जब हम ‘एकता’ कहते हैं, तो दिमाग में सिर्फ भावना नहीं बल्कि रोज़मर्रा की घटनाएँ आती हैं। चाहे वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अदमपुर एयरबेस दौरा हो या क्रिकेट में टीम का शानदार comeback—सब एक ही लक्ष्य से जुड़ते हैं: देश को मजबूत बनाना.
13 मई 2025 को मोदी जी ने पंजाब के अदमपुर एयरबेस की अचानक यात्रा की। इस कदम ने न सिर्फ भारतीय वायुसेना का मनोबल बढ़ाया, बल्कि पाकिस्तान से आने वाली चुनौतियों के सामने भारत की दृढ़ता भी दिखा दी। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर ‘देशभक्ति’ टैग लगाकर इस विज़िट को सराहा। सुरक्षा में एकजुट रहकर ही हम बाहरी दबावों का सामना कर पाते हैं।
फुटबॉल, क्रिकेट या किसी भी खेल में जब हमारे खिलाड़ी जीतते हैं तो पूरे देश की धड़कन तेज़ हो जाती है। नीलिमा बसु फ़ुटबॉल टूर्नामेंट में महिला टीम ‘सेमरिया’ ने और पुरुष टीम ‘मांझी’ ने ट्रॉफी जीती—ये जीत सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं, यह महिलाओं के सशक्तिकरण और खेल में समान अवसर की बात भी करती है। इसी तरह, जस्प्रीत बुमराह का IPL 2025 में वापसी हमें याद दिलाता है कि कठिनाइयों के बाद भी भारतीय खिलाड़ी फिर से चमक सकते हैं।
ऐसे मौके राष्ट्रीय एकता को दृढ़ बनाते हैं—हर जीत में सभी का साथ महसूस होता है, चाहे वह छोटे शहर की सड़कों पर हो या बड़े अंतर्राष्ट्रीय मंच पर। जब लोग मिलकर उत्सव मनाते हैं, तो सामाजिक विभाजन कम होते हैं और देश के हर कोने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।
पर एकता केवल जीत में नहीं, बल्कि चुनौतियों के समय भी दिखनी चाहिए। उत्तर प्रदेश में इमीडी का रेड अलर्ट और उत्तराखंड की हीटवेव चेतावनी ने लोगों को सतर्क किया। ऐसे मौसम संबंधी आपदाओं में सरकार की सटीक जानकारी और जनता की सहयोगी प्रतिक्रिया दोनों मिलकर नुकसान कम करती है। जब हर नागरिक, चाहे वह किसान हो या शहर वाला नौकरीपेशा, एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहता है, तो राष्ट्रीय एकता का वास्तविक रूप सामने आता है।
तो फिर, राष्टरिय एकता सिर्फ शब्द नहीं, यह हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में छिपी हुई शक्ति है। चाहे वह सुरक्षा, खेल, या आपदा प्रबंधन हो—हर क्षेत्र में मिलकर चलने से ही हम आगे बढ़ सकते हैं। इस टैग पेज पर आप इन सभी खबरों को आसानी से पढ़ सकते हैं और समझ सकते हैं कि कैसे छोटे-छोटे कदम बड़ी एकता बनाते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर आरोप लगाया कि उन्होंने राष्ट्रीय एकता से अधिक सांप्रदायिक तुष्टिकरण की राजनीति को प्राथमिकता दी। आदित्यनाथ ने खड़गे के 'बातेंगे तो कटेंगे' नारे की आलोचना पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने महा विकास आघाड़ी गठबंधन की आलोचना की, महाराष्ट्र को 'लव जिहाद' और 'लैंड जिहाद' का केंद्र बनाने का आरोप लगाया।
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