जब हम प्रोबेशनरी ऑफिसर, सरकारी सेवाओं में वह शुरुआती पद है जिसमें चयनित उम्मीदवार को दो‑वर्ष की प्रोबेशन अवधि में विभिन्न विभागीय कार्यों और कौशलों का प्रशिक्षण मिलता है की बात करते हैं, तो अक्सर लोग पूछते हैं कि इस पद की असली भूमिका क्या है और इसे पाने के लिए किन‑किन चरणों को पार करना पड़ता है। सरल शब्दों में, प्रोबेशनरी ऑफिसर वह चरण है जहाँ सिविल सेवा के नए अभ्यर्थी वास्तविक कार्यस्थल में सीखते‑समझते अपने अधिकार और ज़िम्मेदारियों को समझते हैं।
इस भूमिका को समझने से पहले दो मुख्य संस्थाओं को देखना ज़रूरी है। पहला है UPSC, संघ लोक सेवा आयोग, जो विभिन्न सरकारी पदों के लिए राष्ट्रीय स्तर की चयन प्रक्रिया आयोजित करता है। दूसरा है सिविल सेवा, भारत की प्रमुख प्रशासनिक प्रणाली, जिसमें IAS, IPS, IRS आदि विभिन्न शाखाएँ सम्मिलित हैं। दोनों ही संस्थाएँ प्रोबेशनरी ऑफिसर की नियुक्ति और उसके बाद के प्रशिक्षण का ढांचा बनाती हैं।
प्रोबेशनरी ऑफिसर बनने के लिए सबसे पहले संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रारंभिक परीक्षा पास करनी होती है, जिसे आमतौर पर ‘सिविल सेवा परीक्षा’ कहा जाता है। इस परीक्षा की तीन स्तरीय प्रक्रिया – प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू – उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता, विश्लेषणात्मक क्षमता और नेतृत्व कौशल का परीक्षण करती है। सफल उम्मीदवार को अक्सर ‘सिविल सेवा में चयनित’ माना जाता है, जिसके बाद वह प्रोबेशनरी ऑफिसर की शाखा में प्रवेश करता है।
एक बार चयन हो जाने पर अगला चरण प्रशिक्षण, संबंधित संस्थानों जैसे LBSNAA, SCRA आदि में दो‑वर्ष की व्यवस्थित शिक्षा और ऑन‑जॉब इंटर्नशिप का होता है। इस दौरान अधिकारी कानून, प्रशासन, वित्तीय प्रबंधन, जिला प्रशासन आदि विभिन्न विषयों में विशेषज्ञता हासिल करता है। प्रशिक्षण का उद्देश्य यह है कि नव नियुक्त अधिकारी ‘जूनियर ऑफिसर’ की भूमिका से ‘निर्णायक अधिकारी’ की स्थिति में सहजता से बदल सकें। मूल्यांकन लगातार चलता रहता है; लिखित परीक्षाओं, केस स्टडीज और फील्ड वर्क के माध्यम से प्रगति की जाँच की जाती है।
प्रोबेशनरी अवधि के अंत में एक अंतिम मूल्यांकन होता है, जिसके बाद ही स्थायी पद (जैसे कि IAS, इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, जो भारत की सबसे उच्चतम सिविल सेवा है) या अन्य शाखा में स्थानान्तरण मिलता है। यह चरण उन सभी लोगों के लिए निर्णायक है जिन्होंने प्रशिक्षण में सीखे कौशल को वास्तविक कार्य में लागू किया है।
अब बात करते हैं उन चुनौतियों की, जो प्रोबेशनरी ऑफिसर को अक्सर मिलती हैं। सबसे बड़ी कठिनाई व्यावहारिक समस्याओं को जल्दी और प्रभावी ढंग से हल करना है, क्योंकि प्रशिक्षण के दौरान मिले सिद्धांतों को वास्तविक जमीन पर लागू करना हमेशा आसान नहीं होता। साथ ही, विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दबावों को संतुलित करना एक महत्वपूर्ण कौशल है। इन सबके चलते निरंतर सीखना, खुद को अपडेट रखना और टीम के साथ मिलकर काम करना जरूरी हो जाता है।
इस गाइड में हमने प्रोबेशनरी ऑफिसर की परिभाषा, उसके साथ जुड़े प्रमुख संस्थान (UPSC, सिविल सेवा) और प्रशिक्षण प्रक्रिया को सरल शब्दों में समझाया है। अब आप नीचे दी गई सूची में उन लेखों और समाचारों को देख सकते हैं, जो इस करियर पथ के विभिन्न पहलुओं – चयन, प्रशिक्षण, कार्यस्थल की वास्तविक कहानियों और सफलता की रणनीतियों – को विस्तृत रूप से कवर करते हैं। पढ़ते रहिए, और अपने प्रोबेशनरी ऑफिसर बनने के सफ़र को स्पष्ट कदमों में बदलिए।
IBPS ने 2025 में RRB भर्ती के लिए कुल 13,294 पदों की घोषणा की, जिसमें ऑफिस असिस्टेंट, प्रोबेशनरी ऑफिसर और विभिन्न स्पेशलिटी वाले ऑफ़िसर स्केल शामिल हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 28 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। विस्तृत वैकेंसी, योग्यता और परीक्षा शेड्यूल इस लेख में दिया गया है।
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