हर साल हिन्दू कैलेंडर में पापांकुशा एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है। इसे "पापों का नाश" कहा जाता है क्योंकि इस दिन शुद्धि की प्रक्रिया तेज़ होती है। लोग मानते हैं कि एक रात के उपवास और सही पूजा से जीवन में नकारात्मक ऊर्जा कम हो जाती है। अगर आप भी अपने घर में शांति चाहते हैं, तो इस तिथि को ध्यान में रखें।
यह एकादशी हर महीने के द्वितीय चंद्रमा (अमावस्या) के बाद आती है, लेकिन मुख्य रूप से शरद ऋतु में सबसे प्रमुख होती है। 2025 में यह 28 अक्टूबर को पड़ेगी और रात 9 बजे से अगले दिन सुबह तक इसका असर रहता है। सूर्यास्त के समय दीप जलाकर आरती शुरू करना शुभ माना जाता है। तिथि की पुष्टि स्थानीय पंडित या पंचांग ऐप से कर सकते हैं, जिससे कोई गलती न हो।
पापांकुशा एकादशी का उपवास साधारण दो प्रकार में किया जाता है – पूर्ण व्रत और फलाहार व्रत। यदि आप पहली बार कर रहे हैं तो हल्का फलाहार बेहतर रहेगा, जैसे कि केले, सेब या कच्चे नारियल। पानी पीने की अनुमति होती है, लेकिन शरबत या अल्कोहल नहीं। पूजा में मुख्य रूप से भगवान विष्णु और उनका अवतार श्री कृष्ण को याद किया जाता है।
पूजा के दौरान एक नया कपड़ा पहनें और साफ-सुथरा स्थान तैयार करें। यदि आपके घर में पवित्र जल उपलब्ध हो तो उसे सात बार घुमाकर मंत्रोच्चारण करें – "ॐ नमः शिवाय" या "हरि ॐ"। फिर भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने फूल, धूप और नैवेद्य रखें। प्रसाद के रूप में चंदन का लेप या मीठा लड्डू देना शुभ माना जाता है।
पूजा समाप्त होने पर घर की साफ़-सफ़ाई करना न भूलें। यह सिर्फ शारीरिक सफ़ाई नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि भी दर्शाता है। यदि आप इस दिन कोई दान देते हैं तो वह और अधिक फलदायक माना जाता है; भोजन या कपड़े जरूरतमंदों को दें। इससे आपके पाप जल्दी दूर होते हैं और मन में संतोष रहता है।
कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक बार पृथ्वी पर पाप की लहर देखी और एकादशी का उपवास करके इसे कम किया था। इस कथा को याद रखकर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। जब भी कठिनाई आए, तो इस दिन की पूजा फिर से करें – यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
ध्यान के लिए सबसे आसान तरीका है कि आप सुबह उठते ही पाँच मिनट श्वसन अभ्यास करें और भगवान का नाम जपें। इससे मन शांत रहता है और ऊर्जा संतुलित होती है। यदि समय नहीं मिलता तो रात को सोने से पहले भी यही कर सकते हैं।
समाप्ति में, पापांकुशा एकादशी न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि व्यक्तिगत विकास का अवसर भी है। इसे सही तरीके से मनाने से आप शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रहेंगे। तो इस वर्ष के लिए अपनी योजना बनाएं, तिथि नोट करें और शुभ कार्यों की तैयारी शुरू करें।
पापांकुशा एकादशी का उपवास अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस साल यह 13 अक्टूबर 2024 को है। व्रत का उद्देश्य आत्मा को शुद्ध कर मोक्ष प्रदान करना है। इस दिन व्रती को विष्णु भगवान की पूजा और जप करना चाहिए तथा द्वादशी को पारण करना चाहिए। कथा में क्रूर शिकारी क्रोध का उल्लेख है, जिसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
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