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टेस्ट कॉल‑अप: क्या चाहिए असली टेस्ट खिलाड़ी?

जब बात टेस्ट कॉल‑अप, राष्ट्रीय टीम में टेस्ट फ़ॉर्मेट के लिए खिलाड़ियों को चुनने की प्रक्रिया की आती है, तो हर फैन के दिमाग में कई सवाल दौड़ते हैं। यही सवाल भारत क्रिकेट टीम, देश की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टीम के चयनकर्ता भी रोज़ सोचते हैं। टेस्ट फ़ॉर्मेट टेस्ट मैच, क्रिकेट का सबसे लंबा और रणनीतिक रूप है, इसलिए चयन प्रक्रिया, खिलाड़ी के प्रदर्शन, फिटनेस और टीम की ज़रूरतों का समन्वय बहुत ख़ास होती है। यह पेज इन सभी पहलुओं को समझाने के लिए बनाया गया है, ताकि आप जान सकें कि कॉल‑अप क्यों महत्वपूर्ण है और किन मानदंडों से तय होते हैं।

टेस्ट कॉल‑अप के पीछे कई स्तर होते हैं। सबसे पहले, घरेलू सिज़न का आंकड़ा देख कर चयनकर्ता तय करते हैं कि कौन से खिलाड़ी लगातार बौण्डर बनाए हैं। फिर, पिछले अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन की जाँच की जाती है – चाहे वह दो‑डे ऑनलाइन या पहले के टेस्ट मैच हों। अंत में, फिटनेस रिपोर्ट और मैदान में बहु‑भूमिका निभाने की क्षमता (बॉलिंग, बॉटम‑ऑर्डर या फील्डिंग) को देखा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो, स्थायी फॉर्म, तकनीकी बहुमुखी प्रतिभा, और शारीरिक तंदुरुस्ती टेस्ट कॉल‑अप के मुख्य त्रिकोण हैं।

कैसे तय होती है टेस्ट कॉल‑अप?

पहला कदम है “स्ट्रेंथ वर्सस फ़ॉर्म” का मूल्यांकन। एक खिलाड़ी जो डोमेस्टिक टुर्नामेंट में हाई रन रेट या विकेट टेंशन दिखाता है, वह जल्दी ही चयन सूची में ऊपर आता है। लेकिन यह अकेला कारण नहीं है; चयनकर्ता अक्सर “परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलन” को भी देखते हैं। उदाहरण के लिए, यदि भारत को किसी वैकल्पिक पिच पर स्पिन‑फ्रेंडली परिस्थितियों की उम्मीद है, तो स्पिनर का फ़ॉर्म सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि घरेलू विवाद में भी देखा जाता है।

दूसरा चरण है “इंटरफ़ेस टेस्टिंग” – यानी युवा खिलाड़ियों को A‑टूर या युवा विश्व कप में मौका देना, ताकि उनके मानसिक मजबूती का आंकलन किया जा सके। इस दौरान कई बार उन खिलाड़ियों को टेस्ट कॉल‑अप की सूची में रखा जाता है, भले ही वे अभी मुख्य टीम में न हों। यह अभ्यास उन्हें मुख्य टीम के प्रशिक्षण सत्र में शामिल करता है, जहाँ वे अनुभवी खिलाड़ियों और कोचों से सीखते हैं। यह रिफ़्रेशमेंट सत्रों के बाद ही अक्सर अंतिम कॉल‑अप तय होती है।

तीसरा, लेकिन कम नहीं, “फ़िटनेस एंड रेडियोलॉजिकल क्लियरेंस” है। बीपी, हीटट्रैक और कई बार इमेजिंग टेस्ट (जैसे MRI) को पास करना अनिवार्य होता है, खासकर तेज़ गति वाले तेज़ बॉलर्स के लिए। एक छोटा इन्ज़री भी कॉल‑अप को हिलाकर रख सकता है, इसलिए खिलाड़ी और मेडिकल टीम दोनों को लगातार संवाद करना चाहिए। यह प्रक्रिया चयन को पारदर्शी बनाती है और दीर्घकालिक टीम निर्माण में मदद करती है।

इन तीन चरणों के बीच “मैनेजमेंट डायनेमिक्स” भी रहती है। कॉम्पनी का मुख्य कोच, कौशल‑विकास टीम, और कप्तान की पसंद मिलकर अंतिम निर्णय लेते हैं। इस कारण कभी‑कभी एक खिलाड़ी का प्रदर्शन शानदार होने के बावजूद, टीम संतुलन के लिए अन्य विकल्प चुने जा सकते हैं। इसलिए, चयन सिर्फ़ आँकड़ों का खेल नहीं, बल्कि टीम के सामरिक लक्ष्य और भविष्य की योजना का भी हिस्सा है।

अब तक हमने टेस्ट कॉल‑अप की संरचना, मानदंड और प्रक्रिया को समझा। नीचे आप उन सभी ख़बरों को पाएँगे जहाँ भारतीय टीम ने पिछले कुछ हफ़्तों में टेस्ट कॉल‑अप के बारे में बताया, या जहाँ खिलाड़ियों ने अपनी फॉर्म की जानकारी दी। चाहे आप फैन हों, खिलाड़ी हों या विश्लेषक, यहाँ की जानकारी आपको प्रासंगिक अंतर्दृष्टि देगी और आगामी टेस्ट सीरीज के लिए तैयार करेगी।

नरायण जगदीशान को मिला पहला टेस्ट कॉल‑अप, पेंट की जगह
सित॰, 26 2025

नरायण जगदीशान को मिला पहला टेस्ट कॉल‑अप, पेंट की जगह

तमिलनाडु के विकेटकीपर‑बल्लेबाज़ नरायण जगदीशान ने भारत के पांचवें और अंतिम टेस्ट के लिए पहला कॉल‑अप प्राप्त किया। वह रिषभ पेंट की फ्रैक्चर वाली चोट के कारण आएँगे क्षैतिज विकल्प के रूप में चयनित हुए हैं। दो सप्ताह बाद लंदन पहुंचकर वह दांव पर बैठेंगे, जबकि ध्रुव जुरेल को मुख्य रखरखाव मिल रहा है। यह मौका उनके लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदम रखने का महत्वपूर्ण अवसर है।

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