यूब भारत में स्थानीय कानूनों के साथ DSA जैसी यूरोपीय मानकों को मिलाकर एक ‘हाइब्रिड’ नीति अपनाएगा? क्या प्लेटफ़ॉर्म पर AI‑आधारित फ़िल्टरिंग की सटीकता पर्याप्त होगी, या फिर ‘फॉल्स पोजिटिव’ के कारण वैध सामग्री भी हटाई जाएगी? आगे चलकर, CJP ने कहा कि वे यूट्यूब के साथ मिलकर एक ‘ऑडिट रिपोर्ट’ तैयार करेंगे, जिसमें हटाए गये वीडियो, बंद किए गये चैनल और भविष्य में लागू होने वाली रोकथाम तकनीकों की सूची होगी।
मुख्य तथ्य
- शिकायत: 20 मई 2022, CJP (मुंबई) ने यूट्यूब को घृणा‑भाषण संबंधी सामग्री हटाने की माँग की।
- जवाब: यूट्यूब ने 200+ वीडियो हटाए और पांच चैनलों को बंद किया।
- अनुरोध: CJP ने यूरोपीय DSA के मानकों को भारत में लागू करने की पुश की।
- उल्लेख़: यूट्यूब की हेट स्पीच पॉलिसी 12 संरक्षित गुणों को कवर करती है, जिसमें धर्म, जाति और लिंग शामिल हैं।
- भविष्य: CJP ने यूट्यूब के साथ मिलकर एक निरंतर निगरानी एवं ऑडिट प्रक्रिया बनाने का प्रस्ताव रखा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
CJP की यूट्यूब शिकायत से कौन‑कौन प्रभावित हुआ?
मुख्य रूप से भारतीय अल्पसंख्यक समूह, विशेषकर मुस्लिम समुदाय, उस घृणा‑भाषण वाले वीडियो से प्रभावित थे, जो अनाम कंटेंट‑क्रिएटर्स द्वारा अपलोड किए गए थे। हटाए गये वीडियो ने साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ाने की संभावना थी, इसलिए CJP की कार्रवाई से इन समूहों की ऑनलाइन सुरक्षा में सुधार हुआ।
यूट्यूब ने कितनी सामग्री हटाई और किन्हें बैन किया?
यूट्यूब ने लगभग 200 से अधिक घृणा‑भाषण वाले वीडियो हटाए और तीन कम्युनिटी‑गाइडलाइन स्ट्राइक के बाद पाँच चैनलों को स्थायी रूप से बंद कर दिया। इन चैनलों में मुख्यतः वह सामग्री थी, जो धार्मिक न्यूनता, जातीय विरोध और हिंसा के आह्वान से भरी हुई थी।
डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA) क्या है और इसका भारत में क्या असर हो सकता है?
DSA यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित एक नियामक ढाँचा है, जो ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मों को ‘हानिकारक सामग्री को जल्दी हटाने’ और ‘पूर्व रोकथाम के उपाय’ लागू करने के लिए बाध्य करता है। यदि भारत इस मानक को अपनाता है, तो यूट्यूब जैसे बड़े प्लेटफ़ॉर्म को संभावित घृणा‑भाषण को प्रकाशित होने से पहले फ़िल्टर करने की तकनीकी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ेगी।
क्या यह कदम यूट्यूब के मोनेटाइज़ेशन मॉडल को प्रभावित करेगा?
हाँ, यूट्यूब की नीति के अनुसार लगातार घृणा‑भाषण वाले कंटेंट को प्रोमोट करने वाले चैनलों को मोनेटाइज़ेशन से वंचित किया जाता है, और तीन स्ट्राइक के बाद उनका खाता बंद हो जाता है। यह नीतिगत बदलाव कंटेंट‑क्रिएटर्स को नैतिक रूप से जिम्मेदार बनाता है और विज्ञापनदाताओं को ‘हेट‑स्पीच’ से बचाता है।
अब CJP और यूट्यूब के बीच अगला कदम क्या है?
CJP ने यूट्यूब के साथ एक निरंतर निगरानी रिपोर्ट तैयार करने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें हटाए गये कंटेंट, बंद किए गये खातों और भविष्य में लागू होने वाले एआई‑आधारित फ़िल्टरिंग उपकरणों का विस्तृत डेटा शामिल होगा। इससे दोनों पक्षों को पारदर्शिता बनाए रखने और संभावित दुरुपयोग की वैधानिक जांच करने में मदद मिलेगी।
varun spike
अक्तूबर 16, 2025 AT 22:52यूट्यूब ने जो कदम उठाए हैं, उसके पीछे तकनीकी ढाँचा क्या है। क्या प्लेटफ़ॉर्म ने एआई‑आधारित फ़िल्टरिंग को पूरी तरह लागू किया है। रिपोर्ट में दिखाए गए आंकड़े इस दिशा में बड़ी प्रगति को दर्शाते हैं। फिर भी यह देखना बाकी है कि निगरानी की लगातार प्रक्रिया कैसे बनाई जाएगी।
Vinay Bhushan
अक्तूबर 21, 2025 AT 13:59सच्ची जिम्मेदारी तभी दिखती है जब आप असहज सच्चाइयों का सामना करें। यूट्यूब ने इस बार चुप नहीं बैठा, इसलिए हमें इस कदम की सराहना करनी चाहिए। लेकिन आगे भी दृढ़ रहना होगा, नहीं तो फिर से वही दुविधा उभर सकती है। समुदाय को मिलकर इस दिशा में स्थायी बदलाव लाने की जरूरत है।
Gursharn Bhatti
अक्तूबर 26, 2025 AT 05:06हर बड़े बदलाव के पीछे अक्सर छुपे हुए एजेंड़े होते हैं, और यूट्यूब का यह कदम भी उसमें शुमार हो सकता है। क्या यह सिर्फ सामाजिक दबाव का जवाब है या फिर एक बड़े डेटा‑शोधन योजना का हिस्सा? जब आप इन वीडियो को हटाते हैं, तो वही सामग्री कहीं न कहीं फिर से उभरती है, यह इतिहास ने बार‑बार दिखाया है। हमें यह जानना चाहिए कि कौन‑से अल्गोरिद्म पीछे काम कर रहे हैं और उनका लक्ष्य क्या है। इस सतहिया कार्रवाई को गहराई से देखना आवश्यक है।
Arindam Roy
अक्तूबर 30, 2025 AT 20:12यूट्यूब ने कुछ चैनल बंद कर दिए।
Manish Mistry
नवंबर 4, 2025 AT 11:19हालांकि यह कदम प्रासंगिक प्रतीत होता है, परन्तु यह प्रश्न उठता है कि क्या यह मात्र सतहीय उपाय है या मूलभूत संरचना में सुधार का संकेत। विस्तृत ऑडिट के अभाव में ऐसी निष्पादनात्मक कार्रवाइयों की प्रभावशीलता पर संदेह बना रहता है। इसे कहीं अधिक पारदर्शी एवं प्रणालीगत बनाया जाना चाहिए।
Prince Naeem
नवंबर 9, 2025 AT 02:26एक समाज के मानदंडों को परिभाषित करने में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की भूमिका अपरिहार्य है। इस प्रकार की नीति क्षणिक नहीं, दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की माग करती है। यह ही स्थायी परिवर्तन का मूलभूत आधार बनता है।
sanjay sharma
नवंबर 13, 2025 AT 17:32यूट्यूब की हेट‑स्पीच नीति के तहत 200 से अधिक वीडियो हटाए गए, और पाँच चैनल को स्थायी बंदी दी गई। इस प्रक्रिया में कंटेंट‑क्रिएटरों को तीन स्ट्राइक मिलने पर मोनेटाइज़ेशन रोक दिया गया। यह कदम प्लेटफ़ॉर्म की जवाबदेही को दर्शाता है।
Chandan Pal
नवंबर 18, 2025 AT 08:39यूट्यूब की तेज़ कार्रवाई देख कर लगता है कि अब हर कोई देख रहा है कि हमें क्या सुनना चाहिए 😅. अगर ऐसी ही सख़्ती रहे तो शायद कम्युनिटी में शांति बनी रहेगी 🙌. लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि यह नीति कितना निष्पक्ष है।
SIDDHARTH CHELLADURAI
नवंबर 22, 2025 AT 23:46बहुत अच्छा हुआ कि यूट्यूब ने तुरंत कार्रवाई की 🚀. यह दिखाता है कि प्लेटफ़ॉर्म भी सामाजिक जिम्मेदारी समझ रहा है। आगे भी इस तरह की पहल देखते रहें। हमें एकजुट रहना चाहिए और आवाज़ उठाते रहना चाहिए 👍.
Deepak Verma
नवंबर 27, 2025 AT 14:52जैसे ही रिपोर्ट में दिखाया गया, यूट्यूब ने कई हेट वीडियो हटाए। इससे छोटे ग्रुपों को सुरक्षा मिली। लेकिन निरीक्षण को लगातार बनाये रखना जरूरी है।
Rani Muker
दिसंबर 2, 2025 AT 05:59मैं सोच रही हूँ कि अगर यूट्यूब ने यह कदम उठाया, तो क्या इस पर और भी कड़ी निगरानी होगी? क्या भविष्य में AI से कंटेंट फ़िल्टरिंग अधिक सटीक होगी? यह देखना दिलचस्प रहेगा।