अगर आप उत्तराखंड या आसपास के क्षेत्रों में यात्रा करते हैं तो कंचनजंगा एक्सप्रेस आपके रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो सकता है। इस ट्रेन को समझना आसान नहीं होता, इसलिए हमने यहाँ सभी ज़रूरी जानकारी इकट्ठी कर रखी है – रूट, समय सारिणी, बुकिंग कैसे करें और यात्रा के दौरान मिलने वाली सुविधाएँ। पढ़ते रहिए, आपका अगला सफ़र आसान हो जाएगा।
कंचनजंगा एक्सप्रेस मुख्यतः देहरादून‑हिमाचल प्रदेश से लेकर दिल्ली तक चलता है। इसका शुरुआती स्टेशन देहरादून जंक्शन (DDN) है, फिर यह रौली, लोधा, मैनाली के पास के छोटे स्टेशनों को छूता हुआ नई दिल्ली (NDLS) पहुंचता है। कुल दूरी लगभग 260 किलोमीटर और यात्रा समय लगभग 6‑7 घंटे रहता है, मौसम या ट्रैक में रखरखाव के हिसाब से थोड़ा बदल सकता है।
सामान्य तौर पर सुबह 06:30 बजे देहरादून से निकलती है और दोपहर 12:45 बजे तक दिल्ली पहुँच जाती है। वापसी ट्रेन शाम 16:15 बजे नई दिल्ली से शुरू होकर रात 22:30 बजे तक देहरादून पहुंचती है। अगर आपके पास टाइम टेबल की प्रिंटेड कॉपी नहीं है, तो आप IRCTC ऐप या रेलवे बोर्ड की आधिकारिक साइट पर रीयल‑टाइम अपडेट देख सकते हैं।
टिकट बुक करना अब पहले से ज्यादा आसान हो गया है। आप ऑनलाइन IRCTC, मोबाइल एप्लिकेशन या निकटतम रेलवे टिकट काउंटर पर सीधे बुक कर सकते हैं। चेक‑इन टाइम 30 मिनट और कैंसिलेशन पॉलिसी भी स्पष्ट रूप से बताई गई है – यदि यात्रा कम से कम दो दिन पहले रद्द करें तो पूरी रिफंड मिलती है, अन्यथा कटौती के साथ रिफंड होगी।
कंचनजंगा एक्सप्रेस में सिल्क स्लीपर (SL), एसी 3‑टीयर (3A) और एसी 2‑टीयर (2A) क्लासेज उपलब्ध हैं। सभी एसी कोचों में वाई‑फ़ाइ, पावर आउटलेट और साफ़ बाथरूम की सुविधा है। गैर‑एसी स्लीपर कोच भी काफी आरामदायक होते हैं – फोल्डेबल बेड, रैम्पेड लाइटिंग और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं।
यदि आप खाने-पीने की व्यवस्था चाहते हैं तो ट्रेन में कैटरर से पहले ही अपना मील पैक बुक कर सकते हैं। बहुत सारी यात्रियों ने बताया है कि स्थानीय स्नैक्स, जैसे आलू के पराठे और चाय, लंबी यात्रा को हल्का बनाते हैं।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि मानसून या अचानक धूप वाले मौसम में ट्रैक रखरखाव का काम हो सकता है। ऐसे में ट्रेन देर से चल सकती है, इसलिए हमेशा कुछ अतिरिक्त समय रखें और स्टेशन पर घोषणा सुनते रहें।
एक छोटी सी टिप: अगर आप सुबह जल्दी निकलना चाहते हैं तो बुकिंग के साथ ही अपना सीट नंबर चुनें – विंडो या एआईएस (AIS) वाला कोच बेहतर व्यू देता है, खासकर जब ट्रेन पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरती है।
यात्रा के दौरान सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। अपने सामान को ओवरहेड बिन में रखें और वैल्यूबल आइटम हमेशा पास रखे। यदि आप अकेले यात्रा कर रहे हैं तो स्टेशन पर उपलब्ध सिक्योरिटी गार्ड की मदद ले सकते हैं।
अंत में, अगर ट्रेन से जुड़ी कोई नई जानकारी – जैसे रूट बदलना, अतिरिक्त कोच जोड़ना या इमरजेंसी रद्दीकरण – हमारे “दैनिक देहरादून गूंज” पर तुरंत अपडेट होती रहती है। आप बस टैग पेज के शीर्ष पर “कंचनजंगा एक्सप्रेस” देख कर ताज़ा खबरें पढ़ सकते हैं।
तो अगली बार जब भी कंचनजंगा एक्सप्रेस की टिकट बुक करना हो, इन बातों को याद रखें और बिना झंझट के अपना सफ़र तय करें। शुभ यात्रा!
कंचनजंगा एक्सप्रेस के साथ हुए हादसे में मालगाड़ी की सिग्नल तोड़कर टक्कर से आठ लोगों की मौत हो गई और 25 से अधिक घायल हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना पर शोक व्यक्त किया।
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