जब बात आती है हाई वोल्टेज, वह विद्युत तनाव जहां वोल्टेज सामान्य उपयोग से कई गुना अधिक होता है, जिससे बड़े पैमाने पर शक्ति ट्रांसमिशन या भारी औद्योगिक मशीनें चलती हैं. Also known as उच्च वोल्टेज, it plays a pivotal role in keeping our power infrastructure humming.
पहला प्रमुख घटक है विद्युत ट्रांसमिशन, माइलों तक बिजली पहुंचाने के लिए हाई वोल्टेज लाइनों का उपयोग. बिना इस तकनीक के बड़े शहरों में रात भर का बिजली डिमांड पूरा नहीं हो पाता। दूसरा हिस्सा है सुरक्षा मानक, इंसुलेशन, ग्राउंडिंग और फॉल्ट ट्रिप जैसी प्रैक्टिस जो दुर्घटना रोकती हैं. ये मानक न सिर्फ कामगारों की जान बचाते हैं, बल्कि शहरों में पावर आउटेज को भी घटाते हैं.
हाई वोल्टेज का उपयोग सिर्फ ट्रांसमिशन में नहीं, बल्कि औद्योगिक इलेक्ट्रोमैकेनिक्स, भारी मशीनरी, रोलर्स, और बड़े प्रेस में ऊर्जा प्रदान करना में भी होता है। फैक्ट्री में अगर ये सिस्टम सही तरीके से काम नहीं करता तो उत्पादन रुक सकता है, जैसे कुछ हालिया खबरों में देखा गया जब एक बड़े रिफाइनरी में हाई वोल्टेज फॉल्ट ने उत्पादन को रोक दिया। इस तरह के केस हमें बताते हैं कि तकनीकी रखरखाव कितना ज़रूरी है.
पावर ग्रिड का अगला बड़ा चैलेंज है नवीनीकृत ऊर्जा एकीकरण, सोलार और विंड ऊर्जा को हाई वोल्टेज नेटवर्क में जोड़ना. जब सौर फार्म या पवन टरबाइन से बिजली आती है, तो उसे ट्रांसमिशन लाइन में डालने के लिए पहले हाई वोल्टेज में अपग्रेड करना पड़ता है। इस प्रक्रिया में वोल्टेज रेगुलेटर, कॉन्वर्टर और रूटिंग सिस्टम की जरूरत होती है, जो आज के उद्योग में तेजी से विकसित हो रहे हैं.
हाई वोल्टेज के बारे में बात करते समय अक्सर पूछे जाने वाले सवाल हैं – क्या यह घर के प्रयोग में सुरक्षित है? जवाब सरल है: घर में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रिकल सॉकेट आमतौर पर 230V होते हैं, जो लो वोल्टेज श्रेणी में आते हैं। हाई वोल्टेज केवल ट्रांसमिशन या औद्योगिक सेटिंग में ही मिलता है, इसलिए आम जनता को सीधे इसका सामना नहीं करना पड़ता. लेकिन अगर गलती से हाई वोल्टेज लाइन के पास काम करना पड़े, तो ग्राउंडिंग और इन्सुलेशन का पालन करना अनिवार्य है.
हाई वोल्टेज से जुड़ी हालिया खबरों में कई बार बताया गया है कि कैसे बड़े शहरों में पावर लोड शेडिंग को कम करने के लिए नई हाई वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए जा रहे हैं। ये ट्रांसफॉर्मर अधिक कुशलता से वोल्टेज को घटाते हैं, जिससे घरों में सप्लाई स्थिर रहती है। साथ ही, सुरक्षा मानकों के कड़े पालन से फॉल्ट की संभावना भी घटती है। इस प्रकार तकनीकी उन्नति और नियामक कदम मिलकर बेहतर ग्रिड बनाते हैं.
अगर आप हाई वोल्टेज के शौकीन हैं या इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो कुछ कौशल सीखना फायदेमंद रहेगा – जैसे कि इलेक्ट्रिकल सर्किट डिज़ाइन, पावर सिस्टम एनालिसिस, और प्रोटेक्टिव रिले सेटिंग। कई प्रशिक्षण संस्थान अब इन टॉपिक्स पर विशेष कोर्स दे रहे हैं, जिससे युवा इंजीनियर नई तकनीक को अपनाने में आगे रह सकते हैं। इस दृष्टिकोण से देखे तो हाई वोल्टेज सिर्फ एक तकनीकी शब्द नहीं, बल्कि रोजगार और आर्थिक विकास का भी स्रोत बन रहा है.
अगले सेक्शन में आप विभिन्न समाचार लेख पाएँगे जो हाई वोल्टेज से जुड़े विभिन्न पहलुओं – नीति, तकनीक, सुरक्षा और उद्योग के वास्तविक केसों को कवर करते हैं। चाहे आप ऊर्जा प्रोफेशनल हों, छात्र हों या सामान्य पाठक, इन लेखों से आपको व्यावहारिक जानकारी और ताज़ा अपडेट मिलेंगे, जो आपके ज्ञान को और गहरा करेंगे.
कंदागांव जिले के रावासवही में आयोजित कबड्डी प्रतियोगिता के दौरान अचानक गिरी 11 kV हाई वोल्टेज लाइन ने भीड़ के तंबू को मार गिराया। इस हादसे में तीन लोगों की मौत और तीन घायल हुए। पीड़ितों को तुरंत विष्रमपुर अस्पताल पहुंचाया गया, जहाँ दो गंभीर रूप से इलाज के लिये उन्नत सुविधा में भेजे गये। जिला प्रशासन ने घटनास्थल की जांच शुरू कर दी है और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने हेतु सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर रहा है।
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