आपने शायद कई बार सुनाया होगा ‘एकादशी’ शब्द, पर देव उठनी एकादशी का नाम थोड़ा अलग लगता है। यह व्रत उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु की जागृति को सम्मान देना और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाना है। अगर आप पहली बार इस दिन को मना रहे हैं तो नीचे दिए गए टिप्स आपके लिए मददगार होंगे।
देव उठनी एकादशी को अक्सर “उठती हुई शास्त्रीय शक्ति” कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु सोते नहीं होते, बल्कि जागरूक होते हैं। इसलिए इस दिन व्रत रखकर हम उनकी ऊर्जा को अपने साथ जोड़ते हैं। कथा सुनना और विष्णु के नाम का जप करना बहुत फलदायक माना गया है। आप ‘भगवान विष्णु की 12 अवतारों’ की छोटी‑छोटी कहानियां या “विष्णु सहस्रनाम” पढ़ सकते हैं। ऐसा करने से मन शुद्ध होता है और तनाव कम होता है।
सबसे पहले व्रत का नियम याद रखें – इस दिन केवल फल, सूखी मेवे और शर्बती (जैसे नारियल पानी) ही सेवन करें। तेल, मसालेदार खाना और अनाज से बचें। सुबह उठते ही स्नान करके साफ कपड़े पहनें और घर के बटुए में थोड़ा धन रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र सामने रखें।
व्रत तो रखिए, पर अगर कभी मजबूरी हो तो हल्के फल जैसे केला या पपीता खा सकते हैं। मुख्य बात यह है कि इरादा शुद्ध रहे और आप मन से भगवान को याद रखें।
देव उठनी एकादशी के बाद कई लोग कहते हैं कि उन्हें नई ऊर्जा मिलती है, काम में सफलता बढ़ती है और घर में शांति रहती है। ये सब सकारात्मक सोच और सही रीति‑रिवाजों का परिणाम है। तो इस वर्ष भी आप अपने परिवार के साथ इस पावन दिन को मनाएँ और जीवन में खुशियों की बरसात देखें।
देव उठनी एकादशी, जिसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार मास की योग निद्रा से जागते हैं। इस पर्व का उपवास 12 नवंबर, 2024 को रखा जाएगा और उपवास तोड़ने का समय 13 नवंबर, 2024 को होगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष महत्व रखती है और भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।
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