सांस्कृतिक आइकॉन: उत्तराखंड की अनोखी पहचान

जब हम उत्तराखंड का ज़िक्र करते हैं तो पहाड़ों के साथ‑साथ यहाँ के सांस्कृतिक आइकॉन भी दिमाग में आते हैं। ये लोग, कला और परम्पराएँ ही हैं जो राज्य की पहचान को खास बनाते हैं। चलिए, कुछ प्रमुख आइकॉन और उनकी कहानियों को समझते हैं—बिना किसी जटिल शब्दों के, बस सीधी‑सादी बातों में।

लोक कलाकार और संगीतकार

उत्तराखंड की धरोहर में सबसे बड़े योगदानकर्ता हैं स्थानीय गायक‑गायत्री और बाँसुरी वादक। जैसे राहुल बर्मन, जो अपने ‘हिमालयी राग’ से हर दिल को छू लेते हैं। उनका संगीत अक्सर मंदिरों और गाँव की गलियों में सुनाई देता है, जहाँ लोग एक साथ गाते‑गाती हैं। इन कलाकारों के पास कोई बड़े स्टूडियो नहीं होते—वे सिर्फ़ अपनी बाँसुरी या ढोल लेकर मंच पर उतरते हैं, और माहौल बदल जाता है।

इसी तरह प्रीती कुमारी, एक पारम्परिक नर्तकिया, जो ‘जुहू’‑डांस को नई पीढ़ी तक पहुँचाती हैं। उनके कदमों में कहानी होती है—परिवार की खुशियों से लेकर संघर्षों तक। जब वह मंच पर आती हैं तो दर्शकों का ध्यान खुद-ब-खुद खिंच जाता है, और लोग उनकी हर चाल में अपना अतीत देख लेते हैं।

स्थानीय हस्तशिल्प और परम्परागत कला

कागज के पंखुड़ियों से बनता ‘कोरकी’ कपड़ा, या काठ की नक्काशी—इन सब में उत्तराखंड के सांस्कृतिक आइकॉन का झलक मिलती है। श्रीमान राकेश त्रिपाठी एक कुशल कारीगर हैं जो बांस की थैलियों को आधुनिक डिजाइन में बदलते हैं। उनका काम सिर्फ़ बिक्री नहीं, बल्कि गाँवों की जीविका और परम्परा को बचाना भी है। ग्राहक जब इन थैलों को खरीदते हैं तो वे न केवल एक उत्पाद ले जाते हैं, बल्कि शिल्पकार की कहानी भी साथ लेकर चलते हैं।

दुर्लभ ‘डॉली’ कला—जहाँ बांस के फ्रेम पर चमकीले रंगों से जटिल पैटर्न बनाते हैं—भी यहाँ की पहचान है। यह कला अक्सर त्यौहारों में सजावट के रूप में उपयोग होती है, और युवा कलाकार इसे सोशल मीडिया पर दिखा कर नई पहचान बना रहे हैं।

इन सांस्कृतिक आइकॉन का असर सिर्फ़ स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रहता। जब कोई फिल्म या टीवी शो इन तत्वों को दिखाता है तो पूरे देश के दर्शकों की नज़रें इस क्षेत्र पर पड़ती हैं। इससे पर्यटन में भी बढ़ोतरी होती है, क्योंकि लोग उन स्थानों की सैर करने आते हैं जहाँ ये कला और कलाकार जीवंत होते हैं।

यदि आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो इन आइकॉन को देखना न भूलें। स्थानीय बाजार में जाकर कारीगरों से बात करें, उनके काम का इतिहास पूछें—यह अनुभव आपके सफ़र को यादगार बनाता है। साथ ही, अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग पसंद करते हैं तो कई कलाकार अपनी कलाकृतियाँ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर भी बेचते हैं; इससे उन्हें निरंतर आय मिलती रहती है और उनकी कला नई पीढ़ी तक पहुँचती है।

संक्षेप में, उत्तराखंड के सांस्कृतिक आइकॉन सिर्फ़ नाम नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में गूँजते हुए आवाज़ें हैं। चाहे वह संगीत हो, नृत्य या हस्तशिल्प—इन सबमें एक ही बात है: दिल से बनाया गया काम, जो लोगों को जोड़ता और प्रेरित करता है। अब जब आप इस बारे में जानते हैं, तो अगली बार जब आप उत्तराखंड के बारे में सुनें, इन आइकॉन का नाम ज़रूर याद रखें।

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