हर साल कई लोग यौन शोषण की घटनाओं का सामना करते हैं, अक्सर चुप रहने के कारण उनका दर्द बढ़ जाता है। अगर आप या आपका कोई जानने वाला इस तरह की स्थिति में है, तो तुरंत कार्रवाई करना जरूरी है। सबसे पहले यह समझें कि शोषण केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक भी हो सकता है – गले लगाना, अनुचित बातों से डरावना माहौल बनाना आदि शामिल हैं।
कई बार लोग शोषण को हल्के में ले लेते हैं क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि ये कब तक बढ़ता है। कुछ आम लक्षण देखें – अचानक आत्मविश्वास में गिरावट, नींद न आना या बुरे सपने देखना, स्कूल या काम पर अनिच्छा दिखाना, और निजी चीज़ों की चोरी या निगरानी। अगर बच्चा लगातार किसी बड़े से मिलते-जुलते व्यवहार में बदलाव दिखाता है तो यह एक चेतावनी हो सकती है। इन संकेतों को नजरअंदाज न करें, तुरंत बात करने का प्रयास करें।
भारत में यौन शोषण के खिलाफ कड़ी कानून हैं – पीड़ित संरक्षण अधिनियम (2005) और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 आदि। यदि आप या आपका कोई परिचित प्रभावित है, तो स्थानीय पुलिस स्टेशन या महिला हेल्पलाइन (181) पर कॉल कर सकते हैं। रिपोर्ट करते समय घटना का पूरा विवरण, तारीख‑समय, शारीरिक/मानसिक लक्षण और संभावित गवाहों के नाम लिखें। यह जानकारी जांच में मदद करती है और कोर्ट में साक्ष्य बनती है।
कभी-कभी पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाना ज़रूरी होता है – मेडिकल रिपोर्ट (फोरेंसिक) भविष्य में केस तैयार करने में अहम भूमिका निभाती है। अधिकांश बड़े शहरों में महिला सहायता केंद्र होते हैं जहाँ मुफ्त काउंसलिंग, कानूनी सलाह और सुरक्षा उपाय मिलते हैं। देहरादून में ‘सुरक्षा हेल्पलाइन’ भी उपलब्ध है, जो तुरंत मदद भेजती है।
कौंटेक्ट करने से पहले अपने पास पहचान दस्तावेज़ रखें – यह प्रक्रिया को तेज बनाता है। यदि आप किसी महिला या बच्चे के अभिभावक हैं तो स्कूल/कॉलेज में साइबर सुरक्षा और यौन शोषण पर वार्षिक जागरूकता सत्र आयोजित करें, जिससे बच्चों को सही जानकारी मिल सके।
अंत में यह याद रखें कि कोई भी शिकार अकेला नहीं है; मदद माँगना साहस की बात है। अपने आसपास भरोसेमंद मित्र या परिवार के सदस्य से बात करें, और कानूनी प्रक्रिया शुरू करने में संकोच न करें। सुरक्षित माहौल बनाने के लिए हम सबको मिलकर जागरूक होना पड़ेगा – तभी यौन शोषण को जड़ से खत्म किया जा सकेगा।
मलयालम अभिनेता और निर्माता बाबूराज पर एक जूनियर कलाकार ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। हेम समिति की रिपोर्ट के बाद बाबूराज पर यह आरोप लगा है, जिसमें मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के शोषण और अन्य मुद्दों का खुलासा हुआ है।
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