दैनिक देहरादून गूंज

महिला मोटरस्पोर्ट – भारत में गति, चुनौती और जीत

जब बात महिला मोटरस्पोर्ट, स्पोर्ट्स कार, मोटरसाइकिल या रैली में महिला ड्राइवरों की प्रतिस्पर्धा, Women Motorsports की होती है, तो सिर्फ रेसिंग नहीं, संस्कृति का परिवर्तन भी दिखता है। इस क्षेत्र में सुरक्षा प्रशिक्षण, सुरक्षा गियर, ड्राइवर कोचिंग और आपातकालीन प्रतिक्रिया अभ्यास की भूमिका अनिवार्य है, और साथ ही इवेंट मैनेजमेंट, रैली, फॉर्मूला, और ग्रैंड प्रिक्स जैसी प्रतियोगिताओं की योजना और संचालन ने महिलाओं को पिच पर लाने में अहम योगदान दिया है। भारत में महिला रेसर्स, वो ड्राइवर जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ट्रैक पर प्रतिस्पर्धा करती हैं अब सिर्फ नाम नहीं, बल्कि परिणाम भी ले रही हैं।

पहला प्रमुख संबंध यह है कि महिला मोटरस्पोर्ट सुरक्षा प्रशिक्षण को अधिकतम करती है, क्योंकि तेज गति, संवेदनशील नियंत्रण और तेज़ निर्णय लेने की जरूरत होती है। दूसरा संबंध यह है कि इवेंट मैनेजमेंट को महिला रेसर्स की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये विशेष वर्ग, क्वालिफिकेशन राउंड और महिला‑केवल ग्रिड स्थापित करने पड़ते हैं। तीसरा, भारत में बढ़ते महिला ड्राइवर ने मोटरस्पोर्ट की लोकप्रियता को नई आयु वर्ग तक पहुंचाया है, जिससे स्पॉन्सरशिप, मीडिया कवरेज और प्रशिक्षण इकाइयों में निवेश बढ़ा है। इन तीनों कनेक्शन से पता चलता है कि यह खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी माध्यम है।

आज के प्रमुख रेसर्स, इवेंट और सुरक्षा पहल

देशी रेसर्स जैसे कि रिया सिंह, नेशनल रैली चैंपियनशिप में लगातार पॉडियम पर रहने से दिखाया है कि महिला ड्राइवर तकनीकी समझ और मानसिक स्थिरता दोनों में बराबरी कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्ना पावले की फॉर्मूला 3 जीत ने भारतीय युवा लड़कियों को मोटरस्पोर्ट टेक्नोलॉजी में करियर बनाने की प्रेरणा दी है। इन कहानियों के पीछे अक्सर समान सुरक्षा इन्फ्रास्ट्रक्चर है—उच्च‑ग्रेड हेल्मेट, रेस सुइट, और रेस ट्रैक पर फर्स्ट‑एड रिस्पॉन्डर की त्वरित उपलब्धता।

इवेंट मैनेजर्स अब प्रत्येक रेस में महिला‑केवल केटेगरी शामिल कर रहे हैं। दिल्ली‑पीके राली में 2025 में पहला महिला‑ट्रैक सेशन आयोजित हुआ, जिसमें 12 महिला टीमों ने भाग लिया। इसी तरह, मुंबई ग्रैंड प्रिक्स में ‘वुमेन ड्राइविंग क्लिनिक’ ने नई ड्राइवरों को बेसिक कंट्रोल, ब्रेकिंग और टायर मैनेजमेंट सिखाया। इन कार्यशालाओं ने केवल प्रतिभागियों को तैयार नहीं किया, बल्कि दर्शकों को भी महिला मोटरस्पोर्ट की वैधता दी।

सुरक्षा प्रशिक्षण के क्षेत्र में अब फिजिकल फिटनेस के साथ साथ सिम्युलेटर‑बेस्ड कोचिंग भी शामिल है। कॉकपिट सिम्युलेटर में विफलता पर रीयल‑टाइम फीडबैक मिलने से ड्राइवर जल्दी‑जल्दी सुधार कर पाते हैं। साथ ही, फर्स्ट‑एड कोर्सेज़ को मोटरस्पोर्ट अकादमी में अनिवार्य बनाया गया है, जिससे हर रेसर आपातकालीन स्थिति में सही कदम उठा सके।

इन सभी पहलुओं को देखकर स्पष्ट है कि महिला मोटरस्पोर्ट का परिदृश्य अब शुरुआती चरण से आगे बढ़ कर एक सुविचारित इको‑सिस्टम बन चुका है। आप नीचे दिए गए लेखों में महिलाओं की व्यक्तिगत यात्राएँ, रेस परिणाम, नई तकनीकी प्रयोग और आगामी इवेंट की विस्तृत जानकारी पाएंगे। चाहे आप एक उत्साही फैन हों, युवा ड्राइवर, या सिर्फ मोटरस्पोर्ट में रुचि रखने वाले, इस संग्रह में आपको वह सब मिलेगा जो इस तेज‑गति वाले विश्व को समझने में मदद करेगा।

श्रीया लोइया बना भारत की सबसे युवा महिला फ़ॉर्मूला 4 रेसर
अक्तू॰, 6 2025

श्रीया लोइया बना भारत की सबसे युवा महिला फ़ॉर्मूला 4 रेसर

16‑साल की श्रीया लोइया ने भारतीय फ़ॉर्मूला 4 में इतिहास रचते हुए प्रथम अंक स्कोर किया, परिवार के समर्थन और कई राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ।

आगे पढ़ें