झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बारे में पिछले कुछ दिनों से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा था कि वे जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो सकते हैं। परंतु इन अटकलों को खुद चंपई सोरेन ने सिरे से खारिज कर दिया है। वर्तमान में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार में मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि वे वहीं हैं जहां पहले थे और उन्हें इस प्रकार की खबरों का कोई ज्ञान नहीं है।
जब चंपई सोरेन से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं वही हूं जहां पहले था। मुझे नहीं पता कि मेरे बारे में क्या क्या खबरें फैलाई जा रही हैं।' असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, जो भाजपा के चुनाव सह-प्रभारी भी हैं, ने भी इन खबरों की पुष्टि नहीं की। उन्होंने कहा कि चंपई सोरेन उनके या पार्टी के संपर्क में नहीं हैं।
चंपई सोरेन ने इसी साल 2 फरवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जब हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, उन्होंने 3 जुलाई को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पत्र में, चंपई सोरेन ने जेएमएम नेतृत्व के प्रति अपनी असंतुष्टि व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि पार्टी की कार्रवाई से उन्हें अपमानित और अपतृप्ति महसूस हुई है। उन्होंने अपने एक्स प्रोफाइल से जेएमएम को भी हटा दिया है।
फिलहाल, चंपई सोरेन दिल्ली में हैं जहां उनके गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की संभावना है। चुनाव से पहले चंपई सोरेन की असंतुष्टि जेएमएम के लिए राजनीतिक अभिराम का संकेत है। भाजपा इस स्थिति का पूरा लाभ उठाने की तैयारी में है, और कई स्रोतों के अनुसार चंपई सोरेन के पार्टी में शामिल होने को लेकर चर्चा चल रही है।
यदि चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं तो यह झारखंड की राजनीतिक परिदृश्य को काफी प्रभावित कर सकता है, खासकर कोल्हान क्षेत्र में जहां चंपई सोरेन का प्रभाव काफी माना जाता है। भाजपा इस परिस्थिति को जेएमएम के खिलाफ अपने पक्ष में मोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है।
चंपई सोरेन का असंतोष जेएमएम के लिए चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। जेएमएम के कार्यकर्ता और समर्थक इस मुद्दे पर गहरी नजर बनाए हुए हैं। वहीं, भाजपा और चंपई सोरेन के बीच संभावित गठजोड़ झारखंड के राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम में हेमंत सोरेन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। हेमंत सोरेन पर लगे आरोप और उनकी गिरफ्तारी ने पार्टी को हिला दिया है। इससे जेएमएम के भीतर एक वैचारिक संकट भी उभरा है, जहां कुछ नेता पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट हो सकते हैं।
झारखंड की राजनीति में आए इन बदलाओं को लेकर जनता के मन में भी कई सवाल उठ रहे हैं। खासकर चंपई सोरेन के पास जिनकी राजनीतिक पकड़ काफी मजबूत है और यदि उनका भाजपा में शामिल होना निश्चित हो जाता है, तो यह जेएमएम के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
अब देखना यह होगा कि चंपई सोरेन की इस प्रतिक्रिया का झारखंड विधानसभा चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ता है और पार्टी के भीतर उठ रहे असंतोष की वजह से जेएमएम कैसे उबरता है।