आपने समाचारों या सोशल मीडिया पर ज़िका का नाम सुना होगा, लेकिन असली में यह बीमारी कितनी खतरनाक है? चलिए आसान शब्दों में समझते हैं कि ज़िका वायरस किस चीज़ से जुड़ा है, इसके लक्षण क्या होते हैं और आप खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
ज़िका एक छोटा RNA वायरस है जो मुख्य रूप से एडीस अएडिस मच्छर (Aedes aegypti) के काटने से इंसानों में प्रवेश करता है। भारत में ये मच्छर पहले से ही मौजूद हैं, इसलिए ज़िका का खतरा हमेशा बना रहता है—खासकर गर्मी और बरसात के मौसम में जब मच्छरों की संख्या बढ़ती है।
वायरस खुद आम तौर पर गंभीर बीमारी नहीं बनाता, लेकिन कुछ मामलों में यह गर्भधारण वाले महिलाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे नवजात शिशु में माइक्रोसेफ़ली (छोटी सिर) जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। इसलिए अगर आप या आपके परिवार में कोई महिला प्रेग्नेंट है तो सावधानी बरतना ज़रूरी है।
ज़िका का संक्रमण अक्सर हल्के लक्षणों से शुरू होता है, इसलिए कई लोग इसे अनदेखा कर देते हैं। आम लक्षण होते हैं:
लक्षण आमतौर पर काटने के 3‑12 दिनों के बीच दिखते हैं, और अधिकतर दो हफ़्ते में ठीक हो जाते हैं। अगर बुखार लगातार बढ़ता है या उल्टी/दस्त जैसी समस्या शुरू होती है तो डॉक्टर से मिलना बेहतर रहेगा।
ज़िका का सबसे असरदार बचाव मच्छरों के काटने से खुद को बचाना है। यहाँ कुछ आसान कदम हैं जिन्हें आप रोज़मर्रा की जिंदगी में अपना सकते हैं:
अगर आप किसी ऐसे क्षेत्र में रहे या काम करते हैं जहाँ एडीस अएडिस मच्छर आम है—जैसे डेली ट्रीटमेंट प्लांट्स, निर्माण स्थल आदि—तो नियमित स्प्रेिंग और प्रोफेशनल कंट्रोल का सहारा लेना समझदारी होगी।
क्या ज़िका से मरना संभव है? भारत में अब तक कोई मर्त्य केस दर्ज नहीं हुआ, लेकिन गर्भवती महिलाओं को खास जोखिम रहता है।
क्या एंटीबायोटिक काम करता है? वायरस के कारण होने वाली बीमारी पर एंटीबायोटिक असर नहीं करते; डॉक्टर केवल लक्षणों का प्रबंधन कर सकते हैं।
अगर मैं पहले से ही संक्रमित हूँ तो क्या करना चाहिए? आराम करें, हाइड्रेटेड रहें और बुखार या दर्द के लिए पेरासिटामोल ले सकते हैं। यदि स्थिति बिगड़ती है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
सारांश में, ज़िका वायरस से बचाव सरल उपायों पर निर्भर करता है—मच्छर प्रबंधन, सही कपड़े और स्वास्थ्य जागरूकता। अगर आप इन बातों को अपनाते हैं तो इस बीमारी का डर कम रहेगा और परिवार सुरक्षित रहेगा। पढ़ने के लिये धन्यवाद!
पुणे में ज़िका वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है, जनवरी 2022 से अब तक 51 मामले सामने आ चुके हैं। पुणे नगर निगम (पीएमसी) ने 15 इलाकों को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया है, और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। नागरिकों से मच्छरों की पैदावार को रोकने और किसी भी लक्षण की रिपोर्ट करने की अपील की गई है।
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