स्कूल में अगर शिक्षक लगातार नहीं आते तो कक्षा का माहौल बिगड़ जाता है, बच्चों को पढ़ाई में रुकावट आती है और अभिभावकों को भी परेशानी होती है। देहरादून के कई स्कूलों ने इस समस्या पर ध्यान देना शुरू किया है क्योंकि यह सीधे‑सीधे छात्रों की सफलता से जुड़ा है।
सबसे पहला कारण स्वास्थ्य है; सर्दी‑जुकाम या बड़ी बीमारी के समय कई शिक्षक घर में रहना पसंद करते हैं। दूसरा कारण ट्रैफ़िक और सार्वजनिक परिवहन की कमी है, खासकर पहाड़ी इलाके में जहाँ स्कूल दूर होते हैं। कुछ मामलों में वेतन में देरी या प्रशासनिक समस्याएँ भी अनुपस्थिति को बढ़ा देती हैं।
इसके अलावा, निजी काम जैसे परिवार की देखभाल या अचानक हुई आपात स्थितियाँ भी कारण बन सकती हैं। अक्सर छोटे‑छोटे कारणों के पीछे बड़ी प्रणालीगत गड़बड़ी होती है – जैसे कि क्लासरूम में पर्याप्त सामग्री न होना जिससे शिक्षक मोटीवेशन खो देते हैं।
पहला कदम है स्कूल की ओर से स्पष्ट नियम बनाना और उनका कड़ाई से पालन कराना। अनुपस्थिति के लिए उचित कारणों की सूची तैयार करके उसे ऑनलाइन या मोबाइल पर रिपोर्ट करना आसान बना दें। इससे प्रशासन को जल्दी पता चल जाएगा कि कौन‑कौन absent है और क्यों।
दूसरा उपाय है स्वास्थ्य लाभ पैकेज देना – जैसे वार्षिक चेक‑अप, फ़िटनेस क्लासेस या इन्शुरेंस कवर। जब शिक्षक अपना स्वास्थ्य बेहतर महसूस करेंगे तो अनिवार्य नहीं रहेंगे घर पर रहने के।
तीसरी रणनीति में ट्रांसपोर्ट सुविधा शामिल है। स्कूल बस या साझी राइडिंग सिस्टम बनाकर दूर‑दराज़ क्षेत्रों से आने वाले शिक्षकों को समय पर पहुंचाया जा सकता है। इससे देर होने की संभावना घटेगी और क्लासरूम में समय पर पहुँचेंगे।
अंत में, प्रेरणा के लिए छोटे‑छोटे पुरस्कार या सराहना कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं। जब शिक्षक अपने काम से संतुष्ट होते हैं तो वे कम अनुपस्थित रहते हैं। अभिभावकों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करके उनका फीडबैक लिया जाए तो सुधार तेज़ होगा।
समस्या का हल एक दिन में नहीं मिलता, पर लगातार प्रयास और सही नीतियों से शिक्षक अनुपस्थिति को काफी हद तक घटाया जा सकता है। अगर आप अभिभावक या स्कूल प्रिंसिपल हैं तो इन सुझावों को आज़माएँ और देखिए बदलाव।
भारत के शिक्षा क्षेत्र में बजट 2025 का अत्यधिक महत्व है, जिसमें कई प्रणालीगत चुनौतियों का समाधान अपेक्षित है। प्राथमिक शिक्षा में मौलिक साक्षरता और अंकगणना के लिए आवंटन बढ़ाने के साथ-साथ पूर्व-स्कूली शिक्षा के लिए बुनियादी ढांचा सुधार तथा शिक्षक प्रशिक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी। डिजिटल शिक्षा, कौशल विकास, शिक्षक अनुपस्थित की समस्या का समाधान और शोध विकास के लिए भी बजट में व्यवस्था की जा सकती है।
आगे पढ़ें