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डिजिटल सर्विसेज एक्ट – सब कुछ जो आपको जानना चाहिए

जब हम डिजिटल सर्विसेज एक्ट, भारत में ऑनलाइन सेवाओं को नियंत्रित करने वाला मुख्य कानून, जिसे अक्सर DSA कहा जाता है, की बात करते हैं, तो यह सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि डिजिटल माहौल में हमारे अधिकारों की गारंटी भी है।

यह एक्ट डेटा प्राइवेसी, उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा और उनका सही उपयोग को केन्द्र बनाकर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म को जवाबदेह बनाता है। साथ ही यह ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, सोशल मीडिया, ई‑कॉमर्स साइट और सर्च इंजन जैसे डिजिटल मार्केट्स के लिए स्पष्ट नियम तय करता है, जिससे दुरुपयोग को रोकना आसान हो जाता है। इस संदर्भ में, उपभोक्ता अधिकारों पर भी मजबूत फोकस है; एक्ट उपभोक्ता अधिकार, भ्रामक विज्ञापन, व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग और अनुचित सामग्री से सुरक्षा को क़ानूनी सुरक्षा देता है।डिजिटल सर्विसेज एक्ट की मुख्य धाराएँ इन तीनों तत्वों के बीच कड़ी कड़ी जोड़ती हैं, जिससे ऑनलाइन इकोसिस्टम में भरोसा बनता है।

मुख्य घटक और उनका आपस में संबंध

डिजिटल सर्विसेज एक्ट समती है कि ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म को पारदर्शी नीतियों के तहत काम करना चाहिए (Subject‑Predicate‑Object)। उदाहरण के लिए, यदि कोई प्लेटफ़ॉर्म गलत सामग्री को जल्दी हटा नहीं पाता, तो उसे जुर्माना भुगतान करना पड़ता है – यह न्यायिक प्रवर्तन की शर्त है। दूसरा महत्वपूर्ण संबंध है डेटा प्राइवेसी और उपभोक्ता अधिकार के बीच: उपयोगकर्ता की सहमति के बिना डेटा संग्रह या बेचने पर गंभीर दण्ड तय है, जिससे उपभोक्ता का व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित रहता है। तीसरा ट्रिपल यह है कि डिजिटल भुगतान प्रणाली को भी इस एक्ट के दायरे में लाया गया है, ताकि फिनटेक कंपनियाँ पारदर्शी लेन‑देनों को सुनिश्चित करें और धोखाधड़ी रोक सकें।

इन घटकों के अलावा, साइबर सुरक्षा भी इस एक्ट का अनिवार्य हिस्सा बन गई है। जब प्लेटफ़ॉर्म को सुरक्षा उपाय अपनाने की ज़रूरत होती है, तो वह फक्त तकनीकी नहीं, बल्कि कानूनी भी बन जाता है। इस तरह, डिजिटल सर्विसेज एक्ट ने नियमों को एकीकृत करके एक समग्र ढांचा तैयार किया है जहाँ प्रत्येक नीतिगत खंड दूसरे को पूरक करता है।

अब बात करते हैं कि यह एक्ट हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कैसे असर डालता है। जब आप किसी ई‑कॉमर्स साइट पर सामान खरीदते हैं, तो साइट को अपने रिटर्न पॉलिसी, डिलीवरी ट्रैकिंग और ग्राहक समर्थन को स्पष्ट रूप से दिखाना अनिवार्य है। अगर कोई प्लेटफ़ॉर्म इन नियमों को नहीं मानता, तो उपभोक्ता आसानी से शिकायत दर्ज कर सकता है और प्लेटफ़ॉर्म को तत्काल सुधार करना पड़ता है। इसी तरह, सोशल मीडिया पर यदि कोई हेट स्पीच या फ़ेक न्यूज़ मिलती है, तो प्लेटफ़ॉर्म को 24 घंटे में कार्रवाई करनी होती है, नहीं तो भारी जुर्माना लग सकता है।

इन सभी पहलुओं को समझते हुए, यह कहना सही रहेगा कि डिजिटल सर्विसेज एक्ट सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि डिजिटल भारत में भरोसे का आधार बन रहा है। चाहे आप छोटे व्यापारिक मालिक हों, बड़ा ई‑कॉमर्स ब्रांड या सामान्य इंटरनेट उपयोगकर्ता, इस एक्ट के तहत आपके अधिकार स्पष्ट और सुरक्षित हैं। आगे आने वाले लेखों में हम देखें‑गे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों – शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग – इस एक्ट को अपनाकर अपनी सेवाओं को बेहतर बना रहे हैं।

नीचे आप पाएँगे डिजिटल सर्विसेज एक्ट से जुड़ी नवीनतम खबरें, गहराई से विश्लेषण और व्यावहारिक सुझाव। प्रत्येक पोस्ट इस व्यापक फ्रेमवर्क को अलग‑अलग पहलुओं से रोशन करती है, जिससे आप अपने डिजिटल अनुभव को सुरक्षित और प्रभावी बना सकें। अब आगे बढ़ते हैं और उन लेखों को देखिए जो आपके सवालों के जवाब होंगे।

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