जब हम आत्मनिर्भर भारत, एक ऐसी रणनीति है जिसमें देश अपनी उत्पादन, तकनीक और सेवाओं को बाहरी निर्भरता से मुक्त करके राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाता है. इसे अक्सर स्वावलंबी भारत भी कहा जाता है, और यह आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास के कई पहलुओं को जोड़ता है.
इस लक्ष्य को साकार करने के लिये मेक इन इंडिया, एक सरकारी मिशन है जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देता है, निवेशकों को आकर्षित करता है और निर्यात क्षमता को सुदृढ़ करता है ने प्रमुख भूमिका निभाई है. साथ ही डिजिटल इंडिया, तकनीकी आधारभूत संरचना को मजबूत करके डिजिटल सेवाओं को हर भारतीय तक पहुँचाने का प्रयास है ने तकनीकी आत्मनिर्भरता को तेज़ किया है. ये दो पहलें मिलकर स्वदेशी नवाचार, स्टार्ट‑अप इकोसिस्टम और कौशल विकास को प्रोत्साहित करती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं.
एक सफल आत्मनिर्भर भारत को कई स्तम्भों की जरूरत होती है:
कई recent खबरें इस दिशा में कदम दिखाती हैं: भारतीय क्रिकेट टीम की जीत, घरेलू तकनीक से विकसित मेडिकल शोध, और राष्ट्रीय स्तर पर निकाले गए रोजगार योजनाएँ सभी आत्मनिर्भर भारत की कहानी का हिस्सा हैं. नीचे आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों – खेल, विज्ञान, नीति, व्यापार और सामाजिक बदलाव – इस मिशन को आगे ले जा रहे हैं.
अब आगे के लेखों में हम देखेंगे कि कैसे भारत की हर खबर, चाहे वह खेल का मैच हो या नई सरकारी योजना, आत्मनिर्भर भारत की बड़ी तस्वीर में फिट बैठती है. पढ़ते रहिए और समझिए कि ये परिवर्तन आपके जीवन को किस तरह प्रभावित कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रेटर नोएडा में तीसरे संस्करण के उत्तर प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले 2025 का औपचारिक उद्घाटन किया। दो हजार दो सौ से अधिक प्रदर्शकों ने भाग लिया, जबकि रूस इस साल का साझेदार देश बना। व्यापारियों, युवा और महिला उद्यमियों से मोदी ने सीधा संवाद किया और आत्मनिर्भर भारत की दिशा पर बल दिया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने आर्थिक लचीलापन और समावेशी विकास के संदेश दोहराए।
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